मीना कुमारी के थे 6 नाम शूटिंग पर जाते वक्त रोती थीं ट्रैजेडी क्वीन

मीना कुमारी के थे 6 नाम शूटिंग पर जाते वक्त रोती थीं ट्रैजेडी क्वीन

बॉलीवुड की दिवंगत एक्ट्रेस मीना कुमारी की आज बर्थ एनिवर्सरी है. वह फिल्म इंडस्ट्री में ट्रैजेडी क्वीन के नाम से जानी जाती थीं. जिंदगी के आखिरी वक्त तक उन्होंने काफी दर्द झेले थे. फिर भी वह बॉलीवुड की महान अदाकारा बनीं रहीं. मीना कुमारी ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में 2 दशक तक राज किया लेकिन इस दौरान वह अपने अकेलेपन से लड़ती रहीं. मीना कुमारी ने हिन्दी सिनेमा में जिस मुकाम को हासिल किया वो आज भी अस्पर्शनीय है. उनकी अधिकतर फिल्मों के दुखांत की वजह से इन्हें बॉलीवुड की ट्रैजेडी क्वीन का खिताब दिया गया था.


मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता अली बख्स भी पारसी रंगमंच के कलाकार थे और उनकी मां थियेटर की मशहूर अदाकारा और नृत्यांगना थीं जिनका ताल्लुक रवीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से था. पैदा होते ही अब्बा अली बख्श ने रुपये की तंगी और पहले से दो बेटियों के बोझ से घबरा कर इन्हे एक मुस्लिम अनाथ आश्रम में छोड़ आए.


मीना कुमारी रील लाइफ में ट्रैजेडी क्वीन के नाम से मशहूर हुईं लेकिन रियल लाइफ में वह 6 नामों से जानी जाती थीं. मीना कुमारी का जब जन्म हुआ तो पिता अलीबख्श और मां इकबाल बानो ने उनका नाम रखा माहजबीं रखा था. बचपन के दिनों में मीना कुमारी की आंखें बहुत छोटी थी इसलिये परिवार वाले उन्हें चीनी कहकर पुकारा करते थे. ऐसा इसलिये कि चीनी लोगों की आंखे छोटी हुआ करती है.


पति कमाल अमरोही प्यार से बुलाते थे मंजू

लगभग चार वर्ष की उम्र में ही मीना कुमारी ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया. प्रकाश पिक्चर के बैनर तले बनी फिल्म लेदरफेस में उनका नाम बेबी मीना रखा गया. इसके बाद मीना ने बच्चों का खेल में बतौर अभिनेत्री काम किया. इस फिल्म में उन्हें मीना कुमारी का नाम दिया गया. मीना कुमारी को फिल्मों में अभिनय करने के अलावा शेरो-शायरी का भी बेहद शौक था. इसके लिये वह नाज उपनाम का इस्तेमाल करती थीं. मीना कुमारी के पति कमाल अमरोही प्यार से उन्हें मंजू कहकर बुलाया करते थे.

शूटिंग पर जाते वक्त रोती थीं माहजबीं

मीना कुमारी एक्टिंग नहीं करना चाहती थी. चार साल की छोटी सी उम्र में फिल्मों में काम शुरू करने वाली माहजबीं शूटिंग पर जाते समय हमेशा रोती थीं. हर बार वो अपने अम्मी और अब्बू से बस यही दरख्वास्त किया करती थीं कि उन्हें दूसरे बच्चों की तरह बस पढ़ने दिया जाए.

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