इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि पुलिस अधिकारी अक्सर जन शिकायतें प्राप्त करने और उनका निस्तारण करने से बचते हैं। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की पीठ ने कहा कि पुलिस आमतौर पर अपहरण के मामलों में उदासीनता दिखाती है क्योंकि उन पर कोई व्यक्तिगत जवाबदेही तय नहीं होती। पीठ नितेश कुमार नाम के एक व्यक्ति की रिट याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर रही थी। नितेश ने अपने भाई के लापता होने के संबंध में यह रिट याचिका दाखिल की है और उसका दावा है कि वाराणसी के संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा उसके भाई का पता नहीं लगाया जा रहा। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और साथ ही वाराणसी के पुलिस आयुक्त से अगली तिथि (12 जून) को या उससे पूर्व व्यक्तिगत हलफनामा पेश कर यह बताने को कहा कि अभी तक अपहृत व्यक्ति को क्यों बरामद नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि जवाबदेही की कमी से अक्सर अपह्रत व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है। अदालत ने सुझाव दिया कि अपह्रत व्यक्ति का यदि तत्काल पता नहीं लगाया जाता और उस व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है तो प्रथम दृष्टया इसकी जिम्मेदारी उस पुलिस अधिकारी पर तय की जानी चाहिए जिसके अधिकार क्षेत्र में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
उच्च न्यायालय: पुलिस अधिकारी लोक शिकायतों के निस्तारण से बचते हैं



