बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें मांग की गई है कि जहां-जहां बुलडोजर के गलत एक्शन से नुकसान हुआ है, वहां पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए. इसके साथ बुलडोजर एक्शन में शामिल अधिकारियों और इससे पीड़ित लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाएं. याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से प्रक्रिया के अनुपालन का निर्देश देने की मांग की गई है. कहा गया है कि जिला जजों या मजिस्ट्रेट की मंजूरी पर ही देशभर में कहीं भी बुलडोजर एक्शन की इजाजत मिले. बुलडोजर एक्शन किसके खिलाफ और क्यों लिया जा रहा है, यह भी सार्वजनिक किया जाए. दोषी अधिकारियों से मुआवजे की रकम वसूली जाए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि बुलडोजर एक्शन को तामील करने वाले अधिकारियों के नाम, पद भी सार्वजनिक किए जाएं. गलत एक्शन की स्थिति में दोषी अधिकारियों से ही मुआवजे की रकम वसूली जाए. इसके साथ ही उसके खिलाफ उचित कदम उठाया जाए दिल्ली के रहने वाले आलोक शर्मा और प्रिया मिश्रा ने वकील नरेंद्र मिश्रा के जरिए याचिका दाखिल की है. इसमें उन्होंने कहा है कि पीड़ित पक्ष के नुकसान का आकलन कराकर पूरा मुआवजा दिया जाए. मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर होने वाली सुनवाई के साथ इस याचिका को सुने जाने की मांग की है. यह कानून के खिलाफ है: सुप्रीम कोर्ट इसी महीने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक कानून में किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? अगर कोई दोषी भी करार दिया जाए तो भी बुलडोजर एक्शन नहीं ले सकते, यह कानून के खिलाफ है. ये याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दाखिल की है. इसमें यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं का हवाला दिया. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया. साथ ही आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की.कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई कार्रवाई को लेकर दलील दी. इस पर कोर्ट ने उनसे सवाल किया था. पूछा, अगर कोई आरोपी है, महज इस बेस पर बुलडोजर एक्शन कैसे लिया जा सकता है? यह कानून के खिलाफ है. हम इसे लेकर निर्देश जारी करेंगे. तमाम राज्यों को नोटिस भी जारी करेंगे.