वाशिंगटन। अमेरिका ने कहा है कि भारत के रूस के साथ दशकों पुराने संबंध हैं लिहाजा भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव हटाने में लंबा समय लगेगा। अमेरिका ने कहा कि वह चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) एवं अन्य मंचों के जरिए भारत के साथ बहुत निकटता से काम कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यहां संवाददाताओं से कहा किसी अन्य देश की विदेश नीति के बारे में बात करना मेरा काम नहीं है लेकिन भारत से हमने जो सुना है मैं उस बारे में बात कर सकता हूं।
हमने दुनियाभर में देशों को यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट समेत कई बातों पर स्पष्ट रूप से बात करते देखा है। हम यह बात भी समझते हैं और जैसा कि मैंने कुछ ही देर पहले कहा था कि यह बिजली का बटन दबाने की तरह नहीं है। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा यह विशेष रूप से उन देशों के साथ समस्या है जिनके रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं। जैसा कि भारत के मामले में है उसके संबंध दशकों पुराने हैं। भारत को अपनी विदेश नीति में रूस की तरफ झुकाव हटाने में लंबा समय लगेगा। प्राइस ने रूस एवं चीन और भारत समेत कई अन्य देशों के बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा देश अपने संप्रभु फैसले नियमित रूप से स्वयं करते हैं। यह तय करना उनका पूर्ण अधिकार है कि उन्हें कौन से सैन्य अभ्यास में भाग लेना है।
मैं यह भी उल्लेख करूंगा कि इस अभ्यास में भाग ले रहे अधिकतर देश अमेरिका के साथ भी नियमित रूप से सैन्य अभ्यास करते हैं। प्राइस ने कहा मुझे इस गतिविधि से जुड़ी कोई और बात दिखाई नहीं देती। अब व्यापक विषय यह है कि हमने चीन और रूस के बीच सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में संबंध बढ़ते देखे हैं। हमने रूस और ईरान के बीच संबंध बढ़ते देखे हैं और हमने सार्वजनिक रूप से इस पर बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर चीन और रूस जैसे देशों के नजरिए के मद्देनजर चिंता की बात है।