हम में से शायद ही कोई होगा जिसने जनसंख्या पर निबंध न लिखा हो। उन सारे निबंधों में हमने यही लिखा कि जनसंख्या का बढ़ना एक चुनौती है और इस चुनौती से निपटने के लिए परिवार नियोजन आवश्यक है। ऐसे प्रोग्राम भी आते थे जिसमें परिवार नियोजन की सीख दी जाती थी। इस प्रयास का एक ही लक्ष्य होता था कि बढ़ती जनसंख्या को किसी तरह से काबू किया जाए। इसका थोड़ा असर भी हुआ। दशक दर दशक भारत की आबादी की रफ्तार कुछ कम भी हुई। 2022 आते-आते कुल प्रजनन दर 2.0 हो गया। मतलब हर महिला अब औसतन दो ही बच्चों को जन्म दे रही है। लेकिन फिर भी भारत चीन को जल्द ही पीछे छोड़ देंगा। जनसंख्या को लेकर बहस भी देश में इस वक्त छिड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने भी जनसांख्यिकी असंतुलन का जिक्र कर इस बहस को और तेज कर दिया है। लेकिन इन सब के बीच संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा है कि भारत अगले साल तक पॉपुलेशन के मामले में चीन को पछाड़ सकता है। विश्व जनसंख्या संभावना 2022 रिपोर्ट जारी की है। 11 जुलाई को जुलाई को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में चीन की जनसंख्या 1.426 अरब है जबकि भारत की पॉपुलेशन 1.412 अरब है। इस लिहाज से भारत अगले साल तक पॉपुलेशन के मामले में चीन को पछाड़ सकता है।
2023 में भारत बनेगा आबादी के मामले में नं-1
दुनिया में इस वक्त चार बड़े धर्म हैं। ईसाई धर्म इस्लाम हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म। दुनिया में ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या 31 % है। इस्लाम को मानने वालों की संख्या 25 % है यानी इस्लाम पूरी दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। जबकि हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या करीब 15 % है। बौद्ध धर्म को मानने वाले 7 % हैं और 7 % लोग अन्य धर्मों को मानने वाले हैं। 15 % ऐसे लोग हैं जो किसी धर्म में विश्वास नहीं रखते हैं। ये तो पूरी दुनिया का ब्रेक अप हुआ। लेकिन बात अगर भारत की करें तो बात जनसंख्या के अनुपात की होने लगी है। 1820 में भारत की आबादी 13.40 करोड़ के आसपास थी। 19वीं सदी तक भारत की आबादी ने 23 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। 2001 में भारत की आबादी 100 करोड़ के पार चली गई। अभी भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है। 2050 तक भारत की आबादी 166 करोड़ के आसपास होगी।
ऐसे बढ़ती गई भारत में आबादी
वर्ष संख्या (करोड़)
1901 23.83
1911 25.20
1921 25.13
1931 27.89
1941 31.86
1951 36.10
1961 43.92
1971 54.81
1981 68.33
1991 84.63
2001 102.10
2011 121.01
2020 138.3
2050 165.9 (अनुमानित)
किसकी आबादी कितनी तेजी से बढ़ी
साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 96 करोड़ के करीब हिंदू और 17 करोड़ के करीब मुस्लिम हैं। भारत की कुल आबादी में 79.8 हिंदू और 14.2 % मुस्लिम हैं। इनके बाद ईसाई 2.78 करोड़ हैं और सिख 2.08 करोड़ हैं। बाकी बौद्ध और जैन धर्म को मानने वालों की आबादी 1 % से भी कम है। 2001 की तुलना में 2011 में भारत की आबादी 17.7% तक बढ़ गई थी। इस दौरान मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा करीब 25% तक बढ़ी थी। जबकि, हिंदू 17% से कम बढ़े थे. इसी तरह ईसाइयों की आबादी 15.5% सिख 8.4% बौद्ध 6.1% और जैन 5.4% बढ़े थे। वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। वर्ष 2020 में यह घटकर एक प्रतिशत से भी कम रह गई। इसी तरह 1991 से 2001 के बीच हिंदुओं की आबादी 20% बढ़ी थी। इस दौरान मुस्लिमों की आबादी 36% से ज्यादा बढ़ गई। ईसाइयों की 23% से ज्यादा सिखों की 18% से ज्यादा बौद्धों की 24 % और जैन धर्म को मानने वालों की 26% आबादी बढ़ी।
धर्म 1951 में आबादी ( % ) 2011 में आबादी (% ) कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी
हिंदू 84.1 78.35 5.75 % घटी
मुस्लिम 9.80 14.20 4.40 % बढ़ी
ईसाई 2.00 2.34 0.34 % बढ़ी
सिख 1.89 1.87 0.02 % घटी
बौद्ध 0.74 0.77 0.03 % बढ़ी
जैन 0.46 0.41 0.05 % घटी
पारसी 0.13 0.06 0.07 % घटी
अन्य 0.43 0.72 0.29 % बढ़ी
भारतीय औसतन कितना जीते हैं
नई पीढ़ी में लोगों की जनसंख्या बढ़ नहीं रही। इसका ये मतलब नहीं निकाला जा सकता कि आबादी का बढ़ना बंद हो गया। आबादी दो तरह से बढ़ती है। बच्चे ज्यादा पैदा होने से और बुजुर्गों के ज्यादा दिन जीने से। आज की तारीख में हजार लोगों में 20 बच्चें पैदा होते हैं और छह लोग मरते हैं। यूरोप में उल्टा होता है वहां जब 10 बच्चे पैदा होते हैं 11 सयाने चल बसते हैं। हमारे यहां तो बच्चा पैदा होता है तो बुजुर्ग चट से आशीर्वाद देते हैं जुग-जुग जियो। कितना जीते हैं ये भी जान लीजिए। भारत में पुरूष 67 साल जीते हैं महिलाएं 70 साल। आज की तारीख में देश की 28 फीसदी आबादी पंद्रह साल या इससे कम उम्र की है। 65 या उससे ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी सिर्फ 6 फीसदी है।
हिन्दू या मुस्लिम महिला किसकी कितनी फर्टिलिटी रेट
जनसंख्या बढ़ने में बच्चे पैदा होने की भूमिका पहले की तुलना में अब थोड़ी छोटी हो रही है। भारत में नियमित रूप से होने वाले परिवार स्वाथ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस प्रजनन दर यानी फर्टिलिटी रेट के आंकड़े को भी जारी करता है। अगर फर्टिलिटी रेट 2.1 हो तो उसे रिप्लेसमेंट लेवल फर्टिलिटी रेट माना जाता है। मतलब कि अगर 10 महिलाओं पर 21 बच्चें पैदा हो तो आबादी पीढ़ी दर पीढ़ी स्थिर रहेगी। 2.1 से ऊपर के आंकड़े को छूने पर माना जाएगा की आबादी पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रही है। 2.1 से कम होना आबादी के पीढ़ी दर पीढ़ी घटने का सूचकांक है। 2019 से 2021 के बीच किए गए एनएफएचएस के अनुसार भारत का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.0 है। मतलब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी लोगों की संख्या घट रही है। जनसंख्या विस्फोट तो काबू में आया है लेकिन जनसंख्या नहीं। पिछले साल आए एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट के अनुसार हिंदू महिलाओं में फर्टिलिटी रेट 1.9 और मुस्लिम महिलाओ में 2.3 है। यानी अभी भी हिंदू महिलाओं की तुलना में मुस्लिम महिलाएं ज्यादा बच्चे पैदा कर रही हैं।
हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं का प्रजनन दर
1992-93 1998-99 2005-06 2015-16 2019-21
हिन्दू महिला- 3.3 हिन्दू महिला- 2.7
हिन्दू महिला- 2.5 हिन्दू महिला- 2.1 हिन्दू महिला- 1.9
मुस्लिम महिला- 4.4
मुस्लिम महिला- 3.5
मुस्लिम महिला- 3.4 मुस्लिम महिला- 2.6 मुस्लिम महिला- 2.3
2050 तक सबसे ज्यादा मुस्लिम भारत में होंगे
2050 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश होगा। 2015 में आई यूएस बेस्ड प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 2010 से 2050 के बीच मुस्लिमों की आबादी 73% बढ़ेगी। वहीं क्रिश्चियन्स की आबादी इसी दौरान 35% तक बढ़ेगी जो दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला रिलिजन है। हिंदू 34% तक बढ़ेंगे और वे दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा आबादी वाले लोग हो जाएंगे। बता दें कि फिलहाल भारत दुनिया में मुस्लिम आबादी के मामले में इंडोनेशिया के बाद दूसरे नंबर पर आता है। दुनिया में उस समय तक जितनी मुस्लिम आबादी होगी उसमें से 11% अकेले भारत में होगी।