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तालिबान संग भारत का नया अध्याय, बदल रहा दक्षिण एशिया का भू-राजनीतिक समीकरण

तालिबान संग भारत का नया अध्याय, बदल रहा दक्षिण एशिया का भू-राजनीतिक समीकरण

अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में कोई स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता, सभी राष्ट्र समय और परिस्थितियों के अनुसार पारस्परिक व्यवहार करते हैं। इस समय भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है। तालिबान की पहचान आतंकी संगठन की है किन्तु अफगानिस्तान की तालिबान सरकार अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए वैश्विक जगत से संवाद स्थापित कर रही है। अभी तक तालिबान सरकार को क.....

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एक लाख एकल शिक्षक स्कूलों की त्रासदी से त्रस्त शिक्षातंत्र

एक लाख एकल शिक्षक स्कूलों की त्रासदी से त्रस्त शिक्षातंत्र

भारत में आज भी कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे सभी विषय पढ़ रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के साल 2024-25 के आधिकारिक डेटा के मुताबिक देश के कुल 1,04,125 स्कूलों में एक ही शिक्षक सभी कक्षाओं एवं सभी विषयों को पढ़ा रहे हैं। यह आंकड़ा हमारे शिक्षा तंत्र की विफलता को दर्शाता ही नहीं रहा है बल्कि चिन्ताजनक स्थिति को बयां कर रहा है। ये आंकडे़ हमारे शैक्षणिक विकास पर एक गंभीर.....

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देश-दुनिया की निगाहे माइनिंग सेक्टर तो एग्रेसिव मोड पर राजस्थान

देश-दुनिया की निगाहे माइनिंग सेक्टर तो एग्रेसिव मोड पर राजस्थान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बौखलाहट से एक बात साफ हो जानी चाहिए कि आज अमेरिका ही नहीं दुनिया के अन्य देशों के लिए भी धरती के गर्भ में समाई खनिज संपदा महत्वपूर्ण हो गई है। अमेरिका चाहे यूक्रेन पर दबाव बना रहा हो या कनाड़ा को राज्य के रुप में घोषित कर अमेरिका में मिलाने की छटपटाहट हो या अन्य देशों की और भ्रकुटी तानने या मेल मिलाप के प्रयास हो सब कुछ इस खनिज संपदा को लेकर ही है। आज चाइना .....

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मंगोलिया से सामरिक साझेदारी कर मोदी ने चीन और रूस के प्रभाव को संतुलित कर दिया

मंगोलिया से सामरिक साझेदारी कर मोदी ने चीन और रूस के प्रभाव को संतुलित कर दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना के बीच हुई वार्ता ने भारत और मंगोलिया के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की गहराई और बहुआयामी महत्व को पुनः रेखांकित किया है। यह बैठक केवल औपचारिक कूटनीतिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंधों को नई ऊर्जा देने का प्रयास थी। वार्ता के दौरान दोनों देशों ने मानवतावादी सहायता, मंगोलिया में सांस.....

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भीड़ हादसों और त्रासदियों का सिलसिला कब थमेगा?

भीड़ हादसों और त्रासदियों का सिलसिला कब थमेगा?

तमिलनाडु के करूर में तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) प्रमुख और सुपर अभिनेता से नेता बने विजय की चुनावी रैली के दौरान मची भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ स्तब्ध करने एवं पीड़ा देने वाली भी है। विजय की रैली में एक बार फिर भीड़ की बेकाबू उन्मत्तता ने 40 मासूम जिंदगियों को निगल लिया। सवाल उठता है कि आखिर कब तक ऐसी त्रासदियां हमारे समाज और शासन की नाकामी को उजागर करती रहेंगी? क्यों हमारी व्यवस्थाएं भीड़ .....

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खुद को कानून से ऊपर मानने लगे थे सोनम वांगचुक, दिलचस्प है एक समाजसेवी की आंदोलनजीवी बनने तक की यात्रा

खुद को कानून से ऊपर मानने लगे थे सोनम वांगचुक, दिलचस्प है एक समाजसेवी की आंदोलनजीवी बनने तक की यात्रा

लद्दाख, अपनी शांत और सौम्य संस्कृति के लिए पहचाना जाता है, लेकिन वहां अशांति और असंतोष पनपाने की कोशिश की गयी। इस परिदृश्य के केंद्र में हैं सोनम वांगचुक। यह वही नाम है जो कभी शिक्षा सुधार और पर्यावरणीय नवाचार का प्रतीक था, पर आज शांति और व्यवस्था के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

हम आपको बता दें कि सोनम वांगचुक की प्रारंभिक छवि प्रेरक रही है। SECMOL के माध्यम से उन्होंने शिक्षा को.....

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अंत्योदय की बदलती परिभाषा: गरीबी से गरिमा तक

अंत्योदय की बदलती परिभाषा: गरीबी से गरिमा तक

आज का भारत विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहा है। पहले जब हम अंत्योदय की बात करते थे तो इसका अर्थ था कि हर गरीब को अन्न, वस्त्र और आश्रय मिल जाए। लेकिन अब समय बदल चुका है। आज अंत्योदय केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आवास, डिजिटल सुविधा, कौशल विकास और आत्मसम्मान जैसे कई आयाम शामिल हो गए हैं। यही वजह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का वह विचार आज और भी सजीव .....

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जब डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के ख़िलाफ़ हैं तो फिर मोदी की नीतियां अमेरिकी हितों पर चोट क्यों न दें?

जब डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के ख़िलाफ़ हैं तो फिर मोदी की नीतियां अमेरिकी हितों पर चोट क्यों न दें?

जब भारत के गांवों में किसी से विवाद बढ़ने पर और घात-प्रतिघात की परिस्थितियों के पैदा होने पर पारस्परिक हुक्का-पानी या उठक-बैठक, खान-पान बन्द करने के रिवाज सदियों से चलते आए हैं, तो फिर वैश्विक दुनियादारी में हमलोग इसे लागू क्यों नहीं कर सकते, ताकि हमारे मुकाबिल खड़े होने वाले देशों को ठोस नसीहत मिल सके। वहीं, अक्सर यह भी कहा जाता है कि जो ज्यादा तेज बनता है वह तीन जगहों पर बदबू फैलाता है। जबकि .....

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