रिलायंस जियो ने सरकार पर बनाया दबाव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर रख दी ये मांग

रिलायंस जियो ने सरकार पर बनाया दबाव, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर रख दी ये मांग

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन पर विवाद नहीं थम रहा है। इस मामले में रिलायंस जियो ने एक बार फिर से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में रिलायंस जियो ने सुप्रीम कोर्ट के जज की राय का हवावा देकर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से कहा है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में सभी टेलिकॉम ऑपरेटर से सही से सलाह मशविरा करके कोई निर्णय लेना चाहिए, जिससे सैटेलाइट स्पेक्ट्रम में सबी प्लेयर को बराबरी का हिस्सा मिल सके। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा है कि दूरसंचार अधिनियम की अनुसूची। में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है। 

इससे पहले जियो ने पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश केएसपी राधाकृष्णन की सलाह देते हुए कहा था कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के मामले में पारदर्शी तरीके के अपनाया चाहिए। साथ ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए मार्केट दरों पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने की मांग की गई है। स्टारलिंक और अमेजन जैसी बड़ी सैटकॉम फर्मे ने शहरी इलाकों में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए मार्केट दरों पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने की मांग की गई है। स्टारलिंक और अमेजन जैसी बड़ी सैटकॉम फर्मे ने शहरी इलाकों में सैटेलाइट सर्विस देने का प्लान बनाया है। रिपोर्ट की मानें, तो टेलिकॉम और दूर संचार कंपनियों के बीच की लड़ाई अच्छी है, क्योंकि सैटेलाइट कंपनियां और दूरसंचार कंपनियां की प्रतिस्पर्धा से मार्केट मजबूत बनेगा। 

दरअसल, मोबाइल टावर के बिना सीधे सैटेलाइट की मदद से इंटरनेट पहुंचाने के प्रॉसेस को सैटेलाइट इंटरनेट कहा जाता है। इस प्रॉसेस में एक रिसीवर की मदद से सीधे सैटेलाइट से कनेक्टिविटी ऑफर की जाती है। इसमें हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिलती है। साथ ही किसी तरह की देरी नहीं होती है। 

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