सुप्रीम कोर्ट में गोरखपुर के हेट स्पीच मामले को दोबारा खोलने के लिए दाखिल हुई थी याचिका खारिज हुई

सुप्रीम कोर्ट में गोरखपुर के हेट स्पीच मामले को दोबारा खोलने के लिए दाखिल हुई थी याचिका खारिज हुई

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के हेट स्पीच मामले में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। 2007 की गोरखपुर हिंसा मामले में सीएम योगी पर मुकदमे की इजाजत नहीं देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। केस को दोबारा खोलने की मांग रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 अगस्त को इस मामले में दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।


इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है


योगी के भड़काऊ भाषण की जांच की मांग करने वाली याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है। इस पूरे मामले में राज्य सरकार ने पिछले साल आदित्यनाथ योगी को साक्ष्य ना होने की वजह से अभियुक्त बनाने से मना कर दिया था।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमे की नहीं दी थी इजाजत

फरवरी 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर दंगों में योगी आदित्यनाथ की भूमिका की जांच मांग खारिज कर दी थी। याचिका में साल 2007 में हुए गोरखपुर दंगों में आदित्यनाथ की भूमिका की केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से दोबारा जांच करवाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।


मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार के बाद दाखिल हुई थी क्लोजर रिपोर्ट

सीजेआई एनवी रमण जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील फुजैल अहमद अय्यूबी ने हाईकोर्ट के समक्ष रखे गए मुद्दों में से एक का उल्लेख किया। इसमें लिखा गया था कि क्या सरकार धारा 196 के तहत आपराधिक मामले में ऐसे व्यक्ति के लिए आदेश पारित कर सकती है जो उसी बीच राज्य का मुख्यमंत्री चुना जाता है और अनुच्छेद 163 के तहत कार्यकारी प्रमुख है। वकील ने कहा हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार नहीं किया। इस पर पीठ ने पूछा एक और मुद्दा है। एक बार जब आप निर्णय के अनुसार योग्यता पर चले जाते हैं और सामग्री के अनुसार यदि कोई मामला नहीं बनता है तो मंजूरी का सवाल कहां है। अगर कोई मामला है तो मंजूरी का सवाल आएगा। अगर कोई मामला ही नहीं है तो मंजूरी का सवाल कहां है। अय्यूबी ने कहा मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के कारण ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है।


SC में यूपी सरकार का तर्क

यूपी सरकार की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा इस मामले में कुछ बचा ही नहीं। उन्होंने कहा CFSL के पास सीडी भेजी गई थी और पाया गया कि उसके साथ छेड़छाड़ हुआ था। साथ ही याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है हाईकोर्ट ने उस पर ध्यान दिया है। रोहतगी ने कहा कि न्यायालय को जुर्माना लगाकर मामले को खारिज कर देना चाहिए। रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2008 में एक टूटी हुई कॉम्पैक्ट डिस्क दी थी और फिर पांच साल बाद उन्होंने कथित तौर पर अभद्र भाषा की एक और सीडी दे दी।


2007 में गोरखपुर में क्या हुआ था?

2007 में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को शांति भंग करने और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प में एक युवक की मौत के बाद उन्होंने समर्थकों के साथ मिलकर जुलूस निकाला था। आरोप कि योगी आदित्यनाथ द्वारा कथित अभद्र भाषा के बाद उस दिन गोरखपुर में हिंसा की कई घटनाएं हुईं थी।

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