हर-हर शंभू गाने ने हर तरफ धूम मचा रखी है। सावन के पवित्र महीने में भोले बाबा के भक्त ये गाना गुनगुना रहे हैं। हर तरफ हर हर शंभू के गाने पर लोग झूमते हुए नजर आ रहे हैं। हर हर शंभू रिलीज हुआ था देखते ही देखते ये गाना यूट्यूब पर ट्रेंड करने लगा। यूट्यूब सिंगर फरमानी नाज ने इसे गाया और फिर विवादों में भी घिर गईं। कंट्रोवर्सी तो जरूर हुई लेकिन सावन में हर हर शंभू गाकर फरमानी जरूर छा गईं। भगवान शिव का भजन गाकर सुर्खियों में आने वाली सिंगर फ़रमानी नाज़ कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई हैं। इंडियन आइडल फेम सिंगर के भजन को देवबंद के उलेमाओं ने गैर-इस्लामी बताते हुए फ़तवा जारी किया है। पिछले दिनों फ़रमानी ने यू-ट्यूब पर भजन पोस्ट किया था जिसको संगीत प्रेमियों के साथ शिव भक्तों ने बहुत पसंद किया है। साथ ही सोशल मीडिया पर भी उनकी फैन फॉलोइंग काफी बढ़ गई।
सावन के महीने में भगवान भोले का ये भजन तो हिट है लेकिन इस भजन की वजह से इसे गाने वाली सिंगर मुसीबत में फंस गई हैं। अपनी सुरीली आवाज से लाखों फॉलोअर बनाने वाली सिंगर का नाम फरमानी नाज है। मुजफ्फरनगर की रहने वाली फरमानी नाज का भजन शंभू-शंभू सावन के महीने में यूट्यूब पर अपलोड होते ही वायरल हो गया। संगीत के दिवानों के साथ हजारों की संख्या में कांवड़िए और भगवान शिव के भक्त भी इस भजन को सुनकर झूमने-गाने लगे। कावड़ यात्रा के दौरान भी जगह-जगह ये भजन गूंजने लगा। संगीत प्रेमियों से लेकर आम लोग जहां इस भजन के लिए फरमानी नाज की तारीफ कर रहे हैं। वहीं कट्टरपंथी मुस्लिम उलेमाओं को ये नागवार लगने लगा। वे फरमानी नाज से खफा हो गए और मुसलमान गायक के भगवान शिव की भक्ति में भजन गाने को शरीयत के खिलाफ बताने लगे। उन्होंने फरमानी नाज के खिलाफ फतवा तक जारी कर दिया। जबकि फरमानी नाज का कहना है कि कलाकार लोगों की खुशी के लिए गाता है। कला ही उसका धर्म होता है। वो भजन भी गाता है कव्वाली भी गाता है।
कट्टरपंथी और मौलानाओं के निशाने पर आईं सिंगर
देवबंद के कुछ मौलानाओं ने एक मुस्लिम महिला के हिंदुओं के भगवान पर गाना बनाने की आलोचना की है। उनके खिलाफ फतवा भी जारी किया है। देवबंद उलेमा ने नसीहत दी है कि इस्लाम में किसी तरह के संगीत से परहेज है। ये इस्लाम के खिलाफ है इसलिए फरमानी को इससे तौबा कर लेनी चाहिए थी। फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि किसी दूसरे मजहब की शिनाख्त वाले कार्यों से मुसलमानों को परहेज करना चाहिए। क्योंकि इस्लाम में इस तरह की चीजों की सख्ती के साथ मनाही है। मुसलमानों को अपने धर्म की शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए और गैर इस्लामी कामों से बचना चाहिए।
हिन्दू संगठनों का मिला साथ
भगवान शिव के भजन के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवा जारी करने पर हिंदुवादी संगठनों ने सवाल उठाते हुए फरमानी नाज को सुरक्षा देने की मांग कर दी। हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष नरेंद्र पंवार ने देश का माहौल खराब करने वालों के खिलाफ सीएम योगी से जांच कराने की अपील कर डाली। पंवार ने फरमानी नाज का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने भोले के लिए सुदंर भजन की प्रस्तुति की है। हिंदू जागरण मंच की तरफ से प्रशासन से फरमानी नाज की सुरक्षा की व्यवस्था करने की मांग की गई है। नरेंद्र पंवार ने कहा कि सौहार्द की प्रस्तुति करने वाले कलाकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन को जरूर करनी चाहिए।
कौन हैं फरमानी नाज
गरीब परिवार से आने वाली फरमानी नाज अपने गांव से निकलकर इंडियन आइडल तक के मंच पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। अपने प्रशंसकों के सामने एक से बढ़कर एक गाने पेश कर चुकी हैं। फरमानी नाज सिंगर नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं जहां वो गाने रिलीज करती हैं। कुछ गाए हुए तो कुछ ओरिजनल। उनके यूट्यूब चैनल पर 38 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। फरमानी मुजफ्फरनगर जिले के रतनपुरी थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर माफी गांव में रहती हैं। 25 मार्च 2017 को उनकी शादी मेरठ के छोटा हसनपुर गांव के रहने वाले इमरान से हुई थी। शादी के एक साल बाद ही ससुराल वालों की प्रताड़ना के बाद ससुराल छोड़कर मायके आ गई। वे कहती हैं कि बेटा होने के बाद ससुराल में प्रताड़ना का दौर शुरू हुआ। बेटे के गले में बीमारी थी। ससुराल वाले उस पर मायके से पैसे लाने का दबाव बना रहे थे। परेशान फरमानी अपने गांव मोहम्मदपुर माफी वापस आ गई। बाद में यूट्यूब पर गाना शुरू किया। वह इंडियन आइडल में भी भाग ले चुकी हैं। फरमानी नाज ने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में कहा है कि मुझे तलाक दिए बिना ही मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली। इन्हीं सब के बीच मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फरमानी नाज का पूरा परिवार गांव छोड़कर नोएडा जा चुका है। गांव के लोगों का कहना है कि परिवार को रोकने की बहुत कोशिश की गई थी। लेकिन कटटरपंथियों के डर से परिवार ने गांव छोड़ दिया।
पूरे विवाद पर फरमानी नाज का क्या है कहना?
पूरे मामले पर फरमानी ने कहा है कि वो एक कलााकर हैं और कलाकारों का कोई धर्म नहीं होता है। सिर्फ गाना गाया है जो मेरा पेशा है और शौक भी। इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा कर देंगे उलेमा इसका जरा भी इल्म नहीं था मुझे। मेरी आड़ लेकर अपने को समाज में चमकाना चाहते हैं ये लोग। किस धर्म की किताब में लिखा है कि एक गायक सिर्फ अपने धर्म के लिए ही गाए। अगर मुझे दिखा दें तो जैसा ये लोग गाने को कहेंगे मैं गाउंगी। पर ऐसा कहीं लिखा नहीं है। कलाकार परिंदों की तरह होते हैं उन्हें जात धर्म पंथ समुदाय से मतलब नहीं होता। कलाकार आजाद पक्षियों की तरह होते हैं जिन्हें किसी सरहद की दीवारें भी नहीं रोक पातीं फिर ये मुल्ला-मौलाना की औकात ही क्या जो मेरी गायकी पर फतवा निकाल सकें मैं नहीं डरती इनसे। मेरी शादी मेरठ में हुई थी। बेटे के जन्म के बाद पति ने तलाक देकर दूसरी शादी कर ली क्योंकि मेरा बेटा बीमार रहता था। बेटे के लिए मैं गाना गा रही हूं और उसे पाल रही हूं।
बदायूंनी ने लिखा नौशाद अली ने संगीत और रफी ने आवाज
बीती सदी का एक मशहूर भजन मन तरपत हरि दर्शन को आज जिसे मोहम्मद रफी ने गाया था। इसे लिखने वाले शकील बदायूंनी थे और नौशाद अली ने संगीत दिया था। ये तीनों ही लोग मुसलमान थे। लेकिन उस समय फतवा नहीं जारी किया गया था। वैसे बॉलीवुड की मशहूर खान तिकड़ी आमिर खान सलमान खान और शाहरुख खान भी लंबे समय से अभिनय कर रहे हैं। लेकिन इनके खिलाफ कभी फतवा नहीं दिया गया। आसान शब्दों में कहा जाए तो जहां तीन तलाक और हिजाब जैसी चीजों को शरीयत का जामा पहनाकर महिलाओं पर थोपा जाता हो। वहां फरमानी नाज का गाना किसी मौलाना को कैसे पसंद आ सकता है? दिलचस्प बात ये है कि जिस इस्लाम मजहब में नाचना-गाना प्रतिबंधित बताया जा रहा है उसी मजहब के हीरो-हिरोइन बॉलीवुड में भरे पड़े हैं। ये जानते हैं कि अगर इन्होंने उर्फी जावेद जैसी अभिनेत्रियों पर उंगली उठाई तो इन्हें करारा जवाब मिलेगा। ये जानते हैं नोरा फतेही के स्टेप्स पर कमेंट किया तो इन्हें कुछ हासिल नहीं होगा। इनका कट्टरपंथ का जहर सिर्फ फरमानी जैसी महिलाओं के लिए उगला जाता है जिन्होंने मजहब को बेड़ी बनाए बिना फर्श से अर्श तक का सफर खुद से तय किया हो।
बहरहाल संगीत का कोई मजहब नहीं होता। उनकी यह बात गलत होती तो मोहम्मद रफी ए़आर रहमान जावेद अख्तर लता मंगेशकर शकील बदायूंनी जैसे दर्जनों बड़े नाम हैं जिन्होंने एक-दूसरे के धार्मिक भजनों और गीतों को गाया और लिखा है। मुसलमान और ईसाई अभिनेताओं ने हिंदू देवी-देवताओं के रोल किए हैं और हिंदू अभिनेताओं ने मुस्लिम बादशाहों के रोल अदा किए हैं। क्या देवबंद के मौलानाओं को पता नहीं है कि रसखान ने कृष्णभक्ति में जो अदभुत काव्य लिखा है क्या वैसा किसी हिंदू कवि ने भी लिखा है? अगर फरमानी नाज़ के खिलाफ आप फतवा जारी करेंगे तो आपको रहीम रसखान कबीर मलिक मुहम्मद जायसी जैसे भारतीय महाकवियों के खिलाफ भी फतवा जारी करना पड़ेगा। -अभिनय आकाश