2200 तोला सोने के झूले पर सवार होंगे बांके बिहारी हरियाली तीज के दिन देंगे दर्शन

2200 तोला सोने के झूले पर सवार होंगे बांके बिहारी हरियाली तीज के दिन देंगे दर्शन

ब्रज में झूला उत्सव की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। द्वापर में भगवान कृष्ण राधा रानी के साथ सावन के महीने में झूला झूलते थे। इसी परंपरा को आज भी ब्रज के मंदिरों में निभाया जाता है। कहीं भगवान सोने के में कहीं चांदी के में तो कहीं लता पताओं से बने झूला में विराजमान हो कर भक्तों को दर्शन देते हैं।

सावन महीने में अलग अलग समय विराजते हैं झूले में भगवान

झूला उत्सव वैसे तो सावन का महीना शुरू होते ही ब्रज के मंदिरों में शुरू हो जाता है। यहां के अलग अलग प्राचीन मंदिरों में कभी सावन की शुरुआत से तो कहीं हरियाली तीज से तो कहीं 13 दिन तक झूला उत्सव चलता है। द्वारिकाधीश और नंदगांव में जहां भगवान पूरे महीने झूला झूलते हैं वहीं बांके बिहारी में हरियाली तीज के दिन झूला में भगवान को विराजमान कराया जाता है।

2200 तोले सोने के झूले में विराजमान होंगे बांके बिहारी

जन जन के आराध्य भगवान बांके बिहारी सोने चांदी से निर्मित विशालकाय झूले में विराजमान होकर हरियाली तीज के दिन भक्तों को दर्शन देंगे। पूरे साल में सिर्फ एक बार बांके बिहारी झूले में विराजमान होकर भक्तों को हरियाली तीज के दिन दर्शन देते हैं। 31 जुलाई के दिन जिस झूले में भगवान बांके बिहारी जी विराजमान होंगे वह 1 लाख तोला चांदी और 2200 तोला सोने से बना हुआ है।

स्वतंत्रता दिवस से जुड़ा है झूले का इतिहास

बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज के अवसर पर पड़ने वाला विशालकाय झूले का इतिहास स्वतंत्रता दिवस से जुड़ा हुआ है। झूले का निर्माण महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के साथ शुरू हुआ और यह बनकर 1947 में तैयार हुआ। इसमें पहली बार भगवान बांके बिहारी 15 अगस्त 1947 को विराजमान हुए उस दिन हरियाली तीज का पर्व था।

बनारस के कारीगर छोटे लाल और ललन भाई ने 20 कारीगरों के साथ 5 वर्ष में इस झूले को बनाकर तैयार किया। उस वक्त इस झूले के निर्माण में करीब 25 लाख रुपए की लागत आई थी।

रंगनाथ विराजेंगे चांदी के हिंडोले में

वृंदावन में स्थित दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में भी उत्तर भारत का प्रसिद्ध उत्सव झूलन उत्सव मनाया जाता है। उत्तर और दक्षिण भारत के संगम के प्रतीक रंगनाथ मंदिर में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ चांदी से निर्मित झूले में विराजमान हो कर भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां झूलन उत्सव हरियाली तीज से शुरू हो कर रक्षा बंधन तक यानी 13 दिवसीय होता है।

हरियाली तीज के दिन बांके बिहारी जी के दर्शनों का समय हुआ परिवर्तित

हरियाली तीज के पर्व पर भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इस पर्व पर भक्तों को दर्शनों में कोई समस्या न आए इसके लिए मंदिर प्रबंधन ने भगवान के दर्शनों के समय में परिवर्तन करते हुए आम दिनों से ज्यादा समय तक खोलने का निर्णय लिया है। हरियाली तीज के अवसर पर मंदिर भक्तों के लिए सुबह 7 बज कर 45 मिनट से 2 बजे तक और शाम को 5 बजे से 11 बजे तक खुलेगा।

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