देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही क्रिप्टो-करेंसी के बीच ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है और यह क्रिप्टो-करेंसी के साथ क्यों जोड़कर देखी जा रही है क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. क्रिप्टो-करेंसी के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.
यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.
ब्लॉकचेन को माना जाता है सुरक्षित
ब्लॉकचेन के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है और इसे बदलना हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं इसे बिटकॉइन के प्लेटफॉर्म से भी ज्यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.
यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.