नयी दिल्ली। पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने शुक्रवार को अपनी विश्वसनीयता अनुभव और क्रिकेट में अपने समकक्ष सौरव गांगुली का हवाला देते हुए कहा कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) का नेतृत्व करने के लिए निश्चित रूप से सही व्यक्ति हैं। भूटिया और गांगुली दोनों ही अपने-अपने खेल के सम्मानित पूर्व कप्तान हैं। गांगुली का जन्म से कोलकाता से रिश्ता रहा है तो वहीं भूटिया का भी इस शहर से गहरा संबंध है।
अपने करियर के शीर्ष पर उन्होंने लंबे समय तक मोहन बागान और ईस्ट बंगाल का प्रतिनिधित्व किया। भूटिया के सामने एआईएफएफ चुनावों में पूर्व गोलकीपर कल्याण चौबे की चुनौती होगी। चौबे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भी है और वह एआईएफएफ चुनावों में जीत के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। दोनों पूर्व खिलाड़ियों ने गुरुवार को अपने नामांकन दाखिल किये। भूटिया ने एक बातचीत में कहा आज मैं जो कुछ भी बना हूं वो सिर्फ फुटबॉल की वजह से है। इसकी वजह से मुझे पद्मश्री का सम्मान मिला है।
मैंने मैदान पर 16 साल तक भारत का प्रतिनिधित्व किया है। अब समय खेल को कुछ वापस देने का है। निलंबन के बाद साथ इसमें सुधार की जरूरत है। भारत की तरफ से 100 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद 2011 में संन्यास लेने वाले 45 वर्षीय भूटिया ने कहा मैं एआईएफएफ के लिए नया नहीं हूं। मैं सरकार और खेल मंत्रालय के साथ काम कर रहा हूं। सरकार सभी खिलाड़ियों का समर्थन कर रही है। हमारे प्रधानमंत्री भारत में खेलों के विकास में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा मेरे पास भारतीय फुटबॉल प्रशासन के लिए अनुभव ज्ञान और योजनाएं हैं।
मैं यह कर सकता हूं। चारों ओर इतनी नकारात्मकता के बीच हमें सुधारों की जरूरत है। खिलाड़ी अब खेल प्रशासन जुड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने गांगुली का उदाहरण देते हुए कहा सौरव गांगुली को देखें वह एक सम्मानित क्रिकेटर हैं और क्रिकेट प्रशासन में इतना अच्छा कर रहे हैं। खुद को बेहतर प्रशासक साबित करने के लिए भूटिया ने लगभग दो दशकों तक सिक्किम फुटबॉल संघ में सलाहकार के रूप में अपने अनुभव के जिक्र के साथ यूनाइटेड सिक्किम क्लब चलाने का हवाला दिया।
उन्होंने कहा मैं भारतीय फुटबॉल में अच्छा बदलाव कर सकता हूं। मेरे पास विश्वसनीयता है मैं सक्षम हूं। यह निश्चित रूप से एक चुनौती है लेकिन असंभव नहीं है। भूटिया संन्यास के बाद फुटबॉल प्रशासन में कई भूमिकाओं में शामिल रहे हैं। उन्होंने क्लब के मालिक बनने से लेकर खिलाड़ियों के संघ के अध्यक्ष बनने तक की भूमिका निभाने के साथ एआईएफएफ की तकनीकी समिति के अध्यक्ष के रूप में भी का काम किया है। उन्होंने 2014 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में हाथ आजमाया और फिर 2018 में अपनी पार्टी हमरो सिक्किम का गठन किया। एआईएफएफ के चुनाव दो सितंबर को होंगे।