चंदौली के सदर ब्लॉक क्षेत्र के मसौनी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों और शिक्षकों को स्कूल आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। बरसात के सीजन में छात्र और शिक्षक किसी प्रकार से खेत की मेड़ से होते हुए स्कूल जाते है। हालांकि दो दशक से अधिक समय से स्कूल बनने के बाद भी रास्ते का निर्माण नहीं होना लोगों के लिए दुखद है। इस ओर किसी अधिकारी का ध्यान तक नहीं जा रहा है।
मसौनी गांव स्थित प्राथमिक स्कूल का निर्माण साल 1997 के आस-पास किया गया। स्कूल की बिल्डिंग काफी अच्छी तरीके से बनाई गई। स्कूल में पौने दो सौ के आसपास बच्चों का पंजीकरण है। बच्चों के पढ़ाने के लिए प्रधानाचार्य सहायक अध्यापक के साथ शिक्षा मित्र की तैनाती की गई है। लेकिन स्कूल बनाने वाले जिम्मेदार दो दशक बाद भी आने जाने के लिए रास्ते का निर्माण करना भूल गए है।
खेत की मेड़ से स्कूल जाते है बच्चे और शिक्षक
स्कूल जाने के लिए कोई रास्ता नहीं होने पर शिक्षकों और बच्चों को खेत की मेड़ से होकर जाना मजबूरी है। प्राथमिक विद्यालय मसौनी की शिक्षा मित्र तारा कुमारी ने बताया छात्र और शिक्षक कीचड़ से होकर स्कूल आते है। रास्ता बनाने के लिए अफसरों से गुहार लगाई गई लेकिन अभीतक कोई पहल नहीं हुई।
कक्षा पांचवी के छात्र त्रयंबक पांडेय ने बताया स्कूल आने के दौरान बरसात में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगले साले से नई कक्षा में प्रवेश लेने के लिए दूसरे स्कूल में चले जाएंगे। खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र बहादुर सिंह ने बताया मसौनी में काफी पहले से स्कूल बना है स्कूल जाने के लिए कोई एप्रोच मार्ग नहीं है। आसपास खेती की जमीन होने के चलते रास्ता के लिए कोई भूमि नहीं दे रहा है। रास्ता बनाने के लिए राजस्व विभाग के पहल के बाद ही कोई निदान निकल पाएगा।