पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में तनाव अब एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है। इस्लामाबाद में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आत्मघाती हमलावर ने अदालत पर हमला किया, जिसमें 12 लोग मारे गए। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर आरोप लगाया कि वह TTP को शरण दे रहा है। लेकिन यह स्थिति बड़ी चौंकाने वाली है, क्योंकि 1990 के दशक में पाकिस्तान ने ही अफगानिस्तान में तालिबान को जन्म दिया था। अब वही तालिबान पाकिस्तान का दुश्मन बन चुका है। आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि यह संबंध दुश्मनी में बदल गए?
पाकिस्तान ने कैसे खड़ा किया तालिबान को ?
1990 के दशक में अफगानिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था और सोवियत संघ के बाद देश विभिन्न गुटों में बंट गया था। पाकिस्तान को डर था कि इस अस्थिर अफगानिस्तान के कारण उसके व्यापार मार्ग, जैसे कंधार-क्वेटा हाईवे, बंद हो जाएंगे। साथ ही, पाकिस्तान को चिंता थी कि अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव बढ़ने लगेगा। इसीलिए पाकिस्तान ने अपनी खुफिया एजेंसी ISI को तालिबान को बढ़ावा देने और समर्थन देने का आदेश दिया, ताकि पाकिस्तान के रणनीतिक हितों की रक्षा हो सके। इस समय पाकिस्तान ने तालिबान के गठन में मदद की और इसे सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई।
कैसे बने दुश्मन ?
2001 में 9/11 के हमलों के बाद, अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, क्योंकि तालिबान ने अल-कायदा को शरण दी थी। इस हमले के बाद तालिबान सत्ता से बाहर हो गया। पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया, अमेरिकी सेना को अपने रास्ते दिए और तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हालांकि, पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में तालिबान समर्थक बचे रहे, जो पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ संघर्ष में शामिल हो गए।
2007 में पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का गठन हुआ, जो तालिबान का एक अलग गुट था। TTP ने पाकिस्तान की सेना पर हमले शुरू किए, क्योंकि पाकिस्तान ने तालिबान के खिलाफ ड्रोन स्ट्राइक्स की थीं। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो गई, क्योंकि TTP के लड़ाके पाकिस्तान के अंदर और अफगानिस्तान के भीतर छिपे हुए थे।
2021 में अफगान तालिबान ने फिर से सत्ता हासिल की, लेकिन उन्होंने TTP को पूरी तरह से कंट्रोल नहीं किया। इसके चलते, पाकिस्तान में तालिबान समर्थक गुटों के हमले लगातार बढ़ते गए हैं, जिससे पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाने पड़ रहे हैं।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तुलना
ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट के हिसाब से पाकिस्तान दुनिया की 12वीं सबसे मजबूत सेना वाला देश है, जबकि अफगानिस्तान (तालिबान) का नंबर 114 है। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सैन्य ताकत अफगानिस्तान से कहीं ज्यादा है, लेकिन तालिबान का पाकिस्तान के अंदर बढ़ते प्रभाव और TTP के हमले पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।
