औरैया में अदालत में सुनवाई के दौरान पिता-पुत्र नाबालिग छात्रा का अपहरण करने के दोषी पाए गए हैं। कोर्ट ने दोषियों को 10 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 30-30 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है। घटना दिबियापुर थाना क्षेत्र में घटी थी।
मामले में पीड़िता की तरफ से सरकारी वकील अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो जितेंद्र सिंह तोमर व मृद़ुल मिश्र ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि पीड़ित ने एसपी के माध्यम से रिपोर्ट लिखाई थी। बताया था कि उसकी नाबालिग बेटी 17 मई 2015 को हाईस्कूल का रिजल्ट देखने गई थी। वहां से घर वापस लौट रही थी। रास्ते में आरोपियों ने घर छोड़ने की बात कही।
आरोपी ने कहा था-उसे बेचकर करवाएंगे देह व्यापार
बेटी ने मना किया तो उसे जबरन गाड़ी में खींच लिया। शीशे बंद करके कानपुर की तरफ ले गए। उसे बाकरगंज मोहल्ला के एक मकान के कमरे में बंद कर दिया। 18 मई 2015 को आरोपी ने पीड़िता को एक महिला के हवाले कर दिया। दोनों आपस में बेटी को बेचने की बात करने लगे। पीड़ित ने बहुत आरजू की तो आरोपियों ने कहा कि तुमने छेड़खानी की शिकायत करके अपने मम्मी-पापा से बेइज्जती करवाई थी। इसी का बदला लेने के लिए उसे कहीं बेचकर वह देह व्यापार करवाएंगे।
ताया कि विरोध करने पर पीड़ित के साथ मारपीट की गई। अगले दिन 19 मई को पीड़िता किसी तरह आरोपियों के चुंगल से भाग निकली। रेलवे स्टेशन आकर ऊंचाहार ट्रेन से घर आ गई। यहां अपनी मां को सारी बात बताई। पुलिस ने मामले की विवेचना कर दोनों आरोपियों राजेंद्र प्रसाद उर्फ बेंचे व उसके बेटे विजय के खिलाफ आरोप-पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया।
अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़ित को देने का आदेश
पीड़िता की ओर से विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र सिंह तोमर व मृदुल मिश्र ने दलील दी। कहा कि नाबालिग का अपहरण कर उसे बंद कमरे में रखा गया है। अपराध गंभीर प्रकृति का है। ऐसे में कठोर दंड दिया जाए। बचाव पक्ष ने आरोपियों को निर्दोष बताया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद एडीजे मनराज सिंह ने दोनों दोषियों को 10 वर्ष के कठोर कारावास व 30-30 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। अधिवक्ता शिवम शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने जमा कराई गई अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़ित को देने का भी आदेश दिया।