जब भारत ने लिया था पाकिस्तान से बदला और काटा था सिर के बदले सिर। आज आपको वो उस ऑपरेशन की कहानी सुनाने जा रहा हूं जो पाकिस्तान के सिर काटने के लिए हुआ था। इसका नाम था ऑपरेशन जिंजर जिसमें पाकिस्तान में घुसकर तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काटकर भारत लेकर आए थे हमारे सैनिक। साल 2016 में आई अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट से उस वक्त खलबली मच गई थी जब अखबार ने ऑपरेशन जिंजर का खुलासा किया था। ऑपरेशन जिंजर का मतलब था सिर के बदले पाकिस्तान का सिर काटना। 2011 में जब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे उस दौड़ में सेना की तीन टुकड़ियां ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में दाखिल हुई थी। सेना के इतिहास में ऑपरेशन जिंजर को बदले की सबसे ऐतिहासिक कार्रवाई माना जाता है। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में यूपीए सरकार के दौरान एलओसी पार हुए एक ऑपरेशन का खुलासा हुआ। अखबार के मुताबिक 2001 में ऑपरेशन जिंजर नाम की ये कार्रवाई एक तरह की सर्जिकल स्ट्राइक थी। जिसे भारत के 25 पैरा कमांडर्स ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर अंजाम दिया था। दो भारतीय सैनिकों के सिर के बदले तीन पाकिस्तानी फौजियों के सिर कलम किए। फिर पूरे मिशन को अंजाम देने के बाद सुरक्षित अपनी सीमा में लौट आए। ये ऑपरेशन 30 अगस्त को किया गया था जिसमें सेना के 25 जवानों ने हिस्सा लिया था। इसमें पैरा कमांडो फोर्स के ज्यादातर जवान थे। 29 अगस्त की सुबह भारतीय सेना लॉन्चिंग पैड पर पहुंचे थे। हमले की रात तक रात 10 बजे तक वहां पर छुपे रहे। 30 अगस्त सुबह 4 बजे हमले की तैयारी में लग गए। उसके बाद बंकर के आसपास के इलाकों में माइंस बिछा दी। सुबह 7 बजे माइंस वाली जगह को मौका पाकर उड़ा दिया। इस तरह से ऑपरेशन जिंजर को अंजाम दिया गया था। इस ऑपरेशन को सर्जिकल स्ट्राइक तो कई इसे ट्रांस बॉर्डर आर्म्ड एक्शन बताया है। ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या है ऑपरेशन जिंजर और क्या है इसका सच। इसे कैसे अंजाम दिया गया।
सीमा पार जाकर ऑपरेशन की जरूरत क्यों पड़ी?
पाकिस्तान के बैट एक्शन के बदले स्वरूप भारत की तरफ से कार्रवाई की गई थी। ये बदला उस नापाक और कायराना हमले के बदले का लिया गया था जो 2011 में पाकिस्तानी फौजियों ने किया था। पाकिस्तान की सबसे खतरनाक बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) ने 30 जुलाई 2011 को कुपवाड़ा के गोगलधर रेंज में आर्मी पोस्ट पर हमला किया था। राजपूत और कुमांऊ रेजीमेंट के 6 सैनिकों पर अटैक हुआ था। उस समय 19 राजपूत बटालियन को 20 कुमाऊं रेजिमेंट से रिप्लेस किया जाना था। इसी मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम ने हमला कर दिया। हमले के बाद हवलदार जयपाल सिंह और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर पाकिस्तानी अपने साथ ले गए थे। हमले की जानकारी देने वाले 19 राजपूत के एक जवान ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसी के बाद से भारतीय फौज ने पाकिस्तानी सैनिकों से बदला लेने की ठानी। इस हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन जिंजर प्लान किया। सेना का ये ऑपरेशन अब तक का सबसे घातक मिशन था। जिसे सीमा पार अंजाम दिया गया। बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने एयर सर्विलांस और फिजिकल तरीकों का उपयोग किया और अपने टारगेट को चिन्हित किया।
दो के बदले लिए तीन सिर
एलओसी पार करने से पहले बॉर्डर के उस पार के इलाकों की पूरी तरह से टोह ली गई। एलओसी के उस पार जोर हिफाजत और लशदत के इलाके में जो पाकिस्तानी आर्मी की पोस्ट थी वहां पर कुल सात बार रेकी की गई। टारगेट फिक्स किए गए और फिर ऑपरेशन जिंजर की तारीख मुकर्रर की गई। 30 अगस्त 2011 यानी की ईद से एक दिन पहले मंगलवार का दिन चुना गया। ऑपरेश जिंजर में 25 पैरा कमांडो शामिल किए गए थे। जो 29 अगस्त को भारतीय सीमा में तड़के 3 बजे लॉंच पैड पर पहुंच गए और वहां रात 10 बजे तक छुपे रहे। उसके बाद उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी की पोस्ट पुलिस चौकी तक पहुंचने के लिए एलओसी क्रास की। 30 अगस्त की सुबह टीम एलओसी के पार काफी अंदर तक पहुंच चुकी थी। पूरे इलाके में बारूदी सुरंगे बिछा दी गई और सही मौके का इंतजार करने लगे। 30 अगस्त की सुबह 7 बजे कमांडोज ने पाकिस्तानी सेना को अपनी ओऱ आते देखा। एक पाकिस्तानी जेएसयू समेत चार फौजी जैसे ही करीब आए। बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया गया। बारूदी सुरंग में विस्फोट से पाकिस्तान के चारों सैनिक गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उसके बाद भारतीय कमांडोज ने ग्रेनेड फेंकी और ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस बीच पाकिस्तान का एक फौजी पानी में बह गया। भारतीय सैनिक तेजी से दौड़कर उनके पास पहुंचे और तीन का सिर कलम कर दिया। उनके रैंक वाले तमगे हथियार और दूसरे सामान ले लिए। उसके बाद उनकी बॉडी के नीचे आईइडी प्लांट कर दिया। जिससे की अगर उसे उठाने की कोशिश करे तो वो भी धमाके का शिकार हो जाए और ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो। इस बीच धमाके की आवाज सुनकर दो पाकिस्तानी सैनिक तेजी से लपके। लेकिन उन्हें वहीं घात लगाए बैठी भारतीय फौज ने मार डाला।
45 मिनट तक चला था ऑपरेशन
पूरा ऑपरेशन 45 मिनट तक चला था। भारतीय टीम सुबह 7.45 बजे तक एलओसी के पार वापस जाने के लिए क्षेत्र से निकल गई थी। पहली टीम दोपहर 12 बजे भारतीय सेना की चौकी पर पहुंची। जबकि आखिरी पार्टी दोपहर 2.30 बजे के करीब पहुंची। वे लगभग 48 घंटे तक दुश्मन के इलाके में रहे। इस कार्रवाई में कम से कम आठ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और दो या तीन और पाकिस्तानी सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। तीन पाकिस्तानी सैनिक - सूबेदार परवेज हवलदार आफताब और नाइक इमरान के सिर के साथ तीन एके 47 राइफल और अन्य हथियार भारतीय सैनिकों द्वारा तोहफे के रूप में अपने साथ लाए गए थे। कटे हुए सिरों की तस्वीरें खींची गईं और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उन्हें दफना दिया गया। दो दिन बाद कमान के सबसे वरिष्ठ जनरलों में से एक ने आकर काटे गए सिरों के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि सिर कोदफना दिया गया है तो वो क्रोधित हो गए। फिर सिर खोदकर निकालने और उसे जलाकर राख को किशनगंगा में फेंकने के लिए कहा गया ताकि कोई डीएनए निशान न रह जाए। -अभिनय आकाश