साइबर अपराध के मामले आए दिन आते रहते हैं और अब रिपोर्ट में चौंकाने वाला आंकड़ा सामना आया है. McAfee की साइबरबुलिंग रिपोर्ट से पता चला है कि 42 प्रतिशत भारतीय बच्चे नस्लवादी साइबर धमकी का शिकार रहे हैं जो दुनिया (28 प्रतिशत) की तुलना में 14 प्रतिशत ज़्यादा है. सोमवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक 85% भारतीय बच्चों को अंतरराष्ट्रीय औसत से दोगुनी साइबर धमकी (Cyberbullying) का सामना करना पड़ता है.
भारत में लड़कियों में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यौन उत्पीड़न की उच्चतम दर देखी गई है जो 10 से 14 आयु वर्ग में 32 प्रतिशत और 15 से 16 आयु वर्ग में 34 प्रतिशत है
इन जगहों पर सबसे ज़्यादा होती है साइबरबुलिंग:
1-Message- टैबलेट और मोबाइल फोन के लिए ऐप्स भेजना
2-Social media – फेसबुक इंस्टाग्राम ट्विटर पर
3-Online – मैसेज बोर्ड चैट रूम और रेडिट जैसे फोरम पर
4-ऑनलाइन चैटिंग डायरेक्ट मैसेज और इंस्टेंट मैसेजिंग
5- गेमिंग कम्यूनिटी द्वारा
6-Email द्वारा
अपने बच्चों को Cyberbullying से कैसे रखें सेफ:
Password Sharing: अपने बच्चे को हमेशा इस बात को लेकर समझाएं कि वह अपने पासवर्ड किसी के साथ भी शेयर न करें. चाहे वह उनका सबसे अच्छा दोस्त ही क्यों न हो.
Identity: बच्चों को हमेशा ये बताते रहें कि जो भी ऑनलाइन जैसा दिख रहा है ज़रूरी नहीं कि वह वैसा ही हो. इसलिए ऐसा मुमकिन है कि कोई लड़का अपनी प्रोफाइल पर लड़की की प्रोफाइल बनाकर चैटिंग करता हो.
Privacy: अपने बच्चे को हमेशा प्राइवेसी सेटिंग को लेकर जागरूक करें. उनके साथ बैठे और उनके सोशल मीडिया के अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग को अडजस्ट करें जिससे कि सिक्योरिटी बढ़ जाती है. इसमें टैग ब्लॉ फोटो शेयरिंग को ऑफ करना बहुत ज़रूरी होता है.
Awareness: अपने बच्चे को इस बात के बारे में जरूर कहें कि अगर कोई उन्हें परेशान करके या डरा धमकाकर कोई काम कराता है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है. वह उस समय डरने के बजाए मां-बाप से शेयर करें.