KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लंबे समय से फेल होने वाले MBBS छात्रों को बाहर का रास्ता दिखाएगा। NMC यानी नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों का हवाला देते हुए चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे स्टूडेंट्स के खिलाफ एक्शन लेने जा रहा है।
KGMU कुलपति डॉ. बिपिन पुरी के मुताबिक MBBS में चार बार फेल होने पर ऐसे स्टूडेंट्स को अब बिना पास हुए ही विश्वविद्यालय से बाहर का रुख करना पड़ेगा। फिलहाल KGMU में MBBS की 250 सीटें हैं। BDS की 70 सीटों पर दाखिले हो रहे हैं।
यह है पूरा मामला
KGMU में अभी ऐसे 37 मेडिकल स्टूडेंट्स हैं जो करीब 20 से 22 सालों से पास ही नहीं हो सके हैं। ज्यादातर छात्रों की शादी हो गई है। उनके बच्चे भी स्कूल जा रहे हैं। वे अभी भी पास करने की जद्दोजहद में हैं। ऐसे छात्रों को कई मौके दिए रियायतें भी दीं। इसके बावजूद छात्र सफल नहीं हो रहे हैं। ऐसे छात्रों के अनुरोध पर KGMU ने समिति का गठन किया था। समिति ने इनको पास करने के लिए विशेष कक्षाएं चलाने के लिए कहा था। इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला। सारी जुगत फेल होने के बाद अब KGMU इन छात्रों के खिलाफ कठोर फैसला करने को मजबूर हैं।
जमकर किया बखान
KGMU ने टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के साथ करार किया। KGMU के पांच छात्र विदेश जा रहे हैं। इसके बाद फरवरी में टेक्सास के 10 छात्र KGMU आएंगे।
दंत संकाय के नए भवन में भी OPD पर्चा बनेगा। अभी मरीजों को पुरानी डेंटल बिल्डिंग में पर्चा बनवाने जाना पड़ रहा है।
कई विभागों में PG की सीटें बढ़ी हैं। दंत संकाय के हर विभाग में अब दो-दो सीट बढ़ी है। रेस्पीरेटरी मेडिसिन फॉरेंसिक मेडिसिन फॉर्माकोलॉजी विभागों में पीजी की सीट बढ़ी हैं। नए शैक्षिक सत्र से दाखिले होंगे।
KGMU में हॉस्पिटल आधारिक कैंसर मरीजों का पंजीकरण होगा। यहां प्रदेश भर से मरीज आ रहे हैं। मरीज पहले किस अस्पताल गया। इसकी जानकारी आसानी से हो सकेगी। इससे कैंसर मरीजों का सही आंकड़ा जुटाया जा सकेगा।
KGMU अन्य जनपदों में स्थित अस्पतालों से भी टेलीमेडिसिन से जुड़ जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि मरीज का पंजीकरण यहीं से हो जाएगा। मरीज की स्थिति गंभीर होने पर तुरंत KGMU भेजा जा सकेगा।
देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए KGMU को नोडल सेंटर बनाया गया है। मंकीपॉक्स की जांच इलाज और बाकी अस्पतालों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी दी गई है।