सभी मीडिया सर्वेक्षणों, एग्जिट पोल तथा पोल पंडितों को धता बताते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार हरियाणा के चुनावों में लगातार तीसरी बार भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की है उसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है। लोकसभा चुनावों में 240 पर सिमट जाने के बाद कांग्रेस और इंडी गठबंधन का लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न लगा रहा था और कांग्रेस नेता राहुल गांधी कह रहे थे कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आत्मविश्वास हिला दिया है अब प्रधानमंत्री मोदी पहले जैसे नहीं रहे किंतु आठ अक्टूबर को आए हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों ने बाजी पलट कर रख दी है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत का जहर घोलने वालों, अग्निवीर से लेकर फ्री राशन जैसी सरकारी नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों को पर्याप्त संकेत मिल गया है। हरियाणा की जनता ने निराशावादियों की ओर से फैलायी जा रही निराशा को उन्हीं की ओर वापस फेंक दिया है। हरियाणा के परिणामों से पूरे भारत की जनता आनंदित है। हरियाणा में भाजपा की यह जीत कई मायने में ऐतिहासिक और परिणाममूलक है क्योंकि इस विजय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी के समस्त कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों में एक नये उत्साह का संचार हुआ है जो आगामी सभी विधानसभा चुनावों झारखंड, महाराष्ट्र और फिर दिल्ली के विधानसभा चुनावों की तैयारी लगे हैं। वहीं उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी बीजेपी अब यूपी की 10 विधानसभा सीटों को जीतने के लिए नये उत्साह व मनोयोग के साथ मैदान में उतरने जा रही है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में योगी को घेरने की दृष्टि से बसपा जोर आजमाइश करने की तैयारी करने जा रही थी किंतु हरियाणा में गठबंधन के साथ उसको जोरदार झटका लगा है और अधिकांश सीटों पर जमानतें जब्त हो गई हैं। हरियाणा की जनता ने बसपा की विचारधारा को नकार दिया है।
चुनाव परिणाम आने के पश्चात विजयी और पराजित दोनों ही पक्षों ने अपनी अपनी समीक्षा प्रारम्भ कर दी है। हरियाणा में भाजपा ने विधानसभा चुनावों में पूरा ध्यान बूथ प्रबंधन पर रखा, कई क्षेत्रों में तो में सरपंची स्तर की तरह चुनाव लड़ा जिसका बड़ा लाभ चुनाव परिणामों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। वहीं कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में विजय संकल्प यात्रा निकाली किंतु राहुल गांधी के ओछे बयानों व हरकतों से हुड्डा की रणनीति परवान नहीं चढ़ पाई। भाजपा की ओर से प्रधानमत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में प्रचार किया गया। भाजपा ने 150 रैलियां की जबकि कांगेस ने 70। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिह हुड्डा को आगे किया किन्तु कुमारी शैलजा के साथ उनकी अनबन से कांग्रेस की आंतरिक कलह बाहर आ गई।
संघ व योगी की जनसभाओं ने मचाया धमाल- विश्लेषकों का अनुमान है कि हरियाणा विधानसभा चुनावों में संघ का सक्रिय सहयोग भाजपा की बड़ी जीत में अहम रहा है। भाजपा और संघ के नेताओं की समन्वय बैठक हो जाने के बाद डा. मोहन भागवत ने भी तीन दिन तक हरियाणा का प्रवास किया गया और इसका स्वयंसेवकों के बीच सकारात्मक संकेत गया। हरियाणा में संघ ने हिंदू समाज को एकजुटता का संदेश देते हुए 16 हजार जनसभाएं करके वातावरण बना दिया। हरियाणा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अदृष्य शक्ति के रूप में भाजपा की सहायता कर रहा था।
हरियाणा में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं की बहुत मांग थी और उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ आ रही थी। योगी जी ने 14 सीटों पर प्रचार किया और उनमे से नौ सीटों पर विजय मिली है। योगी जी ने हिंदुओ को एकजुट होकर राष्ट्र के लिए वोट देने की अपील की थी। योगी जी ने अपनी रैलियों में “बटेंगे तो कटेंगे” का मर्म समझाकर वातावरण बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगी जी ने अपनी एक रैली में कहा कि हमें राष्ट्र के लिए एक होना पड़ेगा, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुए अत्याचारों का मुद्दा भी उठाया, योगी जी ने स्पष्ट रूप से अपील करते हुए कहा कि अगर हम बाटेंगे तो कटेंगे, अगर हिंदू एक नहीं होंगे तो हमारे देश का हाल भी बांग्लादेश जैसा हो जाएगा। योगी जी ने राम मंदिर पर बयान दिये। योगी आदित्यनाथ जी के भाषणों व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयासों से हरियाण में हिंदू जनमानस एकजुट हो गया और उससे मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दलों के होश उड़ गये।
हरियाणा में हिंदू जनमानस को राहुल गांधी के अटपटे बयानों के कारण भी एकजुट होना पड़ गया क्योंकि हरियाणा की जनसभाओं में राहुल गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर का एक बार फिर विकृत तरीके से अपमान करते हुए कहा कि वहां पर मंदिर का उद्घाटन हो रहा थ तब वहां खुल रहा था और नाच गाना चल रहा था। इस बयान का हरियाणा की रामभक्त जनता पर विपरीत असर पड़ा और परिणाम सबके सामने है। राम मंदिर पर राहुल गांधी के बयान हरियाणा कांग्रेस के लिए सबसे बड़े पनौती सिद्ध हुए। इसके अतिरिक्त कांग्रेस के मुस्लिम विधायक कह रहे थे कि सरकार आई तो हिंदुओं को देख लेंगे। जूनियर हुड्डा बीजेपी नेताओं को जेल भेजने की धमकी दे रहे थे। कांग्रेस ने चुनाव जीतते ही तथाकथित किसानों के लिए शंभू बार्डर खोलने का ऐलान किया था।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अमेरिका में जाकर जमकर भारत विरोधी बयानबाजी की और यहां तक कह डाला कि जब उन्हें आभास होगा कि अब भारत के हालात अच्छे हो गये हैं तब वह आरक्षण समाप्त कर देंगे, बदल देंगे और इस प्रकार वह अपने ही बुने जाल में फंस गये क्योंकि लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी पर आरोप लगा रहे थे कि अगर बीजेपी 400 पार चली जायेगी तो आरक्षण समाप्त कर देगी। हरियाणा की जनता को कांग्रेस परिवार की बकवास पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने युवा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ही एक बार फिर अपना समर्थन दे दिया।
हरियाणा चुनावों के समय ही कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों व कांग्रेस के लोकलुभावन वादों की पोल खुल गई। हिमाचल प्रदेश में अवैध मस्जिदों के खिलाफ हिंदू समाज सड़क पर उतर आया जिसका असर भी हरियाणा में अवश्य पड़ा है।
विपक्ष सहित बहुत से तथाकथित राजनैतिक विश्लेषक आठ अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को समाप्त घोषित करने की तैयारी में जुटे थे, कुछ लोग उनके इस्तीफे की घोषणा सुनना चाहते किंतु उनका यह सपना पूरी तरह टूट चुका है।