पक्षी राज मोर या मयूर, जो भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, इसे किन कारणों से भारत का राष्ट्रीय पक्षी स्वीकार (आत्मसात) किया गया है, इसके पीछे की एक नितांत धार्मिक कहानी है जो रोचक, ज्ञानबर्द्धक और जिज्ञासा पूर्ण है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि पक्षीराज मोर भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय भगवान का वाहन है। कहा जाता है कि कार्तिकेय भगवान मन के बड़े चंचल थे। उन्होंने अपने मन को साधने के लिए बहुत प्रयास किया और मन की चंचलता को जीतने के लिए केन्द्रीय कृत रूप से साधना और प्रयास किया। पिता भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद उनके ऊपर था ही। कहा जाता है कि उनकी इसी कमी को दृष्टिगत रखते हुए भगवान शिव ने कार्तिकेय जी को वाहन के रूप में मोर पक्षी चयनित करके दिया। क्योंकि पक्षीराज मोर अपने मन की चंचलता, प्रेम और सौन्दर्य के साथ-साथ अपने नृत्य से निज मन की चंचलता को साधता है और इसे साधकर ही किसी शुभ संकेत के आने का एक संकेतक और प्रहरी बनता है। इसलिए भगवान ने कहा है कि अपने प्रेम और सौन्दर्य दोनों से अपने मन की चंचलता को साधना होगा। इसलिए मोर को राष्ट्रीय पक्षी बनाया गया। हालांकि, इस बारे में अन्य कई कथाएं भी हो सकती हैं। लेकिन जहाँ तक मैं समझता हूँ कि मोर को राष्ट्रीय पक्षी बनाने के पीछे उसके सौन्दर्य और प्रेम के अलावा उसके सुंदर नृत्य की भी भूमिका आंकी गई होगी, जिसके पीछे सनातन धर्म की आस्था छिपी हुई है। कहा तो ये भी जाता है कि यहूदी धर्मावलम्बी भी कार्तिकेय भगवान के अनुयायी हैं और आज भी यहूदी देश में कार्तिकेय भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें आराध्य के रूप में माना जाता है। स्कन्द पुराण में भी यह बात कई जगहों पर वर्णित है, परन्तु मैं जानता हूँ कि मेरा जो अध्ययन है, वह पुराण के प्रति उतना नहीं बल्कि प्राकृतिक सौन्दर्य की अनुभूतिजनित है। इसलिए मैं अपने आवास पर नित्य या यूँ कहें कि आकस्मिक रूप से यदाकदा मोर के नृत्य को बहुत ही बारीकी पूर्वक देखता हूँ, समझता हूँ और उनके विभिन्न भावों को महसूस करते हुए प्रयास करता हूँ कि अपने जीवन में, अपने साथियों के जीवन में और जहाँ पर मैं कार्य करता हूँ, उससे जुड़े सभी लोगों के जीवन में, उनके मन में प्रेम की उमंग के साथ-साथ ऊर्जा का संचार करवा सकूं। इससे सब लोग माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी के जनहितैषी निर्देशों के क्रम में अपने शासकीय दायित्वों के निर्वहन के प्रति चेतना युक्त मन से मन की चंचलता को साधते हुए विभिन्न लोककल्याणकारी योजनाओं या समाज कल्याण विभाग से कृषि, उद्योग, व्यापार, श्रमिक, बुजुर्ग, दिव्यांग आदि सबके कल्याण के प्रति हमसब परिश्रम कर सकें। इसलिए अक्सर मै मोर के नृत्य को देखता हूँ, सोचता हूँ और उसका वीडियो बनवाकर आप सबसे साझा इसलिए करता हूँ कि इससे मेरी तरह ही आप सभी को कुछ सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे| क्योंकि कभी कभी सबका चंचल मन कार्य बोझ तले विचलित होता रहता है। इसलिए हमें अपने मन की चंचलता को पुनः स्थिर करते हुए अपने अपने काम को करने के लिए संकल्पित होना है। मैं भी होता हूँ। आइये हमलोग टीम जौनपुर जब मन की चंचलता को साधते हुए कार्य करेंगे, जनकल्याण का कार्य करेंगे, लोकल्याण का कार्य करेंगे, कृषकों, श्रमिकों, उद्यमियों, सबके हित को साधते हुए प्रत्येक गरीब व्यक्ति के जीवन में विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनको एक नई ऊर्जा प्रदान करेंगे। जिस प्रकार माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना अभियान के माध्यम से युवाओं को रोजगार देने के लिए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए 5 लाख रुपए की व्याजमुक्त धनराशि देकर उन्हें रोजगार सृजक के रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है और उसे कार्यरूप में परिणत कर दिया है, वह भी एक प्रयास है कि युवाओं के मन से उनकी चंचलता को दूर करते हुए उनको रोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाते हुए अपने जौनपुर जनपद के युवाओं को प्रदेश की भांति ही आगे बढ़ाया जाए, ताकि उनको एक नई दिशा मिल सके और उनका जीवन भी पल्लवित-पुष्पित हो सके। हमें पता होना चाहिए कि मोर जो भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, अपनी अद्वितीय सुंदरता के कारण विश्व प्रसिद्ध है। मोर का वैज्ञानिक नाम Pavo cristatus है। इसके आकर्षक रंग सबको लुभाते आए हैं। यह पक्षी जहाँ पर रहता है, वहां आसपास विषधर यानी सांप भी नहीं फटकते हैं। इसलिए भारतीय संस्कृति, कला और धर्म में इस पक्षी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। मोर की सुंदरता, आहार, जीवन शैली और सांस्कृतिक महत्व हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। इसकी पहचान उसके रंग-बिरंगे पंखों तथा आकर्षक नृत्य से होती है, जो मनभावन लगती है। इसके पंख हरे, नीले और सुनहरे रंगों के मिश्रण से बने होते हैं, जो बेहद आकर्षक और सम्मोहक प्रतीत होते हैं। इसके पंखों पर चंद्रमा जैसे आकार होते हैं, जिनमें विभिन्न रंगों का सम्मिश्रण होता है। इसका मुंह और गला बैंगनी रंग का होता है। इसके पंख बहुत ही कोमल यानी नरम और मखमली होते हैं। मोर की आंखें छोटी किन्तु नशीली होती हैं, लेकिन इनमें गहरी चमक होती है, जिससे बहुत ही खूबसूरत लगती हैं। इसका शरीर लंबाई में औसतनआ 100 से 120 सेंटीमीटर और पंख लगभग 3 से 4 फीट लंबे होते हैं, जिसकी चाल 16 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। इसका वजन औसतन 6 से 10 किलोग्राम तक हो सकता है। इसकी औसत आयु 20 वर्ष होती है। इसके शरीर पर 150 से अधिक पंख होते हैं, जो बहुत ही कीमती होते हैं। इनका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। मोर के पैरों में ताकत होती है, जो उन्हें तेज गति से दौड़ने में काफी सक्षम बनाती है। इसका मुख्य रंग हरा होता है, लेकिन इसके पंखों पर नीला, सुनहरा और ताम्र रंग का अद्वितीय सम्मिश्रण होता है। पंखों के इस रंग-बिरंगे सम्मिश्रण को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे इंद्रधनुष का कोई छोटा-सा टुकड़ा हो। इसके पंखों पर चंद्रमा के आकार के चिन्ह होते हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। चूँकि मोर के पंख नरम और मखमली होते हैं, इसलिए इनका स्पर्श बहुत ही सुखद और सौभाग्य बर्द्धक होता है। मोर जंगलों में भी उच्च स्थानों पर बैठना ज्यादा पसंद करते हैं, जैसे पीपल, नीम और बरगद आदि के पेड़। ये नदियों और जल निकायों के पास रहना बहुत पसंद करते हैं और अक्सर पेड़ों में ही अपने घोंसले बनाते हैं। भारतीय गांवों में मोर को बहुत प्यार और स्नेह मिलता है। लोग इन्हें पालतू पक्षी की तरह पालते हैं जिससे वे गाँव की सड़कों पर आराम से घूमते देखे जा सकते हैं। राजस्थान आदि राज्यों के शहरी क्षेत्रों में भी उन्हें सड़कों को पार करते हुए यदा कड़ा देखा जा सकता है। मोर बहुत ही सावधान पक्षी होते हैं| ये उड़ान बहुत कम करते हैं। ये एक पेड़ से दूसरे पेड़ या नदी के एक तट से दूसरे तट तक ही उड़ान भरते हैं। रात को आराम के लिए ये बड़े और मोटे पेड़ों पर आश्रय लेते हैं। मोर का आहार विविध भांति का शाकाहारी व मांसाहारी दोनों प्रकार का होता है। अधिकतर वे बीज, पत्तियां, कीड़े-मकोड़े, सांप, छिपकलियों आदि को खाते हैं। मोर खेत और बगीचों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन ये अपने सुंदर नृत्य से लोगों का मन मोह लेते हैं| ये हर किसी का दिल जीत लेते हैं। अक्सर देखा जाता है कि जब मोर खुश होते हैं, तब वे अपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते हैं, जो देखने में बेहद सुंदर और मनभावन प्रतीत होता है। मोर के आहार में फल-फूल और सब्जियाँ आदि भी शामिल होते हैं। वे अक्सर अपने आहार को विविध रखने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। मोर का आहार उसकी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है, खासकर जब वह नृत्य करते हैं या अपनी मादा को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। मोर का प्रजनन काल मानसून के मौसम में होता है। इस दौरान नर मोर अपने पंख फैलाकर और नृत्य करके मादा मोर को आकर्षित करते हैं। नर मोर के नृत्य में एक विशेष प्रकार की ध्वनि होती है, जिसे “की-की-की” कहते हैं। यह ध्वनि मादा मोर को आकर्षित करने के लिए होती है। वहीं मादा मोर अंडे देती है| यह एक बार में 3 से 5 अंडे देती है। अंडे देने के बाद मादा मोर उन्हें 28 दिनों तक सेती है। इस अवधि के बाद अंडों से छोटे-छोटे चूजे निकलते हैं, जिन्हें मादा मोर उनकी सुरक्षा और देखभाल करती है। मोर भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे देवताओं खासकर भगवान शिव-पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय के वाहन के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए मोर की षोडशोपचार पूजा भी की जाती है। मोर का चित्रण भारतीय कला और साहित्य में भी बहुतायत में उपलब्ध होता आया है, जिससे जनमानस में इसके प्रति एक सकारात्मक भाव है। भारतीय पौराणिक कथाओं में, मोर को शोडष कला निपुण भगवान श्री कृष्ण जी के साथ भी जोड़ा जाता है। इसलिए भगवान कृष्ण अपने सिर पर मोर का पंख धारण अवश्य करते थे, जो उनके सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देता था। मोर का पंख भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में पवित्र माना जाता है| इसे शुभता का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है। पक्षी वैज्ञानिकों के मुताबिक, मोर बारिश के मौसम में अपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते हैं, जो एक अद्भुत दृश्य होता है। मोर के पंखों पर विभिन्न रंग होते हैं, जो प्रकाश के परिवर्तन के साथ बदलते रहते हैं। मोर के सिर पर एक सुंदर कलगी होती है, जो उसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ा देती है। मोर बहुत ही सावधान होते हैं जो थोड़ी सी आहट पर भी सतर्क हो जाते हैं। मोर की औसत आयु लगभग 20 वर्ष होती है, लेकिन कुछ मोर इससे अधिक समय तक भी जीवित रह सकते हैं। नर मोर अपने पंखों को फैलाकर और नृत्य करके मादा मोर को आकर्षित करते हैं। मोर की आवाज तेज और स्पष्ट होती है, जिसे कई किलोमीटर दूर तक से भी सुना जा सकता है। मोर भारतीय राष्ट्रीय पक्षी है और इसकी सुरक्षा और संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, इसलिए इसकी सुरक्षा और संरक्षण भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए हमें मोर के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखना चाहिए और इसके शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। मोर के पंखों का उपयोग वैवाहिक या धार्मिक मंचीय सजावट और अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मोर के जीवन को व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते नुकसान पहुंच सकता है। चूँकि मोर के जीवन से मानव समुदाय को विभिन्न प्रेरणाएं मिलती हैं| इसलिए भारत सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मोर की सुरक्षा के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसके तहत मोर के आवासों को संरक्षित करने के लिए विशेष वन्यजीव अभ्यारण्यों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को मोर की सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। भारतीय नेताओं, अधिकारियों और उद्योगपतियों के आवासों पर भी मोर को पालने-पोषने का प्रचलन है जो इनके संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण व व्यवहारिक कदम है। - डॉ दिनेश चन्द्र सिंह, आईएएस, डीएम, जौनपुर, यूपी
राष्ट्रीय पक्षी मोर के जीवन से मानव समुदाय को मिलती हैं विभिन्न प्रेरणाएं, इसका हर पहलू अनुकरणीय



