5 साल की बच्ची ने PM को लिखी चिट्‌ठी पूछा- मोदीजी मेरी पेंसिल-रबर और मैगी क्यों महंगी हुई

5 साल की बच्ची ने PM को लिखी चिट्‌ठी पूछा- मोदीजी मेरी पेंसिल-रबर और मैगी क्यों महंगी हुई

यूपी के कन्नौज में रहने वाली एक 5 साल की बच्ची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मासूमियत से भरी चिट्‌ठी लिखी है। चिट्‌ठी में महंगाई को लेकर पीएम से शिकायत की गई है। बच्ची कक्षा 1 में पढ़ती है। पिता ने पीएम को चिट्‌ठी भेज भी दी है। अभी कोई जवाब नहीं आया है।


बच्ची छिबरामऊ कस्बे में रहती है। उसने चिट्‌ठी में लिखा मेरा नाम कृति दुबे है। मैं कक्षा 1 में पढ़ती हूं। मोदीजी आपने बहुत अधिक महंगाई की है यहां तक कि मेरी पेंसिल और रबर (इरेजर) भी महंगा हो गया और मैगी की कीमत भी बढ़ा दी गई है। अब मेरी मां पेंसिल मांगने पर मुझे मारती है मैं क्या करूं? दूसरे बच्चे मेरी पेंसिल चुरा लेते हैं।


हिंदी में बच्ची ने पीएम को लिखा पत्र

मासूम बच्ची के गुस्से में आकर टूटी-फूटी भाषा में लिखा पत्र सोशल मीडिया पर वायरल है। आवास-विकास कालोनी में रहने वाले बच्ची के पिता विशाल दुबे पेशे से वकील हैं। उन्होंने कहा यह पत्र मेरी बेटी की मन की बात है। बेटी के लिखे हुए पत्र को जब पढ़ा तो उसके जज्बातों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का निर्णय कर लिया। कृति के पिता विशाल दुबे डाक घर पहुंच कर बेटी की चिट्ठी मोदी के नाम से पोस्ट कर आए हैं।


मां कहती है कि सरकार ने सब महंगा कर दिया

पांच साल की कृति दुबे नगर के ही सुप्रभाष अकादमी की कक्षा एक की छात्रा है। कृति हमेशा घर का खाना खाने से मना करती रहती है जबकि मैगी खाने की इच्छा जताया करती है। ऐसे में उसकी मां ने मैगी देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि सरकार ने सब महंगा कर दिया अब सिर्फ खाना खाया करो। इसके अलावा रोज पेंसिल-रबर स्कूल में खो देने से मां ने महंगाई का हवाला देते हुए उसे डांट दिया। बस इसी बात को लेकर कृति ने अपनी कॉपी में मोदी के नाम एक पत्र लिख दिया।


बच्ची को मां ने डांटा तो नाराज हो गई

बच्ची के पिता बताते हैं जब उसकी मां ने उसे स्कूल में पेंसिल खो जाने पर डांटा था तो इस पर वो नाराज हो गई थी।


वहीं छिबरामऊ के एसडीएम अशोक कुमार ने कहा उन्हें इस छोटी बच्ची के पत्र के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से पता चला। मैं किसी भी तरह से बच्ची की मदद करने के लिए तैयार हूं और यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करूंगा कि उसका पत्र संबंधित अधिकारियों तक पहुंचे।

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