देर से ही सही, Xi Jinping को आखिरकार Modi की बात समझ में आ ही गयी, आसान नहीं था चीनी सैनिकों को पीछे हटाना

देर से ही सही, Xi Jinping को आखिरकार Modi की बात समझ में आ ही गयी, आसान नहीं था चीनी सैनिकों को पीछे हटाना

लंबे तनाव के बाद आखिरकार भारत और चीन के संबंध सामान्य होते नजर आ रहे हैं। हम आपको बता दें कि भारत ने घोषणा की है कि भारतीय और चीनी वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। इस समझौते को रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। हम आपको बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच पिछले कई हफ्तों तक हुई बातचीत के बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया और यह 2020 में पैदा हुए गतिरोध के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बताया है कि भारतीय और चीनी सैनिक एक बार फिर उसी तरह से गश्त शुरू कर सकेंगे, जैसे वे सीमा पर टकराव शुरू होने से पहले करते थे और चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।

हम आपको बता दें कि मोदी और जिनपिंग के रूस के काजान शहर में बिक्स शिखर सम्मेलन के इतर आज या बुधवार को द्विपक्षीय मुलाकात करने की संभावना है। समझा जाता है कि यह समझौता देपसांग और डेमचोक में गश्त की शुरुआत करेगा, क्योंकि दोनों इलाकों में कई मुद्दों को लेकर गतिरोध बरकरार था। हम आपको याद दिला दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे। यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी। पिछले कुछ वर्षों में कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हट गए थे। हालांकि, बातचीत में देपसांग और डेमचोक में गतिरोध दूर नहीं किया जा सका।

हम आपको बता दें कि सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत और चीन के राजनयिक एवं सैन्य वार्ताकार पिछले कई हफ्तों से विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के करीबी संपर्क में रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बनी है, जिससे 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए गतिरोध का समाधान और सैनिकों की वापसी संभव हो सकेगी।’’ मिस्री ने कहा, ‘‘हम इस संबंध में आगे के कदम उठाएंगे।’’

दूसरी ओर, एनडीटीवी विश्व सम्मेलन के एक सत्र में जयशंकर ने समझौते को अंतिम रूप दिए जाने को एक "सकारात्मक घटनाक्रम" करार दिया। उन्होंने कहा, "हम गश्त के साथ सैन्य वापसी पर एक समझौते पर सहमत हुए, जिसके तहत 2020 की स्थिति बहाल हो गई। हम कह सकते हैं कि चीन के साथ सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।" जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है; यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है और मैं कहूंगा कि यह बहुत ही संयमित और बहुत ही दृढ़ कूटनीति का नतीजा है।" एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने संकेत दिए कि भारत देपसांग और अन्य इलाकों में गश्त करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, "हमारे बीच एक सहमति बनी है, जो न सिर्फ देपसांग में, बल्कि और भी इलाकों में गश्त की अनुमति देगी। मेरी समझ से इस सहमति के जरिये हम उन इलाकों में गश्त करने में सक्षम होंगे, जहां हम 2020 में (गतिरोध से पहले) कर रहे थे।" जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष गतिरोध खत्म करने के लिए सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "एक तरफ हमें स्पष्ट रूप से जवाबी तैनाती करनी थी, लेकिन साथ-साथ हम बातचीत भी करते रहे। सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं, जब मैंने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी।"

विदेश मंत्री ने कहा, "यह बहुत ही संयमित प्रक्रिया रही है और शायद यह 'जितना हो सकती थी और होनी चाहिए थी, उससे कहीं अधिक जटिल थी।" उन्होंने कहा कि 2020 से पहले एलएसी पर शांति थी और "हमें उम्मीद है कि हम उस स्थिति को बहाल कर सकेंगे।" जयशंकर ने कहा, "यह हमारी प्रमुख चिंता थी, क्योंकि हमने हमेशा कहा है कि अगर आप शांति और स्थिरता में खलल डालते हैं, तो आप संबंधों के आगे बढ़ने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?" वार्ता की कठिन डगर पर जयशंकर ने कहा, "आप सकते हैं कि कई मौकों पर, लोगों ने लगभग उम्मीदें छोड़ दी थीं।" 

हम आपको बता दें कि भारत लगातार कहता आ रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल नहीं होती, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत गतिरोध शुरू होने के बाद से हुई सभी वार्ताओं में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक से अपने सैनिक हटाने का दबाव डाल रहा है। पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग में विवाद का जल्द समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत की थी। ब्रिक्स देशों के एक सम्मेलन से इतर हुई बातचीत में दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से पूर्ण सैन्य वापसी के लिए "तत्काल" और "दोगुने" प्रयास करने पर सहमत हुए थे। बैठक में डोभाल ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता और एलएसी का सम्मान आवश्यक है।

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