सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर को जारी रखने की अनुमति देने पर, जेडी(यू) के कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय कुमार झा ने ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मामला विचाराधीन है और सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची को जारी रखने की अनुमति दी है। विस्तृत सर्वेक्षण चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि विपक्षी नेता उत्तेजित हैं क्योंकि वे आगामी चुनावों के परिणाम जानते हैं।
जेडी(यू) नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह विपक्ष के लिए झटका इसलिए है क्योंकि मतदाता सूची में संशोधन को लेकर उनके द्वारा दिए गए तर्कों को निरस्त न करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। जद-यू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे नेता कल सड़कों पर उतरे थे, जो सुनवाई से एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय पर दबाव बनाने की कोशिश जैसा लग रहा था। उन्होंने कहा कि अदालत का यह आदेश उन दलों के लिए करारा झटका है, जो निर्वाचन आयोग के अधिकार पर सवाल उठा रहे थे, जबकि संविधान में उसकी शक्तियों को अच्छी तरह परिभाषित किया गया है।
वहीं, विपक्ष ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा क तेजस्वी यादव और इंडिया अलायंस द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दर्ज कराई गई आपत्ति के संबंध में, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की थी, जिसमें पूछा गया था कि आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को वैध क्यों नहीं माना जा रहा है। उन्होंने कहा क एक चर्चा के दौरान चुनाव आयोग की मंशा पर भी सवाल उठाए गए थे, जिसमें पूछा गया था कि वे इतनी जल्दी इतने सारे मतदाताओं का संशोधन कैसे कर सकते हैं और यह अभी तक शुरू क्यों नहीं हुआ है। चुनाव आयोग को निष्पक्षता के साथ चुनाव कराना चाहिए। यह एक बड़ी जीत है।
कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि एक तरफ़ पूरी सरकार आधार को आधार मेरी पहचा कहकर प्रचारित करती है; अब कह रही है कि इसकी मान्यता ख़त्म हो गई है। इसलिए चुनाव आयोग को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए सही तरीक़े से काम करना चाहिए। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट आख़िरकार इस पर फ़ैसला सुनाएगा। अब एनडीए को इसमें सहयोग करना चाहिए। बीजेपी भले ही वोटरों को काटने में लगी हो, लेकिन बाकी पार्टियों को समझना चाहिए कि आज क्या खेल खेला जा रहा है।