फिरोजाबाद (उप्र)। फिरोजाबाद नगर के थाना रामगढ़ क्षेत्र के एक शिक्षक के व्हाट्सऐप नंबर से कथित तौर पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के नाम से मंत्रियों को संदेश भेजकर उपहार मांगे जाने का मामला प्रकाश में आया है। पुडुचेरी पुलिस ने सोमवार को इस मामले में संबंधित शिक्षक को हिरासत में ले लिया और अपने साथ उसे पुडुचेरी ले गई। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
फिरोजाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आशीष तिवारी ने सोमवार को बताया कि पुडुचेरी में साइबर धोखाधड़ी हुई है और मोबाइल नंबर यहां के शिक्षक का पाए जाने के बाद पुडुचेरी की पुलिस टीम यहां आई थी। पुलिस क्षेत्राधिकारी (नगर) अभिषेक श्रीवास्तव ने पूछे जाने पर पीटीआई- को बताया कि शनिवार की शाम को पुडुचेरी पुलिस आई और संबंधित व्यक्ति से गहन पूछताछ की।
उन्होंने बताया कि पुडुचेरी पुलिस की ओर से सोमवार को अदालत में ट्रांजिट रिमांड के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था जिसके आधार पर वह मनोज शर्मा (कथित आरोपी) को अपने साथ हिरासत में ले गई है। फिरोजाबाद नगर में पहुंची पुडुचेरी पुलिस के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश की उपराज्यपाल के नाम से बनाए गए व्हाट्सऐप अकाउंट से वहां सरकार के कई मंत्रियों को संदेश भेजे गए और इन संदेश में एमेजोन कार्ड से गिफ्ट खरीद कर भेजने को कहा गया।
इस बारे में पूछे जाने पर रामगढ़ पुलिस ने बताया कि व्हाट्सऐप अकाउंट की डीपी पर उपराज्यपाल की फोटो भी लगाई गई थी। पुलिस ने शिकायत की जांच की तो जिस मोबाइल नंबर पर व्हाट्सऐप अकाउंट चल रहा था वह नगर के दीदामई प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मनोज शर्मा के नाम पर निकला। शनिवार रात को यहां पहुंची पुडुचेरी पुलिस के इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने पुलिस टीम के साथ स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया और पूरे मामले की जानकारी दी।
इसके बाद शिक्षक मनोज शर्मा को रामगढ़ थाने बुलाकर कई घंटे तक पूछताछ की गई। जहां शिक्षक बार-बार यह कहते रहे कि वे अपने मोबाइल नंबर पर व्हाट्सऐप नहीं चलाते हैं तो संदेश कैसे भेज सकते हैं। इस बारे में क्षेत्राधिकारी श्रीवास्तव ने बताया कि पुडुचेरी पुलिस के साथ पूछताछ में प्रथम दृष्टया यह जानकारी मिली कि शिक्षक मनोज शर्मा के मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आया था और इसके बाद व्हाट्सऐप अकाउंट सक्रिय हुआ। इस मामले में आगे भी गहनता से जांच की जा रही है। सीओ ने बताया कि पुडुचेरी पुलिस मनोज शर्मा के तर्क सुनने को तैयार नहीं थी।