दिल्ली दंगा केस: मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई, कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को सुनाई सजा

दिल्ली दंगा केस: मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई, कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को सुनाई सजा

दिल्ली दंगों में गोकुलपुरी इलाके में हुई हिंसा से जुड़े मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को IPC की धारा 153A और 505 के तहत सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा लोकेश कुमार सोलंकी ने अपने मैसेजों के जरिए से मुसलमानों के प्रति वैमनस्य, शत्रुता और घृणा को बढ़ावा देने की कोशिश की. आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी पर साल 2020 में दंगों के दौरान हत्या करने का आरोप लगा था.

कोर्ट ने कहा कि लोकेश सोलंकी का मकसद ग्रुप के दूसरे सदस्यों को डराना और मुसलमानों के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाना था. कोर्ट ने कहा कि फरवरी 2020 के तनावपूर्ण दौर में सोलंकी ने मुस्लिम समुदाय के प्रति शत्रुता और नफरत फैलाने वाले संदेश फैलाकर पहले से ही सुलग रहे तनाव को और भड़काया.

कौन है आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी?

आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को 2020 के दंगों के बाद पुलिस ने पकड़ा था. लोकेश के साथ दंगों के दौरान 2 लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने हत्या के आरोपी 12 लोगों को पकड़ा था. हालांकि, मार्च में दिल्ली की एक अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि उनमें से कोई भी आरोपी भीड़ का सदस्य था.

साथ ही गोकलपुरी पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ दर्ज दो मामलों की सुनवाई कर रहे एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा, इनमें से एक लोकेश कुमार सोलंकी की ओर से दो हत्याओं की बात कबूल करने के संबंध में व्हाट्सऐप पर की गई बातचीत ठोस सबूत नहीं है. FIR के अनुसार, गोकलपुरी में आमीन और भूरे अली को दंगाइयों ने मार डाला था. फिर उनके शव को 25 और 26 फरवरी 2020 को नालों में फेंक दिया गया था.

HC में हुई आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई

वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली 2020 दंगों के मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. फरवरी 2020 के दंगों के मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से बहस करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार (9 जुलाई, 2025) को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि राष्ट्र के खिलाफ काम करने के आरोपियों को तब तक जेल में रहना चाहिए जब तक कि उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता या बरी नहीं कर दिया जाता.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, अगर आप अपने देश के खिलाफ कुछ कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप तब तक जेल में रहें जब तक आपको बरी या दोषी न ठहराया जाए. उन्होंने आगे कहा, देश की राजधानी में दंगा हुआ जिसमें 100 पुलिसकर्मी और 41 अन्य लोग घायल हुए और एक पुलिसकर्मी की जान चली गई.

कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

उन्होंने उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा सहित कई आरोपियों की ओर से “बड़ी साजिश” मामले में दायर जमानत याचिकाओं के जवाब में जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शैलिंदर कौर की बेंच के सामने दलील दी. दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद, अदालत ने बुधवार को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

आरोपियों पर फरवरी 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के कारण गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे.

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