वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन और वकीलों को डराया-धमकाया जा रहा है। जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि अब उनके लोगों को धमकी दी जा रही है। कहा जा रहा कि ज्ञानवापी की वकालत बंद कर दूं। मेरे परिवार के सदस्य सहयोगी और एडवोकेट अब कभी भी किसी षड्यंत्र या दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। यदि ऐसा कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार हिंदू विरोधी शक्तियां तथाकथित राष्ट्रवादी पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ और सरकार के लोग होंगे।
जितेंद्र सिंह विसेन के 10 डर उन्हीं की जुबानी
मीडिया के माध्यम से समाज में भ्रम फैलाना कि शृंगार गौरी केस की वादिनी राखी सिंह मुकदमा वापस ले रही हैं।
मैं कमीशन की इस कार्रवाई में शामिल न हो सकूं इसके लिए हर संभव प्रयास चल रहा। फाइनली एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह द्वारा मुझे कमीशन कार्रवाई के दौरान कमीशन से बाहर करना।
मेरे अकाउंट में अज्ञात सूत्रों द्वारा पैसा देकर मुझे बदनाम किया जा रहा है। समाज में यह भ्रम फैलाया गया कि जितेंद्र सिंह बिसेन मुस्लिम पक्ष से मिले हैं।
कमीशन कार्रवाई के दौरान हुई वीडियोग्राफी की फोटो-वीडियो लीक होना। उसका इल्जाम मेरे ऊपर लगना।
वीडियो लीक मामले में सरकार ने दोषियों के खिलाफ न तो जांच की और न ही कोई कार्रवाई। मेरे द्वारा उठाए गए CBI जांच की मांग को दरकिनार करना।
CBI जांच की मांग करने पर मेरे सहयोगियों के ऊपर फर्जी मुकदमे बनाकर उन्हें जेल भेजना। इससे मेरे साथ जुड़े हुए लोगों का मनोबल टूटा है। मेरे कई सहयोगी मुझसे दूर हो गए। हमारी टीम पर इस विषय को लेकर अकारण ही आर्थिक बोझ पड़ गया है।
कमीशन कार्रवाई के दौरान थाना चौक से संबंधित पुलिस अधिकारियों का मेरे प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण बर्ताव।
पाकिस्तान से धमकी मिल रही है। पाकिस्तान के नंबर से मिस्ड कॉल कर डराया जा रहा जोकि पूरी तरह समझ से परे है। इस पर प्रशासन कर चुप्पी साधना।
न्यायालय परिसर में मेरे अधिवक्ता अनुपम त्रिवेदी को धमकी देकर डराना-धमकाना।
अज्ञात तत्वों द्वारा मुझे ज्ञानवापी प्रकरण से दूर रहने और बनारस न आने की धमकी देना।
जितेंद्र सिंह विसेन इन वादों में पक्षकार और पैरोकार हैं
पक्षकार मुकदमा नंबर 350/2021 ज्ञानवापी प्रकरण।
पैरोकार मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) ज्ञानवापी प्रकरण।
पैरोकार मुकदमा नंबर 712/2022 ज्ञानवापी प्रकरण।
पक्षकार मुकदमा नंबर 620/2021 श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा।
1991 के बाद 6 बार सुर्खियों में आई ज्ञानवापी मस्जिद
1991: मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इस याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया।
2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता 6 महीने के लिए बताई।
2019: वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरु हुई।
2021: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वे की मंजूरी दी।
2022: ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे हुआ।
ज्ञानवापी केस के जज को भी मिल चुकी है धमकी
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश देने वाले जज को भी 3 महीने पहले दो बार धमकी मिल चुकी है। इस्लामिक आगाज मूवमेंट के नाम से जज रवि कुमार दिवाकर को रजिस्टर्ड डाक से धमकी भरी चिट्ठी भेजी गई थी। जज रवि कुमार दिवाकर ने उस बताया था कि एक रजिस्टर्ड लेटर उनके पास इस्लामिक आगाज मूवमेंट नई दिल्ली के नाम से आया है। लेटर में लिखा है कि अब न्यायाधीश भी भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिए सुनाते हैं। इसके बाद ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं।
चिट्ठी में आगे लिखा है आजकल न्यायिक अधिकारी हवा का रुख देख कर चालबाजी दिखा रहे हैं। आपने वक्तव्य दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है। आप भी तो बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हैं। आप मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे। कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू न्यायाधीश से मुसलमान सही फैसले की उम्मीद नहीं कर सकता है