दीर्घेश्वर नाथ मंदिर आज भी अश्वत्थामा दर्शन करने आते हैं

दीर्घेश्वर नाथ मंदिर आज भी अश्वत्थामा दर्शन करने आते हैं

देवरिया जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर मझौली राज स्थित दीर्घेश्वर नाथ मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यह शिव मंदिर महाभारत कालीन है और यहां आज भी दर्शन पूजन के लिए अश्वत्थामा आते हैं। सावन के अलावा पूरे देश से हर सोमवार और शुक्रवार श्रद्धालु देश के कोने-कोने से दर्शन करने आते है।

मझौली राज परिवार ने कराया था जीर्णोद्धार

दीर्घेश्वर नाथ मंदिर पहले मझौली राज का हिस्सा हुआ करता था। तब की महारानी श्याम सुंदरी कुंवरी ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। कालांतर में बांसुरी बाबा नगीना दास जी टेंगरी दास जी टांगुन दास जी और बंगाली बाबा ने समय समय पर मंदिर के विकास के लिए प्रयास किए।

आज भी पूजन के लिए आते हैं अश्वत्थामा

द्वापर कालीन मंदिर होने के नाते यह मान्यता है कि अश्वत्थामा यहां शिव जी के पूजन के लिए आते हैं। मंदिर के महंत जगन्नाथ दास बताते हैं कि मंदिर परिसर के पार्वती सरोवर में सफेद कमल के फूल खिलते हैं। यह शिव जी को विशेष रूप से पसंद है। अश्वत्थामा ने यहीं से फूल और जल लेकर सहस्त्रार्चन रूपी विशेष पूजा कर शिव जी को प्रसन्न करते थे। शिव जी ने ही अश्वत्थामा को लम्बी उम्र (दीर्घायु )का वरदान दिया था। इसी नाते इस शिव मंदिर को दीर्घेश्वर नाथ मंदिर कहा जाता है।

लोगों के अनुसार अश्वत्थामा यहां आज भी तीसरे पहर में पूजन करने आते हैं। सुबह जब मंदिर का कपाट खुलता है तो बेलपत्र और फूल उस पर चढे मिलते हैं। इसी का परिणाम है कि अश्वत्थामा आज भी अमर हैं। मंदिर परिसर में ही उत्तर दिशा में पार्वती सरोवर है। लोकमान्यता है कि इसमें स्नान से चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

भारतीय पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिली थीं द्वापर युगीन मूर्तियां

मंदिर के महंत ने बताया ASI यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने चार दशक पूर्व यहां खुदाई की थी। जिसमें मृद भांड कांसे की मूर्तियां पत्त्थर की मूर्तियां प्राचीन सिक्के प्राप्त हुए थे। इसी आधार पर उन्होंने रिपोर्ट बनाई जिसमें मंदिर की प्राचीनता और द्वापर युगीन होने का दावा किया था।

बंगाली बाबा ने दी मंदिर के विकास को गति

मंदिर के महंत श्री श्री जगन्नाथ दास जी महराज ने बताया कि ब्रह्मलीन बंगाली बाबा ने मंदिर के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उनके समय में जिलाधिकारी रहे सुबोध कांत झा मनोज कुमार सिंह समेत कई IAS अधिकारियों का बराबर आना जाना लगा रहता था। पर्यटन मंत्री रहते हुए एम ए लारी ने भी राज्य पर्यटन की सूची में मंदिर को सूची बद्ध कराते हुए सड़क बनवाई।

क्या कहते हैं मंदिर के महंत

दीर्घेश्वर ​​​​​​ नाथ मंदिर के महंत श्री श्री जगन्नाथ दास जी महराज ने बताया कि लोक आस्था के मंदिर में वर्ष भर लोग दूर दराज और अन्य प्रदेशों से आते हैं। सावन के महीने में पांच लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आज यानी सोमवार को ब्रह्मलीन बंगाली बाबा की 17 वीं पुण्यतिथि और सावन का सोमवार है। दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन होगा। यह कार्यक्रम 10 बजे से रात्रि 11 बजे तक चलेगा।

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