वाराणसी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब डोर-टू-डोर मेडिकल सुविधा दी जा रही है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की 16 टीम को तैनात किया है। वहीं वाराणसी की 19 बाढ़ चौकियों पर इलाज आदि का काम भी पहले जैसे चलता रहेगा। बोट के जरिए टीम ने बाढ़ पीड़ितों के घर तक पहुंच कर इलाज और दवाओं का वितरण शुरू भी कर दिया है।
वाराणसी के CMO यानी कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. संदीप चौधरी ने बताया बाढ़ चौकियों पर पहले से डॉक्टराें की टीम और पर्याप्त दवाएं रखवाई गई हैं। इसके बावजूद बाढ़ पीड़ित क्षेत्र से कई लोग बाढ़ चौकियों तक नहीं पहुंच पा रहे। ऐसे उन लोगों को मेडिकल सुविधा घर पर ही दी जा रही है। 16 टीम में 32 डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं।
संक्रमित रोगों से बचने की सलाह
CMO डाॅ. संदीप चौधरी और मेडिकल ऑफिसर डाॅ. अतुल सिंह ने बाढ़ प्रभावित कई इलाकों का दौरा कर मेडिकल फैसिलिटिज का जायजा लिया। उन्होंने अस्सी से रविदास घाट तक नाव से भ्रमण कर लोगों से हेल्थ रिलेटेड जानकारियां जुटाईं। वहीं संक्रामक रोगों से सचेत रहने की सलाह दी। सभी जरूरी दवाओं के साथ ही ORS के पैकेट और क्लोरीन की गोलियां भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बांटी जा रहीं हैं। CMO डॉ. चौधरी ने बताया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में यदि कोई बीमार है तो वह बाढ़ चौकियों पर अपना उपचार करा सकता है। जरूरत हुई तो उसके घर पर भी डॉक्टर जाएंगे।
बाढ़ में फंसी बीमार दो गर्भवती का हुआ इलाज
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आनंदमयी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाॅ. सोनाली त्रिपाठी को सूचना मिली कि भदैनी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में गर्भवती मानसी (20) और रूबी वर्मा (28) बीमार हैं। उन्हें गोयनका महाविद्यालय में बनाए गए बाढ़ सहायता केंद्र पर लाया गया। डाॅ. त्रिपाठी ने दोनों गर्भवती का इलाज कर उन्हें जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई। अब हालत में अब सुधार है।
2139 मरीज का हो चुका है इलाज
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. पीयूष राय ने बताया बुधवार को बाढ़ राहत शिविरों में 482 मरीज देखे गए। साथ ही ORS के 372 पैकेट ओर क्लोरीन टैबलेट की 2560 गोलियां लोगों को दी गईं। इस तरह 7 दिनों में बाढ़ राहत शिविरों में कुल 2139 मरीज देखे जा चुके हैं। साथ ही ORS के 1583 पैकेट और क्लोरीन टैबलेट की 1120 गोलियां वितरित की गईं हैं।