काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनें एक साल हो चुके हैं। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से सेना हटाने की घोषणा के बाद से ही तालिबान एक्टिव हो गया था। खूब तबाही मचाने के बाद तालिबान ने अपने नियम कानून के अनुसार सरकार का गठन किया। सरकार के गठन के दौरान भी तालिबानियों के बीच ही आपस में फूट भी देखी गयी लेकिन बावजूद इसके एक साथ अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बनीं रही। आइये आपको बताते हैं कि पिछले एक साल में कौन-कौन से अफगानिस्तान में घटनाएं हुई जिसके कारण तालिबान सरकार चर्चा में रही।
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का एक साल पूरा
तालिबान को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किये हुए एक साल हो गया जिसके बाद देश बुनियादी रूप से पूरी तरह बदल गया है। इस मौके पर तालिबान लड़ाकों ने पैदल साइकिलों और मोटर साइकिलों पर काबुल की सड़कों पर विजय परेड निकाली जिसमें कुछ ने राइफलें भी ले रखी थीं। एक छोटे समूह ने अमेरिका के पूर्व दूतावास के सामने से गुजरते हुए इस्लाम जिंदाबाद और अमेरिका मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। अफगानिस्तान में एक साल में बहुत कुछ बदल गया है। आर्थिक मंदी के हालात में लाखों और अफगान नागरिक गरीबी की ओर जाने को मजबूर हुए हैं।
महिलाओं के लिए अफगानिस्तान बना नर्किस्तान
इस बीच तालिबान नीत सरकार में कट्टरपंथियों का दबदबा बढ़ता दिख रहा है। सरकार ने लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा तथा रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने पर पाबंदियां लगा दी हैं जबकि शुरुआत में देश ने इसके विपरीत वादे किये थे। आम अफगानों खासकर महिलाओं के लिए तालिबान की वापसी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्रारंभ में तालिबान ने कठोर इस्लामी शासन के एक नरम संस्करण का वादा किया था लेकिन इस्लाम के आंदोलन की कठोर दृष्टि का पालन करने के लिए महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। दसियों हज़ार लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों से बाहर कर दिया गया है जबकि महिलाओं को कई सरकारी नौकरियों में लौटने से रोक दिया गया है। और मई में उन्हें सार्वजनिक रूप से पूरी तरह से बुर्का के साथ आदर्श रूप से कवर करने का आदेश दिया गया था। काबुल की रहने वाली ओगई अमाइल ने एएफपी को बताया जिस दिन से वे आए हैं जीवन ने अपना अर्थ खो दिया है। उन्होंने कहा हमसे सब कुछ छीन लिया गया है वे हमारे निजी स्थान में भी प्रवेश कर गए हैं।
एक साल बाद भी लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जा रहा है और महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर खुद को सिर से पांव तक ढककर जाना होता है। साल भर पहले हजारों अफगान नागरिक तालिबान के शासन से बचने के लिए देश छोड़ने के लिहाज से काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। अमेरिका ने 20 साल की जंग के बाद अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था और ऐसे हालात बने थे।
मानवीय संकट
तालिबान के सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद से अफ़गानों ने हिंसा में गिरावट को स्वीकार किया है मानवीय संकट ने कई लोगों को असहाय छोड़ दिया है। तालिबान के वास्तविक शक्ति केंद्र कंधार के एक दुकानदार नूर मोहम्मद ने कहा हमारी दुकानों पर आने वाले लोग इतनी ऊंची कीमतों की शिकायत कर रहे हैं कि हम दुकानदार खुद से नफरत करने लगे हैं। हालांकि तालिबान लड़ाकों के लिए जीत की खुशी मौजूदा आर्थिक संकट पर भारी पड़ जाती है। काबुल में एक सार्वजनिक पार्क की रखवाली करने वाले एक लड़ाकू ने कहा हम गरीब हो सकते हैं हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन इस्लाम का सफेद झंडा अब अफगानिस्तान में हमेशा के लिए फहराएगा।
काबुल हवाई अड्डा
15 अगस्त 2021 को सत्ता हथियाने वाले तालिबान से बचने के लिए एक साल पहले हजारों की संख्या में अफगान पुरुष महिलाएं और बच्चे काबुल के हवाई अड्डे पर पहुंचे। एक साल बाद हवाईअड्डा अब सामान्य स्थिति में है कुछ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित हो रही हैं लेकिन प्रमुख विदेशी एयरलाइनों को सुविधा से पूर्ण शेड्यूल फिर से शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण समर्थन की आवश्यकता है। तालिबान अधिकारियों ने अबू धाबी स्थित एक फर्म को ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं और यात्रियों की सुरक्षा जांच का काम सौंपा है। हवाई यातायात नियंत्रण उज्बेकिस्तान और कतर के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित अफगानों की जिम्मेदारी है। काबुल हवाईअड्डे की पूर्ण संचालन के लिए वापसी को अफगानिस्तान की बिखरती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
छोटी उपलब्धि
तालिबान के अधिग्रहण के एक साल बाद कुछ अफगानों ने बेहतर सुरक्षा का स्वागत किया है। हालांकि महिलाओं के बीच गरीबी सूखा कुपोषण और लुप्त होती आशा को शासन की छोटी-छोटी सफलताओं ने प्रभावित किया है। नागरिकों की मौत जो हर साल हजारों में हुआ करती थी पिछले साल अगस्त से रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है।
शासन ने हेरोइन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पॉपपीज़ के बढ़ने पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। अफगानिस्तान कई वर्षों से दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा स्रोत रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि दबदबा कैसे आगे बढ़ रहा है लेकिन दक्षिण में हेलमंद प्रांत में अफीम उगाने वाले क्षेत्रों की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान किसानों को अफीम के खेतों को नष्ट करने के लिए मजबूर कर रहा है।
अल-जवाहिरी की उपस्थिति
जैसे ही तालिबान को एक साल पूरा होने वाला था अफगानिस्तान में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी की मौजूदगी से तालिबान शासन को झटका लगा है। तालिबान ने दावा किया कि उसे अल-जवाहिरी की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी अमेरिका ने 2 अगस्त को घोषणा की थी कि उसने उसे काबुल में ड्रोन हमले से मार डाला था। हालाँकि अल-क़ायदा नेता की हत्या साबित करती है कि तालिबान नेता एक उच्च तकनीक वाले दुश्मन के प्रति कितने संवेदनशील हो सकते हैं।
इस मौके पर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने देश छोड़ने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह विद्रोहियों के सामने समर्पण के अपमान से बचना चाहते थे। उन्होंने सीएनएन से बातचीत में कहा कि 15 अगस्त 2021 की सुबह जब तालिबान काबुल तक पहुंच गया था तो राष्ट्रपति भवन में वही बचे थे क्योंकि उनके सारे सुरक्षाकर्मी गायब थे।