हाँथो में थाम कर तिरंगा निकल पड़े हैं रक्षक हमारे
गूंजा गगन वंदेमातरम के उद्गारों से , कांपे भक्षक कानून के बहुसारे
Khanzarsutra.com की तरफ से हमारी पुलिस के लिए ये नगमा और दिल की गहराइयों से सलाम
चाहे अंगारे बरसे की बिजली गिरे
तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे
कोई मुश्किल हो या कोई मोर्चा
साथ हर मोड़ पे होंगे साथी तेरे
अब जो भी हो शोला बन के पत्थर है पिघलाना
अब जो भी हो बादल बन के पर्बत पर है छाना
कंधों से मिलते हैं कंधे, क़दमों से कदम मिलते हैं
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं
एक चेहरा अक्सर मुझे याद आता है
इस दिल को चुपके चुपके वो तड़पाता है
जब घर से कोई भी खत आया है
कागज़ को मैंने भीगा भीगा पाया है
हो पलको पे यादों के कुछ दीप जैसे जलते है
कुछ सपनें ऐसे है जो साथ साथ चलते हैं
कंधों से मिलते हैं कंधे कदमो से कदम मिलते हैं
जय हिंद