वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 24 सेमी ऊपर

वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 24 सेमी ऊपर

गंगा अब वाराणसी के लोगों को डराने लगी हैं। वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ऊपर बह रहीं हैं। शहर में गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है। वहीं गंगा और वरुणा नदी के किनारे की कॉलोनियों के मकान बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार की रात 12 बजे गंगा खतरे के निशान यानी 71.26 मीटर को पार कर 71.29 मीटर पर आ गई थीं।


शनिवार की सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 71.46 मीटर और 19 बजे तक यह जलस्तर 71.50 मीटर पर आ गया है। यह खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ज्यादा है। आज गंगा का जलस्तर प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है। वाराणसी में गंगा का उच्चतम बाढ़ बिंदु 73.901 मीटर है जो 9 सितंबर 1978 को दर्ज किया गया था।


गंगा में आई बाढ़ की वजह से वरुणा भी उफनाई हुई है। इसके चलते वाराणसी में शहर से लेकर गांवों तक अब तक बाढ़ से तकरीबन 2 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय जल आयोग का मानना है कि अभी जलस्तर के स्थिर होने की संभावना नहीं है। चंबल सहित अन्य नदियों के पानी के कारण वाराणसी में अभी गंगा का जलस्तर और बढ़ेगा।


मणिकर्णिका गली में घुटनों भर पानी गलियों में शवदाह


गंगा में आई बाढ़ के कारण लोगों को शवदाह के काम में भी दिक्कत हो रही है। मणिकर्णिका घाट की गली में घुटने भर से ज्यादा पानी भरा हुआ है। लोग नाव लेकर ऊंचे प्लेटफॉर्म तक शवदाह के लिए पहुंच रहे हैं। डोम राजा परिवार के शालू चौधरी ने बताया कि अच्छी बात यह है कि बीते दो साल की अपेक्षा इस साल इन दिनों शव कम आ रहे हैं। लेकिन शव लेकर आने वालों को दिक्कतों का सामना तो करना ही पड़ रहा है। इसके अलावा बाढ़ के पानी के कारण लकड़ी भी गीली जा रही है तो शवदाह के काम में देरी हो रही है। वहीं हरिश्चंद्र घाट के समीप गलियों में शवदाह का काम किया जा रहा है। यहां डोम राजा परिवार के ओंकार चौधरी ने बताया कि अब दिक्कत बढ़ रही है। शवदाह करने आने वालों के साथ ही हम लोगों को भी बाढ़ के पानी से दिक्कत हो रही है।


गलियों में चल रही नाव सुरक्षित ठिकाने की तलाश

गंगा में आई बाढ़ के कारण घाटों के किनारे स्थित मणिकर्णिका अस्सी और दशाश्वमेध सहित तटवर्ती इलाकों के अन्य मुहल्लों की गलियों में नाव चल रही है। यही हाल गंगा किनारे के नगवां और सामने घाट क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा मुहल्लों का भी है। वरुणा के दोनों छोर पर स्थित दर्जन भर से ज्यादा मुहल्लों की भी यही स्थिति है।


लोग अपने परिवार के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश कर रहे हैं। 1300 से ज्यादा लोग अब तक बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं तो हजारों लोग ऐसे भी हैं जो अपने घर के फर्स्ट या सेकंड फ्लोर में ही फिलहाल हैं।


बाढ़ राहत शिविरों में रहने वालों को फिलहाल बहुत दिक्कत का सामना नहीं कर पड़ रहा है। मगर गंगा और वरुणा की बाढ़ में घिरे मकानों में रहने वालों तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। एक अनुमान के अनुसार गंगा और वरुणा में आई बाढ़ के कारण रोज कमाने-खाने वाले 6000 से ज्यादा लोगों का कामकाज ठप है।


शवदाह के काम में हो रही है दिक्कत

गंगा में आई बाढ़ के कारण लोगों को शवदाह के काम में भी दिक्कत हो रही है। मणिकर्णिका घाट की गली में घुटने भर से ज्यादा पानी भरा हुआ है। लोग नाव लेकर ऊंचे प्लेटफॉर्म तक शवदाह के लिए पहुंच रहे हैं। डोम राजा परिवार के शालू चौधरी ने बताया कि अच्छी बात यह है कि बीते दो साल की अपेक्षा इस साल इन दिनों शव कम आ रहे हैं। लेकिन शव लेकर आने वालों को दिक्कतों का सामना तो करना ही पड़ रहा है।


इसके अलावा बाढ़ के पानी के कारण लकड़ी भी गीली जा रही है तो शवदाह के काम में देरी हो रही है। वहीं हरिश्चंद्र घाट के समीप गलियों में शवदाह का काम किया जा रहा है। यहां डोम राजा परिवार के ओंकार चौधरी ने बताया कि अब दिक्कत बढ़ रही है। शवदाह करने आने वालों के साथ ही हम लोगों को भी बाढ़ के पानी से दिक्कत हो रही है।


बंद घरों की निगरानी करे पुलिस

पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने थानेदारों को कहा है कि जिन इलाकों के लोग अपने घर छोड़ कर राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं पुलिस वहां मोटरबोट से पेट्रोलिंग बढ़ाए। बंद घरों में चोरी की शिकायत नहीं आनी चाहिए। पुलिस यह भी सुनिश्चित करे के बाढ़ से घिरे मकानों में कोई फंसा न हुआ हो।


जिसको भी पुलिस की मदद चाहिए वह 112 नंबर या फिर अपने नजदीकी थाने के थानेदार के सीयूजी पर कॉल करे। थानेदार यह सुनिश्चित करें कि सीयूजी नंबर पर आने वाली हर कॉल को वह अटेंड करेंगे और कोई मदद मांगेगा तो तत्काल एनडीआरएफ की टीम लेकर पहुंचेंगे।


जो मांगे उसे मिले मदद खुद से भी देखें

डीएम कौशल राज शर्मा ने कहा है कि बीते वर्षों में जो भी व्यक्ति अथवा परिवार बाढ़ से प्रभावित होने पर शिविरों में लाए गए थे उनकी सूची बना ली जाए। यदि कहीं नाव की आवश्यकता है तो उसका आकलन कर उनसे संपर्क कर लिया जाए। बाढ़ प्रभावित परिवार और लोगों की संख्या का आकलन कर लिया जाए जिससे कि निर्धारित मात्रा में फूड पैकेट मुख्यालय से प्राप्त कर उसे वितरित किया जा सके।


मवेशियों का भी आकलन कर लें जिससे कि उनके लिए भूसा और चारे की व्यवस्था कराई जा सके। स्वास्थ्य विभाग क्लोरीन की दवा का लगातार वितरण करते रहे। अगर किसी परिवार में छोटा बच्चा दिव्यांग व्यक्ति अथवा बीमार व्यक्ति है तो उसकी भी सूची अलग से बना ली जाए। ताकि उनके लिए दूध दवा या किसी अन्य तरह की व्यवस्था में कोई दिक्कत ना आए। डीएम ने कहा कि जो मदद के लिए उस हर व्यक्ति के पास तक प्रशासन की टीम पहुंचे। इसके अलावा प्रशासन की टीम खुद से भी देखे कि कहीं किसी को कोई आवश्यकता तो नहीं है।


अधिकतम तापमान 32.6 डिग्री सेल्सियस


वाराणसी का अधिकतम तापमान सामान्य से 1 डिग्री कम 32.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री कम 24.4 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया गया। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वाराणसी समेत यूपी के मैदानी इलाकों में अगले कुछ दिन अच्छी बरसात हो सकती है। बाबतपुर स्थित मौसम विज्ञान विभाग के ऑफिस के अनुसार हवा 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही है। नमी 99% पर है।

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