
दिव्या काकरान के संघर्ष की कहानी पिता घर में सिले लंगोट बेचकर चलाते थे घर पहले दंगल में लड़के को दी थी पटखनी
मुजफ्फरनगर के गांव पुरबालियान की बेटी दिव्या काकरान 5 अगस्त को बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला मैच खेलेंगी। सिर्फ 21 साल की उम्र में अर्जुन अवार्ड जीतने वाली दिव्या के पीछे संघर्ष की कहानी है। उनके पिता सूरज पहलवान अखाड़ों में लंगोट बेचते थे। मां संयोगिता घर में लंगोट सिलती थीं। सूरज को आर्थिक तंगी की वजह से पहलवानी छोड़नी पड़ी थी।
जब दिव्या कुश्ती में लड़कों को पछाड़ने लगीं तो .....
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