9 जजों की संविधान पीठ का ऐतिहासिक फैसला, हर निजी संपत्ति पर कब्ज़ा नहीं कर सकती सरकार

9 जजों की संविधान पीठ का ऐतिहासिक फैसला, हर निजी संपत्ति पर कब्ज़ा नहीं कर सकती सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाले प्रत्येक निजी संपत्ति संसाधन को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत भौतिक संसाधन नहीं कहा जा सकता है। नौ जजों की पीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, सुधांशु धूलिया, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि तीन जजमेंट हैं, मेरा और 6 जजों का। जस्टिस नागरत्ना का आंशिक सहमति वाला और जस्टिस धुलिया का असहमति वाला। 

1 मई को रखा था फैसला सुरक्षित

पीठ द्वारा 1 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी व्यक्ति के प्रत्येक निजी संसाधन को समुदाय के भौतिक संसाधन के हिस्से के रूप में रखना दूर की कौड़ी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उन निवेशकों को भी डरा देगा जो उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के स्तर से सावधान होंगे। यह टिप्पणी तब आई जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि विभिन्न संविधान पीठों के 16 फैसलों में निजी संपत्ति और निजी संसाधनों को शामिल करने के लिए भौतिक संसाधनों की लगातार व्याख्या की गई है। शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित एक संदर्भ पर सुनवाई की।

दो अलग अलग मत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में साफ कर दिया है कि सरकार सभी निजी संपत्तियों की अधिग्रहण नहीं कर सकती। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया। यह संदर्भ 1978 में कर्नाटक राज्य और अन्य आदि बनाम श्री रंगनाथ रेड्डी और अन्य मामले में दिए गए फैसले में न्यायाधीशों द्वारा दिए गए दो विचारों के संदर्भ में सामने आया। मामला सड़क परिवहन सेवाओं के राष्ट्रीयकरण से संबंधित था। न्यायमूर्ति वी आर कृष्णा अय्यर की एक राय यह थी कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में प्राकृतिक और मानव निर्मित, सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाले दोनों संसाधन शामिल होंगे। हालाँकि, न्यायमूर्ति एन एल उंटवालिया द्वारा लिखे गए दूसरे फैसले में कहा गया है कि अधिकांश न्यायाधीश न्यायमूर्ति अय्यर द्वारा अनुच्छेद 39 (बी) के संबंध में अपनाए गए दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं। 1982 के संजीव कोक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बनाम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और अन्य मामले में न्यायमूर्ति अय्यर के रुख की और पुष्टि की गई।

39 (बी) की अलग अलग व्याख्या 

बता दें कि 39 (बी) की अलग अलग व्याख्या की गई है। अलग अलग बेंच व्याख्या में उलझती रही है। इससे ये साफ नहीं है कि कौन सी चीज समुदाय का संसाधन है और क्या नहीं? 39बी संविधान के चौथे भाग में आता है। अनुच्छेद 39 (सी) में कहा गया है कि आर्थिक प्रणाली के संचालन के परिणामस्वरूप सामान्य हानि के लिए धन और उत्पादन के साधनों का संकेंद्रण नहीं होता है।

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