स्वामी प्रसाद मौर्य को हराने वाले BJP विधायक की पाठशाला

स्वामी प्रसाद मौर्य को हराने वाले BJP विधायक की पाठशाला

2022 विधानसभा चुनाव में हॉट सीटों में शुमार हुई कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा सीट से भाजपा के बागी नेता व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को हराने वाले सुरेंद्र कुशवाहा विधायक बनने के बाद भी बच्चों का पढ़ा रहे हैं। यही नहीं उन्होंने विधायकी का वेतन न लेकर शिक्षक का वेतन लेकर ही शिक्षण कार्य जारी रखने का ऐलान किया है। उन्हें आप महावीर इण्टर कॉलेज में पढ़ाते हुए भी देख सकते हैं।

फाजिलनगर के महावीर इण्टर कॉलेज में बतौर सहायक शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले सुरेंद्र कुशवाहा विधायक बनने से पहले दो दशक से देवरिया में पढ़ाते आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले महावीर इण्टर कॉलेज में उनकी तैनाती हो गई थी। उसके बाद भाजपा ने सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य के सामने सियासत में हाथ आजमाने का मौका दिया तो जी जान से लड़े और मौर्य को हराकर विधानसभा पहुंच गए।

विधायक बनने के बाद भी नहीं भूले क्लासरूम

फाजिलनगर के पावानगर महावीर इंटर कॉलेज में सुरेन्द्र कुशवाहा बतौर शिक्षक ही रोज सुबह 10 बजे स्कूल पहुंच जाते हैं। 10वीं क्लास में बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ाते हैं बच्चे बताते हैं कि वह जैसे पहले पढ़ाते थे वैसे ही विधायक बनने के बाद भी पढ़ाते हैं।

विधायक का नहीं टीचर के वेतन से ही चलाएंगे घर

पशे से सहायक अध्यापक सुरेन्द्र कुशवाहा औरों की तरह पांच साल की अवैतनिक छुट्टी लेकर विधायकी का आनंद नहीं लेंगे। उन्होंने कहा जैसे पहले बच्चों को शिक्षा देता था वैसे ही आगे भी शिक्षा देता रहूंगा। विधायकी का वेतन व भत्ते नहीं लूगा यात्रा भत्ता भी नहीं लूंगा अपना गुजारा सिर्फ सहायक अध्यापक की मिलने वाली सैलरी पर ही करता रहूंगा।

स्कूल की छुट्टी के बाद जाते हैं क्षेत्र में

विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा बच्चों को पढ़ाने के लिये रोज सुबह 10 बजे स्कूल पहुंचते हैं हाजिरी लगाते हैं फिर जितनी कक्षाएं पढ़ाने का जिम्मा उन पर है। उसे पूरी कर विद्यालय के समय के बाद क्षेत्र में लोगों के बीच चले जाते हैं।

सदन के दौरान अवैतनिक अवकाश लेंगे

फाजिलनगर विधायक सुरेन्द्र कुशवाहा कहते हैं मैं अपना अधिकतम समय बच्चों को देना चाहता हूं क्योंकि ये मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। भले ही विधायक बन गया हूं मगर बच्चों का कोर्स समय से पूरा होना चाहिए। रही बात सदन चलने की तो उस दौरान मैं अवैतनिक अवकाश ले लूंगा। लेकिन जब इलाके में रहूंगा तो नियमित विद्यालय आकर बच्चों को पढ़ाऊंगा।

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