रेल मंत्रालय ने सोमवार को एक परिपत्र जारी कर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की विभिन्न श्रेणियों में यात्री किराए में बढ़ोतरी की घोषणा की। 1 जुलाई, 2025 से गैर-वातानुकूलित (नॉन-एसी) श्रेणियों के किराए में 1 पैसा प्रति किलोमीटर की वृद्धि हुई जबकि सभी वातानुकूलित (एसी) श्रेणियों में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि हो गई। अब इसको लेकर सियासत भी तेज होती दिखाई दे रही है। कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि मोदी सरकार ने रेलवे का किराया बढ़ा दिया। अब आपको सफर में जेब ज्यादा ढीली करनी होगी। 1,000 किलोमीटर का सफर कितना महंगा। AC: 20 रुपए महंगा, स्लीपर: 10 रुपए महंगा, वहीं, जनरल टिकट पर 5 से 15 रुपए बढ़ाए हैं। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि मोदी का फंडा साफ, जनता से वसूली करो, दोस्त की तिजोरी भरो।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि जब देश की बहुसंख्य जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, घटती आय की दैनिक जद्दोजहद से त्रस्त है, भूख, प्यास, अभाव और व्यथित जीवन का दंश झेल रही है, ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा देश में रेल किराया बढ़ाने का निर्णय जनहित के विरुद्ध प्रतीत होता है तथा संविधान के कल्याणकारी उद्देश्यों की पूर्ति के स्थान पर व्यवसायिक मानसिकता से प्रेरित निर्णय प्रतीत होता है।
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, जीएसटी की तरह रेलवे के माध्यम से भी आम लोगों के दैनिक जीवन पर बोझ बढ़ाकर उनका शोषण करने की सरकार की परंपरा ‘राष्ट्र प्रथम’ के नाम पर बेहद अनुचित है। बेहतर होगा कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे। वैसे भी, ऐसे समय में जब देश बढ़ती गरीबी, महंगाई और सम्मानजनक, स्थायी रोजगार के घोर अभाव से जूझ रहा है, लोगों को मजबूरी में अपना घर-बार छोड़कर पलायन करना पड़ रहा है, यहां के लाखों लोगों के लिए रेल यात्रा फैशन, मौज-मस्ती या पर्यटन का विषय नहीं बल्कि अनिवार्य जरूरतों और मजबूरियों से प्रेरित एक दर्दनाक यात्रा है।
रेलवे किराया वृद्धि पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष आर अशोक और कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए...केंद्र सरकार लगातार पेट्रोल, डीजल और अब रेलवे किराया बढ़ा रही है...आम आदमी के साथ खड़े रहना हमारा कर्तव्य है।