Pahalgam to Operation Sindoor Part 5 | पाकिस्तान के फेर में चीन-तुर्की भी पिट गए | Teh Tak

Pahalgam to Operation Sindoor Part 5 | पाकिस्तान के फेर में चीन-तुर्की भी पिट गए | Teh Tak

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अपनी औकात से बढ़कर काम करने की कोशिश की। लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम के सामने पाकिस्तान की मिसाइलें धूल चाटती नजर आई। वो मिसाइलें अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो कौड़ी की रह गई। क्योंकि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम ऐसा खतरनाक है कि इन सारे हथियारों को हवा में ही ढेर कर दिया। पाकिस्तान का जेट, मिसाइल, ड्रोन सब के सब खत्म हो गए। 10 मई की तड़के इस्लामाबाद ने फतह-II मिसाइल लॉन्च की, जिसे भारत ने हरियाणा के सिरसा में रोक दिया। 8-9 मई की दरमियानी रात को कई भारतीय शहरों पर बिना उकसावे के हमले जारी रखने के दौरान पाकिस्तान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई। मिसाइल का लक्ष्य दिल्ली था। पाकिस्तान की इस हरकत ने पड़ोसी देश के मिसाइल शस्त्रागार और भारत के साथ उसकी तुलना पर फिर से ध्यान केंद्रित कर दिया है। भारतीय सशस्त्र बलों ने न केवल पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया जैसा कि उपग्रह चित्रों से पुष्टि हुई है और पाकिस्तानी अधिकारियों ने भी इसे स्वीकार किया है - बल्कि ऐसा मुख्य रूप से घरेलू स्तर पर निर्मित हथियारों का उपयोग करके किया। ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया के सबसे ताकतवर सुपरसोनिक मिसाइल की ताकत कुछ ऐसी है कि चीन जैसा देश भी इसका सामना करने से कतराता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत-रूस संयुक्त उद्यम है और यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, पोतों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना की गति से उड़ान भरती है। यह संस्करण लगभग 290 किलोमीटर दूरी तक मार सकता है। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए अचूक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल। दो वैरिएंट हैं। 450 से 800 किमी तक रेंजा जमीन, समुद्र व हवा से दाग सकते हैं। कीमत 15 से 30 करोड़ रुपए। सबसे खास बात ये है कि यह मिसाइल स्‍टील्‍थ टेक्‍नोलॉजी के साथ एडवांस्‍ड गाइडेंस सिस्‍टम से भी लैस है और यह आसानी से दुश्‍मन देश के रडार को धोखा दे सकती है। आकाश एयर डिफेंस सिस्टम भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंदर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर समन्वित और सटीक हमले करने के एक दिन बाद, इस्लामाबाद ने जवाबी हमला किया - देश के नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। पड़ोसी देश ने भारत पर कहर बरपाने ​​के लिए ड्रोन और मिसाइलों का एक झुंड - ज़्यादातर चीनी और तुर्की - को छोड़ दिया। हालाँकि, आकाश मिसाइल प्रणाली ने इन हमलों को विफल कर दिया, जिससे इसकी प्रभावशीलता का पता चला। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित और सरकारी कंपनी भारत डायनेमिक्स द्वारा निर्मित, आकाश एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) है और यह भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का एक हिस्सा है। नागस्त्र-1 भारत का पहला स्वदेशी लोइटरिंग म्यूनिशन, नागस्त्र-1, दुश्मन की बढ़त को विफल करने में भारतीय सैनिकों की महत्वपूर्ण सहायता करता है। नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित, पोर्टेबल आत्मघाती ड्रोन को सीधे लक्ष्य पर उड़ान भरकर और विस्फोट करके सटीक हमले करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। संघर्ष के दौरान इसकी प्रभावशीलता ने ड्रोन युद्ध में भारत की तीव्र प्रगति को प्रदर्शित किया। स्काईस्ट्राइकर भारत और इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, स्काईस्ट्राइकर लोइटरिंग म्यूनिशन एक और महत्वपूर्ण संपत्ति थी। यह 5-10 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने, दो घंटे तक उड़ान भरने और चुपके और सटीकता के साथ लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है। इसकी सफल तैनाती ने लंबी दूरी, उच्च सटीकता वाले ड्रोन संचालन में भारत की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित किया। विश्व की बड़ी मिसाइल शक्ति भारत भारत में मिसाइल तकनीक का समृद्ध इतिहास है। स्वतंत्रता से पहले, भारत के कई राज्य अपने युद्ध के हिस्से के रूप में रॉकेट का इस्तेमाल कर रहे थे। मैसूर के शासक हैदर अली ने 18वीं शताब्दी के मध्य में अपनी सेना में लोहे के आवरण वाले रॉकेट शामिल करना शुरू किया। जब हैदर के बेटे टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई, तब तक उनकी सेना की प्रत्येक ब्रिगेड में रॉकेटियर की एक कंपनी शामिल हो गई थी, जिसमें लगभग 5,000 रॉकेट ले जाने वाले सैनिक थे। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने मिसाइलों की खोज शुरू की और वर्षों में अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) सहित मिसाइल प्रौद्योगिकी का एक व्यापक विकास किया, जिससे वह इस तकनीक के साथ पृथ्वी पर केवल सात देशों में से एक बन गया। एस-400 का काट दुनिया के पास नहीं एस-400 रडार 300 लक्ष्य ट्रैक बनाए रख सकते हैं जबकि एक साथ 36 खतरों को निशाना बना सकते हैं। यह विभिन्न प्रकार के उन्नत हथियारों का उपयोग करके कम दिखाई देने वाली उड़ती वस्तुओं का पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक कर सकता है। इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक है और यह चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों से घुसपैठ करने वाली वस्तुओं को निशाना बना सकता है। यह समुद्र तल से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर लक्ष्य पर हमला कर सकता है। यह एक स्तरित रक्षा के हिस्से के रूप में चार अलग-अलग मिसाइलों को दाग सकता है। इसमें एंटी-एयर मिसाइल लांचर और कमांड और कंट्रोल मिसाइल शामिल हैं।

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