भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को पृथ्वी पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान, चालक दल ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक अविस्मरणीय शाम बिताई। नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने हाल ही में एक्स पर तस्वीरें साझा कीं, जिनमें एक्स-4 चालक दल के सदस्य कक्षा में दावत का आनंद लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। किम ने लिखा कि इस मिशन पर मेरे द्वारा अनुभव की गई सबसे अविस्मरणीय शामों में से एक, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर नए दोस्तों, एक्स-4 के साथ भोजन करना था। हमने कहानियाँ साझा कीं और इस बात पर आश्चर्यचकित हुए कि कैसे विभिन्न पृष्ठभूमियों और देशों के लोग अंतरिक्ष में मानवता का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साथ आए।
3-4 दिन की देरी क्यों हो रही?
Axiom-4 मिशन के क्रू की धरती पर वापसी में 3-4 दिन की देरी की कई संभावित वजहें हैं, जो तकनीकी और मौसमी कारकों से जुड़ी हैं। इस मिशन की शुरुआत 25 जून को हुई, जब स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ग्रेस को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक मीडिया एडवाइजरी में स्पष्ट किया है कि उसके अंतरिक्ष यात्री स्टावोस उजनांस्की-विश्नेव्स्की और इसके साथ ही पूरी टीम की वापसी 14 जुलाई से पहले नहीं होगी। एजेंसी ने यह भी कहा कि यह तारीख फिलहाल अस्थायी है और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के अनडॉकिंग शेड्यूल और पृथ्वी पर अनुकूल लैंडिंग परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
अंतरिक्ष में खेती
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने अंतरिक्ष मिशन के आखिरी चरण में किसान बन गए हैं, और वह अंतरिक्ष में मेथी और मूंग उगाने में लगे है। शुभांशु इस वक्त इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर Axiom-4 मिशन के तहत अपने तीन साथियों के साथ 12 दिन से मौजूद है। मौसम के अनुकूल रहने पर 10 जुलाई यानी आज के बाद कभी भी धरती पर लौट सकते हैं। लौटने से पहले वहां उन्होंने एक अनोखा प्रयोग किया, में रखे गए मेथी और मूंग के बीजों के अंकुरण की तस्वीरें खींचों और उन्हें वैज्ञानिक स्टडी के लिए फ्रीजर में रख दिया। ये स्टडी इस बात का पता लगाने के लिए की जा रही है कि ग्रैविटी की अनुपस्थिति यानी माइक्रोग्रैविटी का बीजों की अंकुरण प्रक्रिया और शुरुआती विकास पर क्या असर पड़ता है। अंतरिक्ष के माहौल में उनके जीन, माइक्रोबायोम और पोषण तत्वों में क्या बदलाव आता है।