प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशहित में जो भी कदम उठाते हैं कुछ विरोधी दल बिना आगा पीछा सोचे उसके विरोध में झंडा उठा लेते हैं फिर चाहे प्रधानमंत्री का विरोध देश विरोध में ही क्यों न बदल जाए। यह गलती वे लगातार कर रहे हैं कि मोदी और भाजपा तथा भारत विरोध में अंतर नहीं समझ पा रहे। इसी क्रम में इस बार हर घर तिरंगा अभियान के आह्वान के साथ ही कांग्रेस सहित समस्त वामपंथी विचारधारा के लोगों ने एकत्र होकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा हमला बोल दिया है।
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों को हर घर तिरंगा अभियान रास नहीं आ रहा है और वो अनावश्यक रूप से संघ पर हमला बोल रहे हैं जिसमें असद्दुदीन ओवैसी सबसे आगे दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम सांसद भी उनके सुर में सुर मिला रहे हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर संघ ने अपने कार्यालय में 55 वर्षों तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया ? ऐसे लोग जिनके कारण देश का विभाजन हुआ वह संघ की देशभक्ति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपनी सत्ता को बचाने के लिए आपातकाल लगाया और सभी विरोधी दलों के नेताओं को जेलों में ठूंस दिया था वह लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व संघ पर तानाशाही का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस अपना ही समस्त इतिहास भूलकर झूठा नकारात्मक खेल खेल रही है। अगर संघ एक देशद्रोही संगठन है तो फिर कांग्रेस की ही सरकार ने उस पर से प्रतिबंध क्यों हटा दिया था
यह बात बिल्कुल सत्य है कि देश को स्वतंत्र कराने का काम अकेले कांग्रेस ने नहीं किया था अपितु कांग्रेस ने तो देश का विभाजन करा दिया था। राहुल गांधी व देश के तथाकथित नेताओं को बार-बार पुराना इतिहास पढ़ना चाहिए। लगता है कि राहुल गांधी यह सब भूल गये हैं कि 1962 में भारत पर चीन के आक्रमण के समय संघ के स्वयंसेवकों की सेवा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी ने 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में संघ को आमंत्रित किया था। संघ के कार्यक्रमों में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन भी हिस्सा ले चुके हैं। उन्होंने 20 नवम्बर 1949 को मुंगेर में कहा था कि संघ के लोग मुसलमानों से घृणा करते हैं। उन पर आक्रमण करते हैं इस प्रकार का आरोप सर्वथा असत्य है। मुसलमानों को भी संघ से परस्पर प्रेम सहयोग और संगठन कुशलता का काम सीखना चाहिए। 1965 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने संघ के सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर को सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया था। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी 1977 में संघ के कहने पर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया था। इतना ही नहीं अगर कांग्रेस व राहुल गांधी अपना पुराना इतिहास इतना ही भूल गये हैं तो उन्हें यह तो याद रखना ही चाहिए 2018 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और अपना सारगर्भित उद्बोधन भी दिया था और उस समय इस घटना को बहुत महत्वपूर्ण माना गया था।
वास्तव में घोटालों में बुरी तरह से घिरते जा रहे राहुल गांधी हर घर तिरंगा अभियान को बदनाम करने के लिए संघ से सवाल पूछ रहे हैं कि संघ ने 52 साल तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया ? आज वह लोग संघ पर 52 साल तक तिरंगा न फहराने का आरोप लगा रहे हैं जिन्होंने तिरंगे को ही गुलाम बनाकर रख दिया था जबकि आज तिरंगे को वास्तविक सम्मान मिल रहा है। अभी तक तिरंगे को कुछ लोगों और भवनों तक ही सीमित रख गया था। कांग्रेस ने तो 70 साल तक तिरंगा आम जनता तक पहुंचने ही नहीं दिया था। अब तिरंगा एक गरीब के घर की भी शान हो गया है।
इतिहास गवाह है कि वर्ष 2024 तक निजी तौर पर तिरंगा फहराने में कई तरह की पाबंदियां थीं और आज जो लोग यह आरोप लगा रहे है कि संघ ने 52 साल तक तिरंगा क्यों नही फहराया उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता होनी चाहिए कि 2004 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी और उसका निर्णय आने के बाद ही तिरंगा फहराये जाने पर सभी प्रतिबंध समाप्त हुए थे और उसके बाद से लगातार संघ कार्यालय पर राष्ट्रध्वज फहराया जा रहा है। आज जिस प्रकार से हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है वह भी संघ के एक स्वयंसेवक वकील के माध्यम से ही संभव हुआ है। इससे पहले भी संघ के स्वयंसेवक द्वारा संगठन और तमाम कार्यालयों में तिरंगा फहरता रहा है। अतः आज संघ पर जो आरोप लगाये जा रहे हैं वह केवल अपनी बची हुई जमीन को ही बचाने और अपने घोटालों तथा पापों से जनता का ध्यान हटाने के लिए लगाये जा रहे हैं।
राहुल गांधी ने संघ को देशद्रोही कहकर आज उस हर नागरिक को देशद्रोही कह दिया है जो पूरे जोश उत्साह व उमंग के साथ स्वयं आगे बढ़कर हर घर तिरंगा अभियान में भाग ले रहा है। जिस प्रकार देश में स्वच्छता अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित तमाम अभियान जन अभियान बन गये अब उसी प्रकार हर घर तिरंगा भी फहराया जायेगा। राहुल गांधी ने संघ को देशद्रोही तो कह दिया लेकिन वह महात्मा गांधी के विचारों को भी भूल गये। गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों से मिलने की इच्छा व्यक्त की। कार्यकर्ताओं को एकत्र किया गया। उनको सम्बोधित करते हुए गांधी जी ने कहा था कि कुछ वर्ष पहले जब संघ के संस्थापक जीवित थे आपके शिविर में गया था। वहां पर आपके अनुशासन अस्पृश्यता का पूर्ण रूप से अभाव और कठोर सादगीपूर्ण जीवन देखकर काफी प्रभावित हुआ। सेवा और स्वार्थ त्याग के उच्च आदर्श से प्रेरित कोई भी संगठन दिन-प्रतिदिन अधिक शक्तिमान हुए बिना नहीं रहेगा। आज महात्मा गांधी की बात सत्य हो रही है। आज संघ की शाखाएं शहर-शहर और गांव-गांव तक हैं। हर कोई संघ के विषय में गहराई के साथ जानकारी चाह रहा है।
सच तो यह है नेशनल हेराल्ड घोटाले की जांच तेज गति से चल रही है और संभावना जताई जा रही है कि आगे चलकर ईडी गांधी परिवार के सदस्यों को हिरासत में भी ले सकती है। जिसके कारण सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी दबाव और तनाव में आ गये हैं और संघ पर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं।