बारिश के मौसम में हर घर में किसी न किसी को बुखार, खांसी, या वायरल जैसी बीमारियां होती हैं. इन बीमारियों का सबसे बड़ा कारण मच्छर होते हैं. खासकर डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोग इसी मौसम में तेजी से फैलते हैं. लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली है.
राज्य सरकार ने एक स्मार्ट मच्छर निगरानी सिस्टम (Smart Mosquito Surveillance System – SMoSS) लॉन्च किया है. ये मच्छरों की एक्टिविटी को ट्रैक कर के बीमारियों को फैलने से पहले ही रोकने में मदद करेगी.
क्या है SMoSS?
SMoSS एक हाईटेक सिस्टम है जिसमें AI-पावर्ड सेंसर, ड्रोन और IoT डिवाइसेस शामिल हैं. ये सिस्टम मच्छरों से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां इकट्ठा करता है जैसे मच्छरों की प्रजाति कौन सी है. मच्छर नर है या मादा, किसी इलाके में कितने मच्छर मौजूद हैं. वहां की नमी और टेंपरेचर कितना है.
सिस्टम जैसे ही किसी लोकेशन पर मच्छरों की संख्या नॉर्मल से ज्यादा देखेगा, वो तुरंत अलर्ट भेज देता है. इसके बाद नगर निगम की टीम वहां जाकर फॉगिंग या स्प्रे करके मच्छरों को खत्म करती है.
AI टेक्नोलॉजी कैसे करेगी मदद?
AI सेंसर और ड्रोन मच्छरों की संख्या और एक्टिविटी की जानकारी देंगे. IoT सेंसर रियल टाइम में मौसम और मच्छरों के स्टेट्स पर डेटा देगा. ये डेटा एक डैशबोर्ड पर लाइव ट्रैक होता है, जिससे अफसर तुरंत फैसला ले सकते हैं.
इस टेक्नोलॉजी से बिना जरूरत के केमिकल का छिड़काव नहीं होगा, जिससे पर्यावरण और हेल्थ पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा.
ड्रोन से होगा दवाई का स्प्रे
अब छिड़काव के लिए भारी-भरकम गाड़ियां या इंसानों की मेहनत की जरूरत नहीं होगी. सरकार ड्रोन की मदद से लार्वीसाइड का छिड़काव करेगी, जिससे समय की बचत होगी, कम कैमिकल में ज्यादा एरिया कवर होगा और ह्यूमन सोर्सेस की कम जरूरत होगी.
किन शहरों में शुरू हुआ है ये सिस्टम?
स्मार्ट सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 6 नगर निगम के 66 एरिया में शुरू किया गया है. जिसमें विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, काकीनाडा, राजमहेंद्रवरम, नेल्लोर और नेल्लोर शामिल हैं. अगर ये पायलट सफल होता है, तो इसे आंध्र प्रदेश के बाकी हिस्सों और शायद दूसरे राज्यों में भी शुरू किया जा सकता है.