भारत का ब्रिक्स में दिखा कूटनीतिक पराक्रम, मोदी की ब्राजील यात्रा ने सफलता के नए कीर्तिमान रचे

भारत का ब्रिक्स में दिखा कूटनीतिक पराक्रम, मोदी की ब्राजील यात्रा ने सफलता के नए कीर्तिमान रचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्राजील यात्रा सिर्फ एक कूटनीतिक यात्रा भर नहीं थी, बल्कि यह भारत के वैश्विक कद और मोदी की नेतृत्व क्षमता की ताक़त का स्पष्ट प्रमाण भी बनी। ब्राजील के रियो डी जेनेरो में हुई 17वीं ब्रिक्स शिखर बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह वैश्विक राजनीति, भू-आर्थिक चुनौतियों और बहुपक्षीय सहयोग को लेकर भारत का पक्ष रखा, उसने न केवल भारत की छवि को मज़बूत किया, बल्कि यह भी साबित किया कि एक दूरदर्शी नेतृत्व किस तरह जटिल वैश्विक माहौल में राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकता है।

मोदी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं, विशेषकर दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में चीन की एकाधिकारवादी रणनीति की ओर इशारा करते हुए यह स्पष्ट किया कि कोई भी देश इन संसाधनों को हथियार के रूप में इस्तेमाल न करे। यह बयान ना सिर्फ भारत की रणनीतिक चिंता को दर्शाता है, बल्कि मोदी के संतुलित, लेकिन दृढ़ वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक भी है। रूस और चीन जैसे देशों की मौजूदगी में भी मोदी ने न तो पश्चिमी ताक़तों की आलोचना की और न ही अंध समर्थन दिया। इसके बजाय उन्होंने Global South के अधिकारों, विकास के अवसरों और समावेशी वैश्वीकरण की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उनका यह रुख ब्रिक्स को एकतरफा मंच बनने से रोकता है और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को उजागर करता है। प्रधानमंत्री के संबोधनों से यह भी स्पष्ट हुआ कि नरेंद्र मोदी केवल घरेलू राजनीति के माहिर नहीं, बल्कि वे अंतरराष्ट्रीय राजनीति की बारीक समझ रखने वाले नेता भी हैं। देखा जाये तो वह भारत को वैश्विक शक्ति-संतुलन में एक निर्णायक खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत-ब्राजील के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने वाली भी साबित हुई। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा, ऊर्जा, कृषि, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी। दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी 2.0 की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता जताई है।

हम आपको बता दें कि भारत और ब्राजील ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। खासतौर पर कृषि उत्पाद, औषधीय उद्योग, टेक्सटाइल, और आईटी सेवाओं में सहयोग के नए द्वार खुले हैं। इससे भारतीय MSMEs और निर्यातकों को नए बाजार मिलेंगे। इसके अलावा, ब्राजील जैव ईंधन (biofuel) और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है। भारत के ‘नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ को देखते हुए दोनों देशों ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। साथ ही ब्रिक्स, G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर भारत और ब्राजील ने विकासशील देशों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए समन्वय बढ़ाने पर सहमति जताई। ब्राजील ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मजबूत वकालत की।

इसके अलावा, ब्राजील के साथ मजबूत संबंध भारत को लैटिन अमेरिका में रणनीतिक पहुँच प्रदान करते हैं। यह महाद्वीप ऊर्जा, खनिज और कृषि संसाधनों से समृद्ध है और भारत के लिए एक नया आर्थिक और भू-राजनीतिक अवसर है। हम आपको यह भी बता दें कि ब्राजील, विश्व का सबसे बड़ा सोया उत्पादक और निर्यातक है। भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए यह साझेदारी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। साथ ही, ब्राजील के पास प्रचुर मात्रा में कच्चा तेल, इथेनॉल और जलविद्युत क्षमता है जो भारत की ऊर्जा रणनीति में योगदान कर सकती है।

इसके अलावा, अंतरिक्ष तकनीक, रक्षा उत्पादन और एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में ब्राजील की विशेषज्ञता और भारत की विनिर्माण क्षमता मिलकर एक मजबूत टेक्नोलॉजिकल गठजोड़ बना सकते हैं। HAL और Embraer जैसे संस्थानों के बीच सहयोग की संभावनाएं प्रबल हैं। हम आपको यह भी बता दें कि भारत और ब्राजील दोनों जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर समान सोच रखते हैं। ग्लोबल साउथ के हिस्से के रूप में, दोनों मिलकर विकसित देशों से जलवायु फंड और तकनीकी हस्तांतरण के लिए सामूहिक दबाव बना सकते हैं।

हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला डी सिल्वा के बीच वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद से निपटने पर भी विचार-विमर्श किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर स्पष्ट हैं कि आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है। मोदी ने मीडिया को दिये अपने बयान में कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारी सोच एक जैसी है, यथा- आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति और यह कि इसे लेकर दोहरा मानदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवाद और आतंकवाद का समर्थन करने वालों का कड़ा विरोध करते हैं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि भारत-ब्राजील संबंध कार्निवल (रंगारंग जुलूस) की तरह रंगीन हों, फुटबॉल की तरह जोशीले हों, और सांबा (नृत्य) की तरह दिलों को जोड़ने वाले हों और वीजा काउंटर पर लंबी कतारें न हों। इस भावना के साथ।’’ उन्होंने कहा, ‘हम दोनों देशों के लोगों, खासकर पर्यटकों, छात्रों, खिलाड़ियों और व्यापारियों के बीच आपसी संपर्क को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रयास करेंगे। विभिन्न भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-ब्राजील साझेदारी स्थिरता और संतुलन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और दोनों पक्ष इस बात पर एकमत हैं कि सभी विवादों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।

हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ब्राजील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला डी सिल्वा ने प्रधानमंत्री मोदी को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और प्रमुख वैश्विक मंचों पर भारत-ब्राजील सहयोग बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया। मोदी ने लूला के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘‘आज राष्ट्रपति द्वारा ब्राजील के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होना न केवल मेरे लिए, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के लिए भी अत्यंत गर्व और भावना का क्षण है।’’ हम आपको बता दें कि मई 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से किसी विदेशी सरकार द्वारा उन्हें दिया गया यह 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी का ब्रासीलिया के अल्वोराडा पैलेस में 114 घोड़ों की एक अनूठी परेड के साथ भव्य औपचारिक स्वागत किया गया। इसके बाद, प्रधानमंत्री के होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत भारत माता की जय के नारों से किया। मोदी ने वहां मौजूद लोगों के साथ बातचीत भी की। प्रधानमंत्री का स्वागत संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ किया गया।

बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी की ब्राजील यात्रा एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि उनका नेतृत्व केवल भाषणों या आयोजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय रणनीति, साझेदारी और भारत के दीर्घकालिक हितों की ठोस पैरवी में भी प्रभावशाली है। आज जब विश्व एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, तो ऐसे में भारत का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है जो न केवल अपने देश के लिए सोचता है, बल्कि दुनिया के भविष्य को भी दिशा देने की क्षमता रखता है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक राजनयिक दौरा नहीं थी, बल्कि यह Global South की आवाज़ को संगठित करने और भारत की एक जिम्मेदार, भरोसेमंद भागीदार के रूप में छवि को और मजबूती देने की दिशा में एक ठोस कदम थी। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि भारत और ब्राजील के बीच बढ़ती निकटता न केवल दोनों देशों के नागरिकों को व्यावसायिक, तकनीकी और सांस्कृतिक लाभ देगी, बल्कि यह वैश्विक बहुध्रुवीय व्यवस्था को संतुलित करने में भी योगदान दे सकती है।

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