उपराष्ट्रपति पद पर जगदीप धनखड़ की जीत बड़े राजनीतिक संदेश दे रही है

उपराष्ट्रपति पद पर जगदीप धनखड़ की जीत बड़े राजनीतिक संदेश दे रही है

किसान पुत्र और प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ भारत के नये उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो गये हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए कराये गये चुनाव में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया। जगदीप धनखड़ वर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू की जगह लेंगे। देखा जाये तो आंकड़े शुरू से ही पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पक्ष में थे। एनडीए उम्मीदवार के नाते उन्हें भाजपा और जनता दल युनाइटेड के सांसदों का तो समर्थन प्राप्त था ही साथ ही वाईएसआर कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी बीजू जनता दल अन्नाद्रमुक और शिवसेना ने भी समर्थन दिया था। शुरू से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि धनखड़ को 500 से ज्यादा मत हासिल होंगे। खास तौर पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेने से धनखड़ की जीत पहले ही पक्की हो चुकी थी। हम आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के दोनों सदनों में मिलाकर 39 सांसद हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के दो बागी सांसदों- शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी ने मतदान में भाग लिया। माना जा रहा है कि उन्होंने धनखड़ के पक्ष में ही मतदान किया।


जहां तक जगदीप धनखड़ के परिचय की बात है तो आपको बता दें कि धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी मौजूदा भूमिका से पहले 71 वर्षीय जगदीप धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले जनता दल और कांग्रेस में रहे धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की थी। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया जाना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जगदीप धनखड़ अल्पकालिक चंद्रशेखर सरकार में मंत्री भी रहे थे। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके संबंध काफी तनावपूर्ण रहे थे क्योंकि धनखड़ अक्सर कानून व्यवस्था सही नहीं होने का मुद्दा उठाया करते थे जिसके चलते उन पर राज्य सरकार की ओर से पलटवार किया जाता था।


जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने के साथ ही इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले वह राजस्थान के दूसरे नेता बन गये हैं। जगदीप धनखड़ से पहले भैरों सिंह शेखावत ऐसी शख्सियत थे जोकि देश के उपराष्ट्रपति रहे थे। खास बात यह है कि स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत और जगदीप धनखड़ एक ही क्षेत्र यानि शेखावाटी से ताल्लुक रखते हैं। धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचन से एक इत्तेफाक यह भी हो गया है कि लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य के हो गये हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।


उल्लेखनीय है कि पिछले महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए उम्मीदवार के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जीत हासिल की थी। इस तरह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में जीत के बाद जहां एनडीए का आत्मविश्वास आगामी चुनावों को लेकर और बढ़ा है वहीं विपक्ष के हाथ मायूसी लगी है। खासतौर पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह विपक्ष बिखरा नजर आया वह दर्शाता है कि सत्तारुढ़ गठबंधन की रणनीतियां कामयाब हो रही हैं। 

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