Bihar: वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ लड़ाई क्या महज शोकेस बनकर रह गई? विपक्षी दलों और जनता का मूड अलग

Bihar:  वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ लड़ाई क्या महज शोकेस बनकर रह गई? विपक्षी दलों और जनता का मूड अलग

बिहार में इन दिनों जमकर राजनीतिक हलचल बनी हुई है. चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराए जाने के विरोध में कई विपक्षी दल लगातार हंगामा काट रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने कल बुधवार को बिहार बंद बुलाया थी. जिस SIR का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं उसी प्रक्रिया का जनता का जोरदार समर्थन मिल रहा है. महज 15 दिनों में ही 50 फीसदी से ज्यादा फॉर्म भरकर लौटा दिए गए हैं.

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस का SIR को लेकर विरोध इसी बात का है कि इस प्रक्रिया के लिए बहुत कम समय दिया गया है. ज्यादातर वोटर अपने क्षेत्र से किसी न किसी काम की वजह से बाहर हैं, ऐसे में ये लोग अपना फॉर्म समय से भरकर जमा नहीं करा पाएंगे और वो वोट नहीं दे सकेंगे. जबकि जमीनी स्तर पर सच्चाई यह है कि आयोग की ओर से प्रिंट कराए गए 7.90 करोड़ फॉर्म में से 7.71 करोड़ फॉर्म लोगों के बीच बांटे जा चुके हैं. इसमें से 57 फीसदी से अधिक फॉर्म भरकर वापस चुनाव आयोग को जमा करा दिए गए हैं.

बिहार बंद से जनजीवन पर असर

शुरुआत करते हैं, कल के बिहार बंद से. देश में कई मजदूर संघों ने नए श्रम संहिताओं के विरोध में भारत बंद बुलाया था. इसी दिन बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान कर दिया. इस वजह से पूरे प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन किया गया. इस बंद की वजह से आम जनजीवन भी खासा प्रभावित रहा.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव एमए बेबी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के डी राजा और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हुए. महागठबंधन के बड़े नेताओं ने विशाल जुलूस के रूप में पटना स्थित चुनाव आयोग ऑफिस तक पहुंचने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया.

महाराष्ट्र मॉडल नहीं बनने देंगेः राहुल गांधी

विरोध के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि पिछले साल महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए धांधली की गई और अब केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार बिहार चुनावों में भी ऐसा करना चाहती है. कांग्रेस नेता ने कहा, “वे बिहार में भी इसे दोहराना चाहते हैं जो हम होने नहीं देंगे.” उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए वोटर लिस्ट में हेराफेरी करने की योजना महाराष्ट्र मॉडल का ही विस्तार है. इससे न केवल लोगों के वोट देने के अधिकार को बल्कि उनके पूरे भविष्य को हथिया लिया जाएगा.

राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने SIR के विरोध में कहा, बीजेपी और पीएम मोदी आपके बिहार में आपका ही वोट काट आपके अधिकार की चोरी करना चाहते हैं. उनका कहना था कि चुनाव आयोग अब गोदी आयोग बन चुका है. आयोग के सहयोग से बीजेपी सरकार पहले गरीबों के वोट काटेगी, फिर उनका राशन-पेंशन और आरक्षण खत्म कर उनके वोट करने का अधिकार भी छिन लेगी. लेकिन बिहार लोकतंत्र की जननी है. बिहारी ऐसा होने नहीं देंगे. बिहारी गरीब जरूर है लेकिन सजग, सतर्क और संघर्ष के लिए तैयार है.

कोर्ट पर दबाव बनाना चाह रहा विपक्षः BJP

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विपक्ष के प्रदर्शन की आलोचना कर रही है. बीजेपी का कहना है कि इस प्रक्रिया के खिलाफ बिहार बंद बुलाने वाले लोग क्या वे चाहते हैं कि रोहिंग्या समेत अवैध घुसपैठिए चुनाव में वोट डालें. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कल ही कहा कि कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जो उनका अधिकार है. लेकिन जब एक दिन बाद सुनवाई होनी है, तो वे दबाव बनाने के लिए सड़क पर राजनीति क्यों कर रहे हैं?

विपक्षी नेताओं के विरोध के इतर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण का काम तेजी से चल रहा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस दिन (9 जुलाई) इसके खिलाफ बिहार बंद को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा था, उस दिन ही सबसे अधिक फॉर्म भरकर जमा कराए गए. 8 से 9 जुलाई के बीच 24 घंटे के अंदर 10.52 फीसदी (83,12,804) फॉर्म जमा हुए.

SIR फॉर्म जमा कराने में तेजी

चुनाव आयोग के अनुसार, कल बुधवार शाम 6 बजे तक 4.53 करोड़ से अधिक यानी 4,53,89,881 (57.48%) SIR फॉर्म भरकर जमा करा दिए गए हैं, जबकि बिहार में कुल 7,89,69,844 (करीब 7.90 करोड़) मौजूदा वोटर्स हैं. इस तरह से अब तक 57.48 फीसदी फॉर्म जमा हो चुके हैं.

इस प्रक्रिया में चुनाव आयोग को आम लोगों का खासा समर्थन मिल रहा है. वोटर्स की सक्रिय भागीदारी, चुनाव अधिकारियों, स्वयंसेवकों और राजनीतिक दलों की ओर से भी सपोर्ट मिल रहा है. करीब 1.56 लाख बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) की वजह से अब तक आधे से ज्यादा फॉर्म जमा कराए जा चुके हैं.

24 जून से शुरू हुई प्रक्रिया के पहले 15 दिनों में 57.48% फॉर्म भरकर जमा करा दिए गए हैं. अब 42.5% फॉर्म ही जमा कराया जाना है, जबकि 15 दिन बचे हैं. फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख 25 जुलाई है. लेकिन जिस स्पीड से फॉर्म जमा हो रहे हैं उससे लगता है कि यह काम समय से काफी पहले ही पूरा हो जाएगा.

चुनाव आयोग ने विपक्ष को दिया जवाब

विपक्षी दलों के हमले के बावजूद चुनाव आयोग अपने फैसले और तेवर पर अडिग है. आयोग ने अपने ऊपर लगाए गए विपक्षी दलों के आरोपों के फैक्ट्स की पड़ताल की और उनके दावों को ‘निराधार’ बताकर खारिज कर दिया. RJD सांसद मनोज झा ने कल सोशल मीडिया के जरिए कहा कि चुनाव आयोग ने SIR को लेकर मुलाकात के लिए समय नहीं दिया, जिस पर आयोग ने साफ कर दिया कि वह समय मांगने के लिए अपनी पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि नहीं हैं.

आयोग ने तेजस्वी यादव के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि SIR के जरिए बिहार के करोड़ों वोटर्स अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे. उसका कहना है कि उसके द्वारा वोटर्स को बांटे गए चार करोड़ से अधिक आवेदन फॉर्म वापस मिल गए हैं.

वोटर लिस्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर जनता की ओर से जिस तरह का समर्थन दिखाया जा रहा है, उससे विपक्ष का प्रदर्शन महज शोकेस बनता दिख रहा है. विपक्षी दल इस कार्रवाई को जनता के खिलाफ करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे करोड़ों वोटर्स वोट डालने के अधिकार से दूर हो जाएंगे. विपक्षी नेताओं के प्रदर्शन से बेपरवाह आम जनता का मूड पूरी तरह से अलग नजर आ रहा है. फॉर्म भरकर जमा करनाने का सिलसिला लगातार जारी है. करीब 60 फॉर्म भरकर जमा करा दिए गए हैं अब 40 फीसदी के करीब फॉर्म जमा होने हैं. ऐसे में विपक्षी दलों के विरोध का आम जनता पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा है.

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