मेरठ के वरिष्ठ कवि और साहित्यकार किशन स्वरूप को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा जाएगा। मेरठ के मंगलपांडे नगर में रहने वाले किशन स्वरूप की अब तक 32 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। अब उप्र हिंदी संस्थान ने उन्हें साहित्य भूषण सम्मान के लिए चुना है।
कवि नीरज के छात्र रहे हैं किशन स्वरूप
किशन स्वरूप अपनी साहित्यिक यात्रा को स्मरण करते हुए कहते हैं कॉलेज के दिनों में कवि गोपालदास नीरज का शिष्य रहा हूं। क्योंकि मेरे कॉलेज में नीरज जी प्रोफेसर थे। उन्हीं के सानिध्य में साहित्य का अंकुर मन में फूटा और मैं इस ओर खिंचता चला गया। 1993 में मेरी पहली किताब संबोधन का प्रकाशन हुआ। इसका विमोचन मैंने अपने गुरु गोपालदास नीरज से ही कराया था। विमोचन समारोह देहरादून में हुआ था। इस काव्य संग्रह में सामाजिक परिवेश पर लिखे 40 गीत हैं। तीन बेटियों के पिता हैं तीनों बेटियां मिलकर पिता की देखरेख करती हैं।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई और बन गए कवि
किशन स्वरूप पावर कॉरपोरेशन में चीफ इंजीनियर रहे। लगभग 44 साल से ज्यादा समय तक बिजली विभाग में नौकरी की और 2010 में रिटायर हो गए। लेकिन एक इंजीनियर युवावस्था में ही साहित्य से जुड़ गया था। किशन स्वरूप बताते हैं 1942 में मेरा जन्म अलीगढ़ इगलास में हुआ। अलीगढ़ से पढ़ाई हुई। 1966 में बिजली विभाग में इंजीनियर के पद पर ज्वाइन किया। अलीगढ़ से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और नौकरी मिल गई। नीरज कुंवर बैचेन डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय महेश दिवाकर माहेश्वर तिवारी के साथ मंच साझा कर चुके हैं।
गीत गजल की 32 पुस्तकें हो चुकी हैं प्रकाशित
किशन स्वरूप का सबसे पहला काव्य संग्रह 1993 में संबोधन नाम से प्रकाशित हुआ। 1995 में संभावना पंथ के पांवडे 1996 बूंद बूंद सागर में जमीन की तलश में 1997 घुटन और घुटन आसमान मेरा भी है 1998 समेटे हुए पल तन्हा सफर 2000 दर्द के पैबंद अगला पड़ाव 2005 क्या नाम दूं गजाला 2006 मां 2007 फिर एक बार 2008 अनायास 2009 आहट 2010 कशमकश 2011 दुविधा 2012 दरीचे 2013 परिंदे 2014 किसके आगे हाथ पधारे 2015 जो है सो है अहसास 2017 कल से कल तक गहरे पानी पैठ 2018 रहा किनारे बैठ खो गयी पगडंडियां 2019 यादें हैं यादों का क्या 2020 आइना जब से खफा है कल और कल के दरमियां और 2021 में और जो बाकी रहा।