सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने तीन बागी विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह, अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय को सपा से निष्कासित कर दिया है. सपा ने तीनों ही विधायक के पार्टी से निकाले जाने की वजह ‘पीडीए’ की विचारधारा के खिलाफ काम करने की बात कही है.
2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा के सात विधायकों ने बागी रुख अपना लिया था. राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा के सात विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोटिंग की थी. अब डेढ़ साल के बाद अखिलेश यादव ने अपने सात बागी विधायकों में से तीन को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन बाकी चार विधायकों पर कोई एक्शन नहीं लिया?
अखिलेश के इस कार्रवाई के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर क्या वजह है कि मनोज, राकेश और अभय सिंह को ही सपा से बाहर किया है, लेकिन चायल सीट से विधायक पूजा पाल, कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी, अंबेडकर नगर विधायक राकेश पांडेय, बिसौली के विधायक आशुतोष मौर्य पर एक्शन को नहीं लिया?
मनोज-राकेश-अभय को किया बाहर
राज्यसभा चुनाव 2024 के दौरान सपा के सात विधायक बागी हो गए थे. राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्या, राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की थी. इसमें अखिलेश यादव ने राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जबकि राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य को अभी भी पार्टी से नहीं निकाला है.
सपा ने जिन तीन विधायकों को निष्कासित किया है, उसके पीछे की वजह बीजेपी के लिए काम करने की बात कही है. सपा ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत सांप्रदायिक, विभाजनकारी और नकारात्मकता की राजनीति करने के चलते निष्कासित किया जाता है. साथ ही सपा ने कहा कि ये तीनों ही विधायक किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है.
सपा के 7 में से 3 बागी पर क्यों एक्शन?
सपा ने जिन विधायकों को हटाया है, उसके तर्क दिए हैं और जिन्हें नहीं हटाया, उसकी वजह भी बतायी है. समाजवादी पार्टी ने कहा कि इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई. शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है. भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा. पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी. जहां रहें, विश्वसनीय रहें.
राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह बागी तेवर अपनाने के बाद से ही 2024 के बाद से सपा के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. तीनों विधायक अखिलेश यादव को लेकर सख्त तेवर अपनाए हुए हैं और सपा प्रमुख के खिलाफ भी बयान दे रहे हैं. बीजेपी के पक्ष में खुलकर तीनों नेता सियासी बैटिंग करते नजर आते हैं. राकेश प्रताप सिंह ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में तो अखिलेश यादव को बहुत छोटा दिल का इंसान बताया था. कहा था कि मेरा नई कार खरीदना सपा प्रमुख को पसंद नहीं था. इसके अलावा अभय सिंह और मनोज पांडेय सपा को हिंदू विरोधी तक बता चुके हैं.
सपा के पीडीए पर नहीं पड़ रहा असर
अखिलेश यादव ने उन्हीं तीनों विधायकों को पार्टी से निकाला है, जो सबसे ज्यादा मुखर नजर आ रहे थे. तीनों ही सवर्ण समुदाय से आते हैं, जिसमें दो ठाकुर और एक ब्राह्मण हैं. इनके निकाले जाने से सपा के पीडीए फार्मूला (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) पर कोई सियासी इफेक्ट नहीं पड़ रहे हैं. मनोज पांडेय ब्राह्मण हैं तो अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह ठाकुर हैं. 2027 में सपा का पूरा फोकस दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटों पर है. इसीलिए अखिलेश यादव ने अपने सात में उन्हीं तीनों विधायकों को बाहर किया है, जो उनकी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं.
हालांकि, अखिलेश यादव 2024 के चुनाव में भी इन्हीं तीनों विधायकों पर सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं. अखिलेश अपनी हर रैली में इन्हें गद्दार कहते हुए सबक सिखाने की बात करते रहे हैं. मनोज पांडेय, राकेश प्रताप और अभय सिंह सीएम योगी से लेकर अमित शाह तक से कई मुलाकातें कर चुके हैं. ये तीनों ही अपने-अपने क्षेत्र में भी बीजेपी नेता की तरह काम कर रहे हैं. यही वजह है कि अखिलेश ने अपनी पहली कार्रवाई में इन्हें टारगेट किया है.
पाल-मौर्य-चतुर्वेदी पर अखिलेश मेहरबान
सपा प्रमुख अखिलेश ने चायल सीट से विधायक पूजा पाल, कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी, अंबेडकर नगर विधायक राकेश पांडेय, बिसौली के विधायक आशुतोष मौर्य पर एक्शन नहीं लिया. इसकी एक बड़ी वजह है कि राकेश प्रताप, अभय सिंह और मनोज पांडेय की तुलना में पूजा पाल, राकेश पांडेय, आशुतोष और विनोद चतुर्वेदी कोई बयानबाजी करते नजर नहीं आ रहे हैं. अखिलेश यादव के खिलाफ भी कोई सख्त तेवर नहीं अपना रखे हैं. इसके चलते ही अखिलेश यादव ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया.
समाजवादी पार्टी ने कहा कि इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई. शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है. इस तरह से वो मान रहे हैं कि पूजा पाल, राकेश पांडेय, आशुतोष और विनोद चतुर्वेदी का व्यवहार अभी पार्टी और विचारधारा के खिलाफ नहीं है.
अखिलेश यादव अगर सभी सातों विधायकों पर एक्शन लेते तो सपा के पीडीए समीकरण भी सवाल उठते, क्योंकि पूजा पाल और आशुतोष मौर्य पिछड़ी जाति से आते हैं. सपा का फोकस दलित, मुस्लिम और यादव वोटों के साथ गैर-यादव ओबीसी पर भी है, जिसमें पाल और मौर्य समाज काफी अहम माने जाते हैं. साथ ही सपा की नजर सवर्ण जाति में ब्राह्मण वोटों पर भी है, जिसके चलते राकेश पांडेय और विनोद चतुर्वेदी पर फिलहाल कोई एक्शन नहीं लिया है. इस तरह से उन्होंने ब्राह्मणों को भी सियासी संदेश देने की कवायद की है.