पंजाब में आतंकवाद ही नहीं, तरह-तरह के नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध की कीमत पंजाब चुका रहा है, जिसने लंबे समय से पंजाब को जकड़ रखा है। पिछले दस महीनों में पंजाब पुलिस ने 153 बड़े ऑपरेटरों सहित 10,524 तस्करों को गिरफ्तार किया है। पंजाब ने स्थानीय तस्करों के साथ-साथ बड़े ड्रग नेटवर्क को लक्षित करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। हाल ही में 790 किलोग्राम हेरोइन, 860 किलोग्राम अफीम और अन्य नशीले पदार्थों के साथ-साथ 13 करोड़ रुपये से अधिक ड्रग मनी जब्त की गई है। इन आपराधिक अभियानों की वित्तीय बुनियाद पर प्रहार करते हुए नशे के कारोबार से जुड़े लोगों की 208 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई। हालांकि, अभी पर्दे के पीछे से काम करने वाले प्रमुख तस्करों को बेनकाब करने और कानूनन दंडित करने की सख्त जरूरत है। ड्रग की तस्करी और व्यापक रूप से नशे की लत पंजाब की सबसे उल्लेखनीय घातक सामाजिक-राजनीतिक चुनौती बन चुकी है जो कई प्रकार से पूरे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही है।
पाकिस्तान पोषित इस नशीले कारोबार की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस साल सीमा सुरक्षा बल ने पंजाब की पाकिस्तान से लगती सीमा से 183 ड्रोन जब्त किए। जो वर्ष 2023 में बरामद 107 ड्रोन से कहीं अधिक हैं। पाक प्रायोजित यह तस्करी परिष्कृत एवं सुनियोजित तरीके से की जा रही है, जिसके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। खासकर, ऐसे संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में इस समस्या की भयावहता को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि इसके खिलाफ एक ऐसी संपूर्ण लड़ाई छेड़ी जाए जिसमें कामयाब होने में अगर कई वर्ष भी लग जाएं तो उसे जारी रखा जाए। नशे की समस्या पिछले कई वर्षों के दौरान और बद से बदतर होती गई है और पिछले पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा था। क्योंकि शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों से हर रोज युवाओं की मौत की खबरें हो या विधवाओं का क्रंदन समूचा देश हिला है। कितनी मांओं की गोद उजड़ गई और कितने वृद्ध पिताओं की सहारे की लाठी टूट गई। नशीले पदार्थों का धंधा सीमाओं से होते हुए देश की रग-रग में पसरता गया है।
पंजाब में बिछा ड्रग्स का जाल जनजीवन के लिये बड़ी चुनौती है। पंजाब पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं ईरान के तथाकथित गोल्डेन क्रेसेंट से तस्करी कर लाई गई नशीली दवाओं का एक पारगमन बिंदु (ट्रांजिट प्वाईंट) तथा बाजार दोनों ही है। जहां अफगानिस्तान में उत्पादित हेरोईन की भारत-पाकिस्तान की 553 किमी लंबी और अवैध घुसपैठ की संभावनाओं से युक्त सीमा से तस्करी की जाती है, अफीम, अफीम की भूसी, चरस एवं हशीश जैसी अन्य नशीली दवाएं आसपास के देशों से आती हैं। भारत एवं पाकिस्तान सीमा पर अच्छी सड़कों का अभाव भी सीमा पर लगी बाड़ के नीचे सुरंगों की खुदाई के जरिये भारी मात्रा में मादक दवाओं की खेप के हस्तांतरण के काम को आसान बना देती हैं। पंजाब पुलिस की नशे से जुड़े आतंकवदी तंत्र की जांच करने की सीमित क्षमता है, खासकर, इस समस्या का मुकाबला करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकीय एवं वैज्ञानिक उपकरणों की उसके पास कमी है। पंजाब में राजनीति और ड्रग्स का चोली दामन का संबंध है, बड़ी राजनीतिज्ञ पार्टियों की नशा माफिया एवं नशीले पदार्थों के तस्करों के साथ काफी मिलीभगत है और यही वजह है कि पंजाब ‘नशीले पदार्थों की राजनीति’ के युग से गुजर रहा है। इसलिये भी यह समस्या उग्र से उग्रतर होती जा रही है।
पंजाब में नशे की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट भी चिन्ता व्यक्त करता रहा है, अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उसने पंजाब सरकार को फटकार भी समय-समय पर लगाई है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘पंजाब में नशे की समस्या बढ़ती जा रही है। नकली शराब और नशीले पदार्थों को रोका जाना चाहिए। ऐसे तो युवा खत्म हो जाएंगे। गरीब लोग मर रहे हैं। पंजाब में हर गली में एक भट्टी होती है। अगर कोई चाहे तो देश को खत्म कर देगा। अगर बॉर्डर क्षेत्र सुरक्षित नहीं है तो कैसे चलेगा? नशा माफिया के आगे बेबस क्यों पंजाब सरकार?’ सुप्रीम कोर्ट की चिन्ता पंजाब में नशे की गंभीर चुनौती को देखते हुए वाजिब है। जिसके खिलाफ व्यापक पैमाने पर योजनाबद्ध अभियान वक्त की जरूरत है। सरकारें लंबे समय से इसके विरुद्ध कार्रवाई की बात तो करती रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में कम ही बदलाव नजर आया है। फिलहाल पंजाब में नशीले पदार्थों के खिलाफ जारी कार्रवाई आप सरकार की नई प्रतिबद्धता को दर्शाती है और सतही तौर पर नशे की खिलाफ सफलता के आंकड़े एक सराहनीय कार्रवाई को दर्शाते हैं, लेकिन इसके बावजूद समस्या की विकटता को देखते हुए ये आंकड़े पर्याप्त नहीं हैं। वक्त की जरूरत है कि लगातार भयावह होती स्थिति में पुलिस को इस खेल की बड़ी मछलियों को बेनकाब करके नशे के प्रवाह पर रोक लगानी चाहिए। इसके बाद बड़े नशा तस्करों के खिलाफ व्यापक स्तर का अभियान चलाना चाहिए। जिससे समाज में यह संदेश जाए कि कोई कितना भी ताकतवर व्यक्ति क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। साथ ही यह भी कि समाज विरोधी कार्यों में लिप्त होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे तत्वों को राजनीतिक संरक्षण देने वाली ताकतों को भी बेनकाब करने की जरूरत है।
पंजाब सरकार की सख्त कार्रवाई का यह संदेश नशा माफिया को जाना जरूरी है कि इस काले कारोबार से जुड़े लोगों की दंडमुक्ति संभव नहीं है। इसके अलावा सीमा पार से चलाए जा रहे नशे के कारोबार के लिये पडोसी देश को भी कड़ा संदेश जाना चाहिए। नशे की तस्करी में तमाम आधुनिक साधनों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, बीएसएफ ने पहल करते हुए एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए हैं। जिसके सार्थक परिणाम भी मिल रहे हैं। पंजाब में नशे की गंभीर चुनौती को देखते हुए सीमा सुरक्षा को फुलप्रूफ करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिये। जिसमें उच्च तकनीक व विभिन्न एजेंसियों में बेहतर तालमेल की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पूर्व में ‘ड्रग्स-फ्री इंडिया’ अभियान चलाने की बात कहकर इस राष्ट्र की सबसे घातक बुराई की ओर जागृति का शंखनाद किया है। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के युवा गुटका, चरस, गांजा, अफीम, स्मैक, शराब और भांग आदि के नशे में पड़ कर बर्बाद हो रहे हैं। इस कारण से वे आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकलांगता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। विशेषतः पंजाब के युवा नशे की अंधी गलियों में धंसते जा रहे हैं, वे अपनी अमूल्य देह में बीमार फेफड़े और जिगर सहित अनेक जानलेवा बीमारियां लिए एक जिन्दा लाश बने जी रहे हैं पौरुषहीन भीड़ का अंग बन कर। नशे के ग्लैमर की चकाचौंध ने चिन्ताजनक स्थितियां खड़ी कर दी है। पाकिस्तान नशे के आतंक से अपने मनसूंबों को पूरा कर रहा है। चिकित्सकीय आधार पर देखें तो अफीम, हेरोइन, चरस, कोकीन, तथा स्मैक जैसे मादक पदार्थों से व्यक्ति वास्तव में अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है एवं पागल तथा सुप्तावस्था में हो जाता है। ये ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ हैं, जिनकी लत के प्रभाव में व्यक्ति अपराध तक कर बैठता है। मामला सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं अपितु अपराध से भी जुड़ा हुआ है। कहा भी गया है कि जीवन अनमोल है। नशे के सेवन से यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है या अपराध की अंधी गलियों में धंसता चला जाता है, पाकिस्तान युवाओं को निस्तेज करके एक नये तरीके के आतंकवाद को अंजाम दे रहा है।
- ललित गर्ग