
लोकमान्य व वीर सावरकर की प्रेरणा से गणेशोत्सव राष्ट्रीय पर्व बन गया था
भारत में सार्वजनिक गणेशोत्सव सातवाहन राष्ट्रकूट और चालुक्य वंशो से लेकर शिवाजी के शासन तक निर्बाध चलता रहा है। पेशवाओं के समय पर तो गणेशोत्सव को राष्ट्रदेवता की मान्यता के साथ मनाया जाता था। ब्रिटिशकाल में गणेश स्थापना व विसर्जन की परंपरा पर रोक लगने लगी और यह क्रम कहीं मद्धम पड़ा तो कहीं बंद हो गया। लोकमान्य तिलक ने वर्ष 1893 में दशकों बाद पहली बार सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया। गणेश स्थापना और व.....
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