बांग्लादेश भेजे गए परिवार की वापसी पर केंद्र ने हाईकोर्ट आदेश को SC में दी चुनौती

बांग्लादेश भेजे गए परिवार की वापसी पर केंद्र ने हाईकोर्ट आदेश को SC में दी चुनौती

दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम करने वाले बीरभूम, पश्चिम बंगाल के एक छह सदस्यीय परिवार को बांग्लादेश भेजे जाने के मामले में अब केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि हाईकोर्ट ने 26 सितंबर को आदेश दिया था कि सुनाली खातून नामक गर्भवती महिला सहित इस पूरे परिवार को चार हफ्तों के भीतर भारत वापस लाया जाए।

मौजूद जानकारी के अनुसार, सुनाली के पिता भोडू शेख ने अगस्त में हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि सुनाली उस समय आठ महीने की गर्भवती थीं और यह पूरा परिवार भारत का ही मूल निवासी है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फॉरेनर्स रिजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस के 26 जून के डिपोर्टेशन आदेश को रद्द करते हुए तत्काल वापसी के निर्देश दिए थे। हालांकि, केंद्र सरकार ने 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर दी है।

गौरतलब है कि यह परिवार जून में दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र से बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में हिरासत में लिया गया था। इसी आधार पर फॉरेनर्स एक्ट 1946 के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें उसी महीने बांग्लादेश भेज दिया गया। उसके बाद 21 अगस्त को उन्हें वहां अवैध प्रवेश के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि कानून किसी भी एजेंसी को यह अधिकार नहीं देता कि वह बिना पर्याप्त आधार के किसी परिवार को विदेशी करार देकर उसे दूसरे देश भेज दे। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि सुनाली का परिवार बीरभूम का स्थायी निवासी है और लंबे समय से वहां रह रहा था। केंद्र सरकार अब इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानूनी स्थिति स्पष्ट करना चाहती है, जबकि परिवार की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही हैं।

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