उन्होंने धर्म पूछकर गोलियां मारी थीं। हम धर्म नहीं पूछते। हमारा पहला धर्म देश है। हमारा पहला धर्म समाज है जिससे मिलकर देश बना है। आधी रात के वक्त भारत ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी और ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर दिया। जिन लोगों का सिंदूर आतंकियों ने मिटाने का प्रयास किया था। एक महिला से कहा था कि जाकर मोदी को बता देना कि तुम्हारे पति को मारा है। मोदी को पता लगा और अब तो पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को भी पता लग गया कि नमक स्वाद अनुसार अकड़ औकात अनुसार ही अच्छी लगती है। वैसे भी मोदी जी ने तो पहले ही अपने एक बयान में साफ कर दिया था कि मुझमें रिस्क लेने की क्षमता औरों से ज्यादा है। भारत ने दिखा दिया कि यहां धर्म के नाम पर कभी कोई भेदभाव न हुआ है, न होगा। यही वजह है कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अड्डों को तबाह करने वाले ऑपरेशन सिंदूर की सेना की तरफ से जानकारी भी दो बेटियों ने दी। नाम है कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। कुल मिलाकर पाकिस्तान हो या कोई और देश उनका सिंदूर से कोई वास्ता भले नहीं हो, लेकिन आज के बाद कोई इस सिंदूर की ताक़त को भुला नहीं पाएगा। आतंक के इन 9 अड्डों को ही क्यों चुना गया मरकज तैयबा, मुरीदके: लश्कर का मुख्यालय। हाफिज सईद यहीं आतंकी तैयार करता था। 26/11 मुंबई हमले के अजमल कसाब और डेविड हेडली की ट्रेनिंग यहीं हुई थी। महमूना, सियालकोट: हिज्बुल मुजाहिदीन का ट्रेनिंग कैंप। कठुआ-जम्मू में आतंक का कंट्रोल रूमा जनबरी 16 के पठानकोट एयर बेस पर हमले की साजिश रची। मस्कज सुभान, बहावलपुर: जैश का मुख्यालय है। आतंकियों की भर्ती, ट्रेनिंग होती है। मसूद अजहर का भी ठिकाना। उरी हमला जैश-ए मोहम्मद ने ही किया था। सैयद बिलाल कैंप, पीओके: जैश-ए-मोहम्मद का कैंप। आतंकियों को हथियारों, विस्फोटकों के साथ घुसपैठ की ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलवामा हमले की साजित यहीं रची। बरनाला कैंप, भिंबर पीओके: लस्कर का कैंप, यहां आतंकियों को हथियार, आईईडी और जंगल में जीवित रहने की ट्रेनिंग दी जाती थी। राजौरी हमला लश्कर ने किया था। गुलपुर कैंप, कोटली, पीओके: अप्रैल 23 में पुंछ, जून 24 में रियासी हमले के हमलावर यहीं से थे। 26/11 का मास्टरमाइंड जाकिर-उर-रहमान-लखबी यहां आता था। अब्यास कैंप, कोटली, पीओके: यह लश्कर के आत्मघाती हमलावरों का ट्रेनिंग सेंटर था। यहां 50 से ज्यादा आतंकियों की ट्रेनिंग होती थी। सोनमर्ग हमले के पीछे लश्कर ही था। सरजल, सियालकोट: इसी साल मार्च में कठुआ के घने जंगलों में जम्मू कश्मीर पुलिस के चार जवानों की हत्या करने वाले जैश आतंकियों की। सवाई नाला, पीओके: 20 अक्टूबर 2024 को सीनमार्ग के हमलावर और पिछले महीने पहलगाम के हमलावर आतंकियों की ट्रेनिंग लश्कर ने यहीं करवाई थी। ऐसे किया गया टारगेट का चयन आर्ड फोर्सेस ने कहा कि पाकिस्तान में तीन दशकों से आतंकी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। इसमें रिक्रूटमेंट, इन डॉक्टरेशन सेंटर (भड़काने और दिमाग में जहर घोलने वाले सेंटर), ट्रेनिंग एरिया, लॉन्च पैड शामिल थे। जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर दोनों में फैले हैं। ऑपरेशन सिंदूर के लिए टारगेट का चयन विश्वसनीय इंटेलिजेंस सूचनाओं के आधार पर हुआ, ताकि आतंकवादी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ी जा सके। ये खास ध्यान दिया गया कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के निर्दोष नागरिकों और सिविलियंस इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान ना पहुंचे। भारत के अंदर रहकर भी पाक में स्ट्राइक आर्मी और एयरफोर्स की स्ट्राइक एक वक्त पर एक साथ हुई। फाइटर जेट ने भारत के एयरस्पेस में रहकर ही स्टैंडऑफ वेपन (यानी अपनी जगह पर रहकर ही मार कर सकते हैं) से वार किया। माना जा रहा है कि फाइटर जेट मिराज-2000 से स्पाइस 2000 बम का इस्तेमाल किया गया। यह इस्राइली बम है, जिसका इस्तेमाल बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी किया गया था। स्पाइस-2000 में 60 किलोमीटर तक की ग्लाइड रेंज है, जिसका मतलब है कि फाइटर जेट को दुश्मन के एयर स्पेस में प्रवेश किए बिना बम को छोड़ा जा सकता है। रफाल फाइटर जेट का इस्तेमाल किया गया है। ये अत्याधुनिक लंबी मिसाइल है। यह मिसाइल अपनी सटीकता, स्टील्थ क्षमता के जानी जाती है। इस मिसाइल को फ्रांस और यूके ने मिलकर बनाया है। इसकी रेंज 200 से 300 किलोमीटर तक है। आतंकियों पर एयर स्ट्राइक के लिए फाइटर पैकेज में सुखोई-30 भी शामिल थे। सॉफ्ट नेशन से इतर नए भारत की छवि सॉफ्ट नेशन की धारणा का मतलब है कि एक देश अपनी विदेश नीति में पर्याप्त रूप से आक्रामक या दृढ़ नहीं है। विशेष रूप से आतंकवाद और पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान के साथ संबंधों में भारत बिल्कुल भी दृढ़ नहीं रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में भारत की भूमिका और वैश्विक संघर्षों में तटस्थता ने इसे सैन्य आक्रामकता से दूर एक ‘नरम’ देश के रूप में प्रस्तुत किया। भारत को सॉफ्ट नेशन का दर्जा ऐतिहासिक शांतिवाद, संयमित कूटनीति, और सीमित सैन्य आक्रामकता के कारण मिला। हालांकि, 21वीं सदी में भारत की नीतियों, सैन्य कार्रवाइयों, और वैश्विक प्रभाव में बदलाव ने इस धारणा को काफी हद तक कमजोर किया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट हवाई हमले, और 2025 का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ भारत के आक्रामक रुख को दर्शाते हैं। भारत की स्वतंत्रता गांधीवादी अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित थी, जिसने विश्व में भारत को शांतिप्रिय राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
Pahalgam to Operation Sindoor Part 4 | 17 साल के आतंक का 25 मिनट वाला हिसाब | Teh Tak



