बचपन में चांद पर रहने का सपना अब असल जिंदगी में संभव हो गया है। जी हां अब इंसान चांद पर रह सकते है। बता दें कि चांद की सतह पर ऐसे गड्ढे मिले है जो कि इंसानों के रहने के लिए बिल्कुल सही है। ये गड्ढे इंसानों के रहने के लिए उचित तापमान में पाए गए है। इन्हें नासा के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर की मदद से खोजा गया है। इन गड्ढों के अंदर का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस है जो कि इंसान के रहने के लिए सक्षम है। अगर भविष्य में इन गड्ढों के अंदर बस्तियांं बसाने का सोचा जाए तो ऐसा संभव हो जाएगा।
इन गड्ढों की खोज की रिसर्च रिपोर्ट जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित की गई है। चांद पर रहने लायक इन गड्ढों को देख वैज्ञानिक भी काफी हैरान हैं। चांद पर पाए गए ये गड्ढे चंद्रमा के अन्य इलाकों के गड्ढों से बिल्कुल अलग हैं। आपको बता दें कि चांद पर तापमान इतना ज्यादा होता है कि धरती पर पानी उबल जाए और यहां एक दिन दो हफ्ते लंबा होता है। ऐसे में अगर इन गड्ढों का पता चलता है जो इंसानों के रहने के लायक है तो यह एक बड़ी बात है।
कहां मिले है यह गड्ढे
चांद पर इंसानों के रहने लायक यह गड्ढे मेयर ट्रांक्विलिटैटिस यानी सी ऑफ ट्रांक्विलिटी में मिले हैं और यह लगभग 328 फीट गहरे हैं। इनका तापमान चांद के अन्य गड्ढों के मुकाबले थोड़ा ही बदला हुआ है कोई ज्यादा अंतर नहीं है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के LRO प्रोजेक्ट की साइंटिस्ट नोआ पेट्रो भी काफी हैरान है और उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अगर अनका तापमान लगातार स्थिर रहता है तो यहां इंसानों के लिए बस्तियां तैयार की जा सकती है। नोआ पेट्रो ने आगे बताया कि लूनर पिट्स की सबसे पहले खोज साल 2009 में की गई थी।
गड्ढे और पिट्स में क्या है अंतर
जानकारी के लिए बता दें कि पिट्स और गड्ढे एक दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं। गड्ढे जहां छिछले होते हैं वहीं पिट्स वर्टिकली सीधी गहराई वाले होते हैं। अगर इनमें जाने का रास्ता मिले तो अंदर एस्ट्रोनॉट्स अपने रहने की जगह का निर्माण कर सकते हैं जिससे सोलर रेडिएशन घटते-बढ़ते तापमान और छोटे उल्कापिंडों के टकराने का खतरा खत्म हो जाता है। ये चांद की सतह से ज्यादा सुरक्षित होते हैं। भविष्य नें इन पिट्स जैसे गुफाओं में इंसानों को रहना पड़ सकता है जिसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है क्योंकि इंसानों के पूर्वजों का जन्म स्थल पहले गुफा ही हुआ करता था। वहीं खाते और पीते थे। तो अगर सबकुछ सही रहा तो कुछ सालों में ही इंसान चांद पर रहने की ख्वाहिश देख पाएगा और वहां बस्तियां भी तैयार की जा पाएंगी।