ग्रीन कानपुर, क्लीन कानपुर अभियान पर विराम लग गया है और शहर में जगह जगह कूड़े का अंबार है. कूड़ा उठाने का काम पूरी तरह से ठप हो गया है. कानपुर नगर निगम कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी निभाता है लेकिन कानपुर नगर निगम इस समय मजबूर है क्योंकि जिन गाड़ियों से कूड़ा उठाया जाता है वो चलने की हालत में नहीं है. इन गाड़ियों के संचालन के लिए कानपुर नगर निगम के पास पेट्रोल और डीजल की व्यवस्था नहीं है. अधिकृत पेट्रोल पंप ने नगर निगम को ईंधन देने से मना कर दिया है. साथ पिछले बकाया को भुगतान करने का अल्टीमेटम दिया है.
नगर निगम के पास लगभग 400 वाहन हैं जिनसे शहर के कूड़े को उठाया जाता है लेकिन पिछले 4 महीनों से 12 सौ करोड़ का भुगतान अभी तक अधिकृत पेट्रोल पंप को नहीं किया गया है. वहीं नगर निगम से बिल के भुगतान की उम्मीद में पेट्रोल पंप मालिकों ने बड़ी आस लगा रखी थी लेकिन उम्मीदें पूरी होती हुई दिखाई नहीं दे रही हैं. शहर के बाहरी हिस्से से लगभग 250 टन कूड़ा निकलता है जिन्हे शहर के बाहर बने प्लांट पनकी के पास भेजा जाता है लेकिन अब ईंधन न होने के चलते वो भी प्लांट तक नही पहुंच रहा है. वहीं शहर के तमाम क्षेत्र में कूड़े के ढेर लगे हैं फिर चाहे कूड़े को उठाने वाली जेसीबी की बात हो या कूड़ा ढोने वाली गाड़ियों की सभी बिना ईंधन के बेजान खड़ी हैं.
क्या बोलें नगर आयुक्त?
वहीं नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने इस बात को नकारते हुए बताया कि कूड़े का निस्तारण कराया जा रहा है, कोई भी दिक्कत नहीं आ रही है. गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर सफाई कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की माने तो नगर निगम ने अभी तक बकाया भुगतान नहीं किया है जिसकी वजह से कूड़े के ढेर साफ नहीं हो पा रहे हैं. लगभग 7000 हजार लीटर ईंधन की रोजाना जरूरी पड़ती है और अधिकृत पंप मालिकों ने ईंधन देने से मना कर दिया है. शहर में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कूड़े का अंबार है.